हवाई सर्वेक्षण कर 15 करोड़ का भुगतान लेने की तैयारी में जल संसाधन विभाग के भ्रष्ट अधिकारी … पढ़िये क्या है पूरा मामला

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भुगतान नहीं करने वाले अधिकारी का हुआ स्थानांतरण
जल संसाधन विभाग के सचिव के संरक्षण में चल रहा है भ्रष्टाचार का कारोबार 
रायपुर  — छत्तीसगढ़ राज्य का जल संसाधन विभाग सुर्ख़ियों में हमेशा बना रहता है, और इन सुर्खियों में बने रहने की वजह हमेशा की तरह भ्रष्टाचार ही होता है।  एक माह पहले हाई कोर्ट के पाबंदी के बाद अभियंता को पदोन्नति दे दी गई , अभी मामला ठंडा हुआ ही नहीं था की पैसों को लेकर भुगतान का नया मामला सामने आया है।
सरगुजा संभाग के जल संसाधन विभाग में इस कारनामे को अंजाम दिया गया है ।
ताजा मामला यह है कि जशपुर जिले के शेखपुर इलाके में और डांडा पानी मैं बांध का निर्माण किए जाने का निर्णय छत्तीसगढ़ शासन में साल 2018 में किया था । शेखपुर वृहद जलाशय परियोजना  के नाम से बनाई गई इस योजना योजना का मकसद था कि लोगों को सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता को सुनिश्चित करना , जिसके लिए निर्माण से पहले सर्वेक्षण का कार्य किया जाता है। लेकिन जल संसाधन विभाग ने सर्वेक्षण करना जरूरी नहीं समझा। लोगों के भारी विरोध को देखते हुए कोई भी अधिकारी वहां नहीं गया ।आपको बता दें कि शेखर जलाशय योजना के संरक्षण के लिए 703 .949 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति 2018 में हुई थी। जिले के कुनकुरी की इव नदी पर डांडापानी के सर्वेक्षण के लिए  892.48 करोड़ रुपए साल 2018 में छत्तीसगढ़ सरकार ने स्वीकृत किए। दोनों  सिंचाई परियोजनाओं के सर्वेक्षण के दौरान ग्रामीणों और किसानों ने इस योजना का जबरदस्त विरोध किया । ग्रामीणों के विरोध के कारण कोई अधिकारी सर्वेक्षण कार्य हेतु प्रभावित क्षेत्र में नहीं जा पाया । नतीजतन वास्तविक सर्वेक्षण नहीं किया गया ।और यहां पर एक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए गूगल मैप से सर्वेक्षण कर सारी जानकारी सरकार को प्रेषित कर दी गई और इसका खर्चा ₹150000000 बताया गया यानी घर बैठे बैठे कागजों पर ₹150000000 का भ्रष्टाचार हो गया ।
अब दूसरी कहानी पर आते हैं साल 2018 में मुख्य अभियंता हसदेव कछार के इंद्रजीत उइके  ने सर्वेक्षण ना होने की वजह से भुगतान रोकने के लिए  उच्च अधिकारियों को दिनांक 8-3-2019 को पत्र लिखकर भुगतान ना करने की अनुशंसा की गई थी। जिसकी वजह से सर्वेक्षण सलाहकार (ठेकेदार) नाराज हो गए । अपनी ऊंची पहुंच का इस्तेमाल करते हुए इंद्रजीत उइके अभियंता का स्थानांतरण कराकर एस .के. रवि मुख्य अभियंता की पदस्थापना करा दी गई और रवि को अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया , भ्रष्टाचार का आलम यह है अधीक्षण अभियंता को मुख्य अभियंता बनाकर बैठाया गया । कुर्सी पर काबिज होते ही एस. के . रवि ने तत्काल भुगतान के लिए पत्र लिख दिया , इसके बावजूद केंद्रीय जल आयोग ने इस मामले पर छत्तीसगढ़ शासन के जल संसाधन मंत्रालय को एक पत्र लिखकर कहा कि छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के बीच में जल बंटवारे को लेकर विवाद है ।इसलिए अंतर राज्य जल बंटवारा आयोग की बिना पूर्व अनुमति के किसी भी प्रकार की योजनाओं को स्वीकृति प्रदान नहीं कि जा सकती है । लेकिन अधीक्षण से मुख्य अभियंता बने एस .के . रवि भ्रष्टाचार को लेकर कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं , इसीलिए उन्होंने कुर्सी पर काबिज होते ही भुगतान के लिए पत्र प्रेषित कर दिया। इस बारे में एस .के. रवि से बात  करने की कोशिश की गई तो उन्होंने अपना फोन ही बंद कर लिया और कहा कि आप उच्च अधिकारियों से बात करें। यह सिर्फ एक बानगी है कि किस तरह से जल संसाधन विभाग में पैसों का बंदरबांट होता है घर बैठे गूगल से नक्शा बनाकर कागजों के सर्वेक्षण का कार्य कर लिया जाता है और सरकारी पैसे की बंदरबांट की जाती है और यह रुकी नहीं है अभी भी बदस्तूर जारी है , बस तरीके नए-नए इजाद होते हैं और इन्हें संरक्षण दे रहे हैं वह अधिकारी जो इससे सीधे-सीधे लाभान्वित हो रहे हैं।

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