लोगों को समझना होगा कि एनपीआर है देश में षडयंत्र की शुरआत — कांग्रेस

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छत्तीसगढ़ के आदिवासियों और ग़रीबों को परेशानी में डालेंगे एनपीआर, सीएए और एनआरसी

धर्म के आधार पर विभाजन आरएसएस और भाजपा के डीएनए में है

 

रायपुर/ 11 जनवरी 2020 —  मोदी सरकार द्वारा सीएए कानून देश भर में लागू करने की अधिसूचना पर कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताते हुए कहा है कि एनपीआर दरअसल देश के ग़रीब, मज़दूरों और आदिवासियों के ख़िलाफ़ षडयंत्र की शुरुआत है. कांग्रेस महासचिव और संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार लोगों को भ्रमित कर रही है और सच नहीं बता रही है.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और दूसरे मंत्री यह तो कह रहे हैं कि एनपीआर के लिए सबूत नहीं मांगे जाएंगे लेकिन वे यह नहीं बता रहे हैं कि यह सबूत जुटाने की पहली कड़ी है. एनआरपी में जब लोगों से पूछा जाएगा कि उनके मां-बाप कहां पैदा हुए हैं तो वे सीएए के लिए सबूत जुटा रहे होंगे. शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि जब सीएए लागू होगा तो एनपीआर के आधार पर ही उन्हें नागरिक बनाने न बनाने का फ़ैसला होगा. तब लोगों से कहा जाएगा कि अपने मां-बाप या दादा दादी का जन्म प्रमाण पत्र लेकर आएं.

कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख ने कहा है कि यह प्रदेश के 32 प्रतिशत आदिवासियों और इससे बड़ी संख्या में मज़दूरी कर रहे ग़रीबों के ख़िलाफ़ षडयंत्र है. अभी जब पढ़े लिखे शहरी संपन्न लोगों के पास अपने मां बाप के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है तो शहरों में रह रहे ग़रीब और सुदूर अंचलों के ग़रीब कहां से ये सबूत लाएंगे? दूसरे प्रदेशों से काम करने आए लोग तो कागज़ जुटाते जुटाते थक जाएंगे. लोग नोटबंदी की तरह ही कतार में लगा दिए जाएंगे.

शैलश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि जनता सीएए, एनआरसी और एनपीआर के मकड़जाल का बखूबी समझ रही है और इसीलिये पूरे देश में इसका विरोध हो रहा है। डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर द्वारा बनाये गये संविधान में धर्म के आधार पर कोई भी भेदभाव नहीं करने की बात स्पष्ट है। मोदी सरकार के काले नागरिकता कानून का संविधान विरोधी होने के कारण ही इसका व्यापक विरोध हो रहा है।

भाजपा के समर्थक भी हैं ख़िलाफ़

त्रिवेदी ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव 2018 में 47 लाख एक हजार पांच सौ सैतीस वोट प्राप्त किये। 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा ने मिस्ड काल से ही 57 लाख सदस्य बने थे। लेकिन भाजपा नेताओं की पुरजोर कोशिशों के बावजूद सीएए के समर्थन में छत्तीसगढ़ से सिर्फ 5 लाख मिस्ड काल हो पायी। छत्तीसगढ़ में तो भाजपा के 52 लाख कार्यकताओं ने सीएए के समर्थन में मिस्ड्काल नहीं किया और 42 लाख भाजपा के मतदाताओं ने सीएए का समर्थन में मिस्ड काल नहीं किये। यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि छत्तीसगढ़ के मतदाताओं के साथ-साथ भाजपा के कार्यकर्ता भी सीएए के पक्ष में नहीं है। इसी कारण पूरे देश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में भी भाजपा सीएए के पक्ष में समर्थन जुटा पाने में विफल रही।

उन्होंने कहा है कि भाजपा एक बार फिर धर्म और जाति के आधार पर लोगों को बांटना चाहती है और नागरिकता कानून को धर्म से धर्म को लड़ाने के लिये इस्तेमाल करना गलत और आपत्तिजनक है।

प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि आजादी की लड़ाई में तिरंगे झंडे तले हिंदू, मुसलमान, सिख और ईसाई मिलकर लड़े थे। वो अंग्रेज़ थे जिन्होंने अपने फायदे के लिए उन्हें आपस में लड़वाया और देश का विभाजन किया जिसमें आरएसएस ने साथ दिया. अब भाजपा काला नागरिकता कानून लागू कर अंग्रेजों के समय चली आ रही साम्प्रदायिक ताकतों की परिपाठी जारी रखते हुये फिर से धर्म से धर्म को लड़ाने में लगी है। दरअसल धर्म से धर्म को लड़ाना ही साम्प्रदायिक ताकतों के डीएनए में है।

 

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