जवाब नहीं देंगे, कागज नहीं दिखाएंगे! हिटलर की औलादों की हिन्दू राष्ट्र स्थापना के मंसूबों को ध्वस्त करो! — पराते

0

कोरबा , 20 फरवरी 2020 — माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने आम जनता से अपील की है कि 1 अप्रैल से जब जनगणना कर्मी हमारे घरों में आये, तो एनपीआर (जनसंख्या रजिस्टर) से संबंधित प्रश्नों का जवाब न दे और जब नागरिक रजिस्टर बनाने (एनआरसी) के लिए आये, तो अपनी नागरिकता का कोई कागज न दिखाएं। वे आज कोरबा में संविधान बचाओ, देश बचाओ संयुक्त मंच द्वारा आयोजित एक विशाल आम सभा को संबोधित कर रहे थे।

नागरिक रजिस्टर बनाने के सरकार के फैसले पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि इस देश में हमारी नागरिकता आज़ादी के आंदोलन में भगतसिंह, अशफाकउल्ला खां, रामप्रसाद बिस्मिल, उधमसिंह और खुदीराम बोस की शहादत ने तय कर दी थी और अब किसी को भी हमारी नागरिकता के कागज देखने का अधिकार नहीं है। उन्होंने व्यंग्य किया कि अब तो इस देश की जनता छोटा भाई-मोटा भाई के कागजात देखेगी और उन्हें राजनैतिक डिटेंशन की सजा देगी।

उन्होंने कहा कि दुनिया के किसी भी देश में राष्ट्र और नागरिकता का आधार धर्म नहीं है। नागरिकता कानून में जो संशोधन किया गया है, वह संविधान विरोधी है और इसलिए इस देश के नागरिक और राज्य सरकारें इसे मानने के लिए बाध्य नहीं है। उन्होंने बताया कि नागरिकता संशोधन कानून, एनपीआर और एनआरसी तीनों मिलकर पूरा पैकेज बनाते है। एनपीआर की प्रक्रिया राज्य सरकारों को पूरी करनी है और यदि तमाम सरकारें इसे रोक दे, तो यह कानून निष्प्रभावी हो जाएगा। उन्होंने मांग की कि केरल सरकार की तरह ही छत्तीसगढ़ राज्य सरकार भी एनपीआर न होने देने का नोटिफिकेशन जारी करें।

माकपा नेता ने कहा कि मोदी सरकार को इस देश मे अवैध अप्रवासियों और घुसपैठियों की संख्या का भी पता नहीं है। लेकिन उनकी पहचान करने के लिए इस देश में निश्चित कानूनी प्रक्रिया है। इसे लागू करने के बजाए 130 करोड़ लोगों की नागरिकता को ही संदिग्ध मानकर सबूत मांगना अपनी अक्षमता को छुपाना ही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जो साकार इस देश के लोगों को अपना नागरिक नहीं मानती, उनके वोटों से चुनी गई सरकार भी अवैध है और ऐसी सरकार को एक मिनट भी सत्ता में बने रहने का हक़ नहीं है।

पराते ने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून के अनुसार मुझे अपनी नागरिकता सिद्ध करने के लिए अपने माता-पिता की नागरिकता उनके जन्म स्थान और जन्म तिथि के आधार पर सिद्ध करना होगा, लेकिन मेरे माता-पिता भी तभी इस देश के नागरिक माने जाएंगे, जब वे भी अपने माता-पिता और मेरे दादा-दादी की नागरिकता साबित कर पाएंगे। यदि वे भी जिंदा है, तो मेरे परदादा-परदादी की नागरिकता भी सिद्ध होनी चाहिए। इनमें से यदि एक भी कड़ी टूट गई, तो मैं इस देश का नागरिक नहीं माना जाऊंगा। इस आधार पर देश के 80 करोड़ लोग अपनी नागरिकता सिद्ध नहीं कर पाएंगे।

उन्होंने कहा कि देश की बुनियादी समस्याओं बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, गरीबी और भुखमरी से जनता का ध्यान हटाने के लिए हिन्दू-मुस्लिम और भारत-पाकिस्तान के जुमले यह सरकार उछाल रही है। लेकिन यह साफ है कि देश के संविधान की मूल आत्मा ही नहीं बचेगी, तो देश कहां रहेगा! इसलिए आज दोनों मोर्चों पर लड़कर देश को बचाने की जरूरत है और छात्रों, नौजवानों और महिलाओं की जो एकता इस आंदोलन के जरिये बन रही है, वह हिटलर के औलादों की हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के मंसूबों को ध्वस्त करेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *