ग्राम पंचायत मालखरौदा के सरपंच द्वारा स्वच्छ भारत मिशन का उड़ाया जा रहा हैं धज्जियां
मालखरौदा -- एक ओर केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता...
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रायपुर -- भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता एवं पूर्व विधायक श्रीचंद सुन्दरानी ने प्रदेश के पुलिस कर्मियों के साप्ताहिक...
रायपुर -- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज नवा रायपुर अटल नगर के सेक्टर 24 मंे मुख्यमंत्री निवास, मंत्रीगणों के आवास,...
राजस्थान में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को मजबूत करने और इसका विस्तार दूर - दराज के ग्रामीण लोगों तक करने के लिए सरकार ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत एक मॉडल पायलेट परियोजना की शुरुआत विश फांउडेशन के साथ मिलकर वर्ष 2015 में की थी। इस भागीदारी का ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं पर सकारात्मक असर देखा गया है।यह जानकारी राज्य के निदेशक कपिल जुत्शी ने मंगलवार को पत्रकार वार्ता में दी। श्री जुत्शी ने बताया कि 2014 के अंत में एलईएसएस ने राज्य सरकार के साथ बातचीत शुरू की और पब्लिक प्राइवेट भागीदारी के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के प्रदर्शन में सुधार पर प्रस्ताव रखा। एलईएसएस ने वर्ष 2015 में विश फांउडेशन ने मॉडल का प्रदर्शन करने के लिए 30 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (और संबद्ध 153 उप केन्द्रों ) का प्रबंधन राज्य सरकार से अपने हाथों में लिया। विश फांउडेशन ने न केवल इन पीएचसी के प्रबंधन का अधिग्रहण किया है, बल्कि निदान और गुणवत्ता स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार के लिए अग्रिम नवाचारों की भी शुरुआत की। राज्य सरकार ने पीएचसी के प्रदर्शन में सकारात्मक बदलावों को पहचानने के बाद 2016 में ग्रामीण क्षेत्रों और 2017 में इस तरह के पीएचसी का पीपीपी मोड के तहत शहरी क्षेत्रों में इच्छुक गैर सरकारी संगठनों से इस तरह के अनुरोध के लिए प्रस्ताव (आरएफपी) आमंत्रित करके उन्हें सौंपा। वर्तमान में एलईएचएस /विश राज्य के 14 जिलों में 31 (24 ग्रामीण और 7 शहरी) पीएचसी में काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि विश द्वारा प्रबंधन की अवधि में प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। उदाहरण के लिए, पोस्ट पीपीपी अवधि (वर्ष 2018-19) के साथ पूर्व पीपीपी अवधि (वर्ष 2014-15) के कुछ संकेतकों की तुलना से पता चलता है कि पीएचसी की मासिक औसत ओपीडी (संलग्न उप केंद्रों सहित) वर्ष 2014-15 से 2017-18 तक कुल वार्षिक आंकड़ों में 92.3ः सुधार हुआ है। यह आंकड़ा वर्ष 2014-15 में11968 था जो 2017-18 में 23017 गया। औसत मासिक आईपीडी में 289ः सुधार हुआ है। वर्ष 2014-15 में संस्थागत प्रसव की संख्या 68 थी, जो 2018-19 में 129 तक पहुंच गई है। यही नहीं, एएनसी के जल्द पंजीकरण और पूर्ण टीकाकरण में भी अच्छा सुधार हुआ है। पीएसचसी के प्रदर्शन में सुधार से पता चलता है कि प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को मजबूत करने का विश फांउडेशन का मॉडल एक समर्पित मानव संसाधन और निरंतर पर्यवेक्षण के माध्यम से प्रभावी है। पहली बार 37 शारीरिक जांच एक ही जगह श्री जुत्शी के अनुसार राजस्थान पीपीपी कार्यक्रम में स्वास्थ्य नवाचार को बढ़ावा देने के लिए विश ने बहुत कुछ किया है। इसने मोबाइल पैथ लैब की शुरुआत की, जिसमें एक पीएचसी में 37 परीक्षण किए गए, जबकि राज्य सरकार की निःशुल्क निदान योजना के अनुसार केवल 15 परीक्षण पीएचसी स्तर पर उपलब्ध हैं। इस पहल के कारण लोगों को समय और पैसा दोनों की बचत हो रही है। मोबाइल पैथ लैब मॉडल सफल रहा और बाद में सरकार ने इसे पूरे राज्य में शुरू किया। संगठन डिजिटल हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर को भी बढ़ावा दे रहा है जिसमें टेलिमेडिसिन, मेडिसिन वेंडिंग मशीन और पॉइंट ऑफ केयर डिवाइसेस जैसी सुविधाएं शामिल हैं। निदेशक ने बताया कि पायलेट मॉडल को प्रदर्शित करने के बाद, विश फांउडेशन इस परियोजना से धीरे-धीरे अपनी निकास रणनीति के तहत पीएचसी को राजस्थान सरकार को सौंप रहा है। इस क्रम में, बामनगांव पीएचसी 31 अगस्त 2019 को सौंपने जा रहा है। लेकिन संगठन प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने में सरकार का महत्वपूर्ण भागीदार बना रहेगा। एलईएचएस स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र पर अपनी तकनीकी सहायता इकाई (टीएसयू) के माध्यम से राजस्थान सरकार को शिक्षण की तकनीकी सहायता प्रदान करेगा। एलईएचसी विश फांउडेशन दिल्ली सरकार का मोहल्ला क्लिनिक के प्रबंधन में शिक्षण और तकनीकी भागीदार भी है और यदि राजस्थान सरकार चाहेगी तो वह राज्य में सरकार के जनता क्लिनिक के लिए साझेदारी भी कर सकती है। गौरतलब है कि प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को मजबूत करना और विस्तार करना सरकार का प्रमुख एजेंडा है और इस प्रयास में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। बेहतरीन प्रयासों के बावजूद, मानव संसाधन की कमी, अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन जैसी चुनौतियों के कारण राजस्थान को दूर राज की आबादी, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और की आम लोगों तक पहुँचाने में इसके कई पीएचसी को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था।