विधानसभा में छत्तीसगढ़ पट्टाधृति अधिनियम  संशोधन विधेयक 2019 पारित

0
 
एक लाख 39 हजार 730 परिवारों को जमीन का मालिकाना हक के 30 वर्षीय पट्टे वितरित किए जाने का मार्ग प्रशस्त……
रायपुर —  छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज विधेयक पारित होने पर दिनांक 19 नवम्बर 2018 के पूर्व, शहरी क्षेत्र के लगभग एक लाख 39 हजार 730 ऐसे परिवारों को जो कि शासकीय भूमि, नजूल भूमि अथवा निकाय की भूमि पर अतिक्रमण कर कच्चे/अर्द्ध पक्के/पक्के घर बनाकर निवास कर रहे है, को उनकी जमीन का मालिकाना हक के 30 वर्षीय पट्टे वितरित किए जाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
  उल्लेखनीय है कि शहरी क्षेत्रों में भूमिविहीन कब्जाधारी परिवारों को पट्टा प्रदान करने एवं आवासहीन परिवारों को दो कमरों का पक्का मकान दिए जाने के उद्देश्य से विगत 21 फरवरी 2019 को मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रि-परिषद की बैठक में इस आशय का एक बड़ा फैसला लिया गया। इस केबिनेट में छत्तीसगढ़ पट्टाधृति अधिनियम संशोधन विधेयक 2019 को विधानसभा में प्रस्तुत करने हेतु स्वीकृति प्रदान की गई।
इसके अतिरिक्त वर्ष 1984 से लेकर 2003 तक सरकारों द्वारा जिन पट्टों का वितरण किया है एवं उनकी अवधि समाप्त हो चुकी है। ऐसे पट्टों का भी नवीनीकरण कर, नवीन पट्टे वितरित किए जावेंगे। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के शहरी क्षेत्रों के लगभग 65 हजार 780 परिवार, जिनके पास भूमि का मालिकाना हक नहीं होने के कारण उन्हें पक्का आवास बनाने के लिए राज्य शासन से वित्तीय सहायता प्राप्त होना संभव नहीं था। पट्टा प्राप्त होने पर ऐसे परिवारों को राज्य शासन द्वारा नगरीय क्षेत्रों में अधिकतम रूपए 2.29 लाख प्रति आवास के मान से सहायता राशि प्राप्त हो सकेगी।
ऐसे परिवार जो कि पूर्व में वितरित पट्टे किसी अन्य व्यक्ति से क्रय कर निवास कर रहे हैं, किन्तु उनके पास मालिकाना हक नहीं है, का भी सर्वेक्षण कर वर्तमान में काबिज परिवार को ही पट्टा प्रदान किया जावेगा, जिससे वे भयमुक्त होकर अपना जीवन यापन कर सकेंगे।
ऐसे परिवार जिनके पास पूर्व में दिए गए पट्टे से 50 प्रतिशत तक अधिक भूमि कब्जे में है, तो पट्टा क्षेत्र से लगी हुई अधिकतम 50 प्रतिशत तक अधिक भूमि का भी काबिज परिवार के पक्ष में नियमितीकरण किया जावेगा। पट्टे पर निर्मित आवास का आवासीय प्रयोजन से अलग हटकर अन्य छोटे-मोटे व्यवसायिक प्रयोजन हेतु उपयोग किए जाने पर हितग्राही के पक्ष में नियमितीकरण की कार्यवाही की जावेगी। पट्टाधारी परिवार के मुखिया की मृत्यु होने पर उसके वैधानिक वारिसान के पक्ष में पट्टे की भूमि का नामांतरण किया जावेगा।
शहरी क्षेत्र में इस प्रकार अतिक्रमण कर, जीवनयापन करने वाले परिवारों जिन्हें कि, हमेशा यह डर लगा रहता था कि कब उनका कब्जा हटाकर उन्हें बेघरबार कर दिया जावेगा, अब भयमुक्त होकर अपने परिवार के साथ जीवनयापन कर सकेंगे। नगरीय क्षेत्र में ऐसे परिवार जिनके पास पट्टा इत्यादि नहीं है, उन्हें भी 2 कमरे का घर न्यूनतम राशि से उपलब्ध हो सकेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *