मदनवाड़ा जाँच आयोग के गठन का स्वागत लेकिन संदेह कायम — भाजपा
रायपुर — भारतीय जनता पार्टी ने सन 2009 में राजनान्दगाँव के मदनवाड़ा में हुए नक्सली हमले के मामले में राज्य सरकार द्वारा जाँच आयोग के गठन का स्वागत किया है। पार्टी ने उम्मीद जताई कि इस हमले में शहीद हुए आई.पी.एस. विनोद कुमार चौबे सहित 29 पुलिसकर्मियों की शहादत और नक्सल षड्यंत्रों पर कुछ नए निष्कर्षों तक पहुँचा जा सकेगा।
भाजपा विधिक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक जयप्रकाश चन्द्रवंशी ने कहा कि प्रदेश में नक्सलवाद के समूल उन्मूलन की दिशा में राज्य सरकार को केन्द्र सरकार के साथ समन्वित रणनीति बनाकर ठोस कदम भी उठाने होंगे। 2009 के इस हमले के बाद जो सवाल खड़े हुए थे, उनका समाधान भी जाँच आयोग के निष्कर्षों से हासिल होगा और जिन बिन्दुओं को जाँच के दायरे में लिया गया है, उनको लेकर व्याप्त संदेहों का निराकरण होगा।
चन्द्रवंशी ने इसी के साथ मौजूदा प्रदेश कांग्रेस सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश सरकार नक्सली हिंसा को रोकने की दिशा में सख्ती से कदम नहीं उठा रही है जिसके कारण अब भी छत्तीसगढ़ में वारदातें बदस्तूर जारी हैं। प्रदेश सरकार का नक्सली वारदातों में 40 फीसदी कमी आने का दावा बस्तर क्षेत्र में लगातार जारी नक्सली हिंसा के मद्देनजर खोखला प्रतीत हो रहा है।
भाजपा विधिक प्रकोष्ठ संयोजक चन्द्रवंशी ने कहा कि मदनवाड़ा न्यायिक जाँच आयोग का गठन करने के बाद भी यह शक बना हुआ है कि सरकार नक्सलवाद के उन्मूलन के लिये सख्त कदम उठाएगी या नही। सरकार इस जाँच आयोग को किसी समाधानकारक ठोस निष्कर्ष तक पहुँचने भी देगी या नही, यह भी शंकास्पद है।
चन्द्रवंशी ने कहा कि जिस सरकार के मुख्यमन्त्री विपक्ष में रहते हुए झीरम नक्सली हमले के सबूत जेब में लिये घूमने का दावा करते थे वे भूपेश बघेल सत्ता में आने के बाद अपनी ही पार्टी के शहीद नेताओं व पदाधिकारियों के परिजनों को एक साल बाद भी इंसाफ दिलाने की इच्छाशक्ति नहीं दिखा पाए हैं। वे अपने उस जैकेट को मुख्यमन्त्री बनने के बाद खूँटी पर टांग चुके हैं, जिसकी जेब में झीरम के सबूत रखे हुए हैं। मुख्यमंत्री बघेल मदनवाड़ा नक्सली हमले की जाँच के साथ-साथ झीरम के सबूत सार्वजनिक करने के बारे में भी सोचें और नक्सलवाद की मुखालफत के मामले में ईमानदार नजर आएँ, यह प्रदेश की सहज अपेक्षा है।