इस पूरे गांव में वर्षों से कोई नहीं खाता प्याज और लहसुन, खरीदते ही घर में हो जाती हैं अशुभ घटना

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जहां एक तरफ देशभर में प्याज की कीमत आसमान छू रही है। वहीं दूसरी तरफ बिहार में एक ऐसा गांव है जहां के लोगों को प्याज के दाम से कोई मतलब नहीं है। यह गांव जहानाबाद जिले की चिरी पंचायत में है। यहां के लोगों को प्याज की बढ़ी कीमत से कोई मतलब नहीं है। यह गांव जहानाबाद जिले से करीब 30 किलोमीटर दूर है।गांव का नाम त्रिलोकी बिगहा है। इस पूरे गांव में कोई भी व्यक्ति प्याज नहीं खाता। यह 30 से 35 घरों की बस्ती वाला गांव है। यहां अधिकांश यादव जाति के लोग रहते हैं। लेकिन पूरे गांव में कोई भी प्याज और लहसुन नहीं खाता। यहां तक कि गांव में प्याज और लहसुन बाजार से लाना भी मना है।

गांव के एक बुजुर्ग बताते हैं कि यहां के लोग वर्षों से प्याज और लहसुन नहीं खाते। उनके पूर्वज भी प्याज और लहसुन नहीं खाते थे। इस गांव में यह परंपरा आज भी कायम है। गांव के लोग प्याज और लहसुन न खाने का कारण गांव में स्थित ठाकुरबाड़ी मंदिर को बताते हैं। गांव की एक महिला बताती हैं कि गांव में ठाकुर जी का एक मंदिर है, इस कारण उनके पुरखों ने प्याज खाना प्रतिबंधित कर दिया था।

40-45 साल पहले किसी ने इस प्रतिबंध को तोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन तब उस परिवार के साथ अशुभ घटना घट गई थी। इसके बाद अब लोग बाजार से भी प्याज लाने से घबराते हैं। लोग प्याज खाने की हिम्मत भी नहीं करते। गांव के मुखिया बताते हैं कि वर्षो से गांव में यह परंपरा चली आ रही है। हालांकि वह ये भी कहते हैं कि इसे आप अंधविश्वास से भी जोड़ सकते हैं। आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि इस गांव में सिर्फ प्याज और लहसुन ही नहीं, बल्कि मांस-मदिरा भी प्रतिबंधित है।

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