माता सीता के श्राप से अभी भी श्रापित है … गाय , ब्राह्मण , कौआ और नदी

0

खबरें जरा हट के …… 

प्रभु श्रीराम के अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ वनवास जाने की बात हम सभी जानते हैं। इस बात से अयोध्या के सभी निवासी दुखी थे। राजा दशरथ, राम और लक्ष्मण के वियोग के इस दर्द को झेल नहीं सकें और उनकी मृत्यु हो गई। पिता की मृत्यु के इस खबर से राम और लक्ष्मण सभी को गहरी ठेस पहुंची।

दोनों ने ही जंगल में ही पिंडदान करने का निश्चय किया। इसके लिए राम और लक्ष्मण दोनों जंगल में ही आवश्यक सामग्री को एकत्रित करने के उद्देश्य से निकल गए। इधर पिंडदान का समय निकलता ही जा रहा था। समय के महत्व को समझते हुए माता सीता ने अपने पिता समान ससुर दशरथ का पिंडदान उसी समय राम और लक्ष्मण की उपस्थिति के बिना किया।

माता सीता ने पूरी विधि विधान का पालन कर इसे सम्पन्न किया। कुछ समय बाद जब राम और लक्ष्मण लौटकर आए तो माता सीता ने उन्हें पूरी बात बताई और यह भी कहा कि उस वक्त पंडित, गाय, कौवा और फल्गु नदी वहां उपस्थित थे। साक्षी के तौर पर इन चारों से सच्चाई का पता लगा सकते हैं।

पंडित
श्री राम ने इस बात की पुष्टि करने के लिए चारों से पूछा तो इन चारों ने ही यह कहते हुए झूठ बोल दिया कि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं। इस बात से दोनों भाई सीता से नाराज हो गए। राम और लक्ष्मण को लगा कि सीता झूठ बोल रही हैं। इनकी झूठी बातों को सुनकर सीता माता क्रोधित हो गईं और उन्हें झूठ बोलने की सजा देते हुए आजीवन श्रापित कर दिया। सारे पंडित समाज को श्राप मिला कि पंडित को कितना भी मिलेगा लेकिन उसकी दरिद्रता हमेशा बनी रहेगी।

कौवे
कौवे को कहा कि उसका अकेले खाने से कभी पेट नहीं भरेगा और वह आकस्मिक मौत मरेगा।

फल्गु नदी
फल्गु नदी के लिए श्राप था कि पानी गिरने के बावजूद नदी ऊपर से हमेशा सुखी ही रहेगी और नदी के ऊपर पानी का बहाव कभी नहीं होगा।

गाय
गाय को श्राप दिया गया कि हर घर में पूजा होने के बाद भी गाय को हमेशा लोगों का जूठन खाना पड़ेगा। रामायण में इस कहानी का जिक्र भी किया गया है।आप आज के समय में भी इन चारों पर सीता माता के श्राप के प्रभाव को देख सकते हैं। ये सारी बातें आज भी सच होते नजर आती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed