पूरा छत्तीसगढ़ जानता है कि जीरम के हत्यारों को बचाने में कौन-कौन क्यों लगा है? — शैलेश नितिन

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अंर्तराज्यीय परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के हितों और हको की बात को पुरजोर तरीके से उठाने के साथ-साथ जीरम की साजिश की जांच की जरूरत को केन्द्रीय गृहमंत्री के सामने रखा

 

रायपुर/29 जनवरी 2020 — प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि पूरा छत्तीसगढ़ जानता है कि जीरम के हत्यारों को बचाने में कौन-कौन क्यों लगा है? मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के हितों और हकों की बात को पूरजोर तरीके से उठाने के साथ-साथ जीरम की साजिश की जांच की जरूरत को केन्द्रीय गृहमंत्री के सामने रखा। जीरम की जांच को रोकने में बाधित करने में पहले से लगी हुयी ताकतें आज भी सक्रिय है। जीरम के गुनाहगारों को क्यों बचाना चाहते है? कौन बचाना चाहता है? ये पूरे छत्तीसगढ़ के लोग बखूबी जानते है और समझते भी है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार के दौरान और अभी भी भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र सरकार द्वारा लगातार जीरम की साजिश की जांच को बाधित किया गया है। जीरम की साजिश की जांच की मांग लगातार कांग्रेस करती रही है। जीरम की साजिश के गुनाहगारों को उनकी सजा मिलनी चाहिये। मई 2013 को जीरम घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हुये माओवादी हमले में शहीद नंदकुमार पटेल, शहीद विद्याचरण शुक्ल, शहीद महेन्द्र कर्मा, शहीद उदय मुदलियार, शहीद दिनेश पटेल, शहीद योगेन्द्र शर्मा, शहीद अभिषेक गोलछा, शहीद अल्लानूर भिंडसरा, शहीद गोपी माधवानी सहित कांग्रेस नेताओं की पूरी पीढ़ी की शहादत हुयी। जीरम में कांग्रेस नेताओं की शहादत को 25 मई को 6 वर्ष हो जायेंगे। आज तक अपराधी खुलेआम घूम रहे है। हम सब दुखी है हमारी निराशा और बढ़ गयी है। चिंता की बात यह है कि अभी तक भाजपा की केन्द्र सरकार बनने के बाद एनआईए ने झीरम घाटी के हत्यारों और षडयंत्रकारियों को पकड़ने के प्रयत्न भी आरंभ नहीं किये है। जीरम मामले में एनआईए की जांच में बार-बार रमन सिंह सरकार के नोडल ऑफिसरो ने बाधा डाली और मोदी सरकार बनने के बाद तो जांच की दिशा ही बदल गयी। एनआईए ने अपनी अंतिम रिपोर्ट सौपी दी, कोई खुलासा नहीं हुआ। जीरम की जांच के लिये बने जांच आयोग के कार्यक्षेत्र में साजिश की जांच को सम्मिलित ही नहीं किया गया है। दरभा थाने में जो रिपोर्ट दर्ज करायी गयी थी उस पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। एनआईए के द्वारा आधी-अधूरी जांच कर अंतिम रिपोर्ट आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया।
जीरम कांड के तार सत्ता के केन्द्र से जुड़े रहे, क्योंकि कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा की ठीक उसी जगह सुरक्षा हटा ली गयी जहां परिवर्तन यात्रा पर माओवादी हमला हुआ था। जीरम की साजिश को उजागर होने से रोकने में भाजपा की सरकारों की पूरी ताकत लगी रही। भाजपा सरकार को न केवल इस बात की जानकारी थी कि हत्यारे कौन है और षड़यंत्रकारी कौन है, बल्कि हत्यारों को बचाने में उस समय भी और आज भी इनकी ताकत लगी हुयी है। उनकी पहचान को जानबुझकर छुपाने के लिये और उन्हें बचाने के लिये जीरम की साजिश की जांच कराने से पीछे हटा जाता रहा। जांच से रमन सरकार और षड़यंत्रकारियों के चेहरे बेनकाब हो जाते। कांग्रेस पार्टी फिर से झीरम घाटी में हुये आ पराधिक राजनैतिक षड़यंत्र की जांच की मांग दुहराती है। जब-जब कांग्रेस पार्टी द्वारा जीरम कांड की आवाज उठाई जाती है तब-तब भाजपा और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह क्यों घबरा जाते हैं और घबराहट में जीरम कांड के बाद अपने उस पहले बयान को भी भूल जाते है, जिसमें उन्होंने घटना में हुई चूक को स्वीकार किया था।
झीरम घाटी कांड एक राजनीतिक आपराधिक षड़यंत्र था। कांग्रेस ने विधानसभा में भी राज्य सरकार से मांग की थी कि सीबीआई से इसकी जांच करायी जाये। सरकार ने विधानसभा में घोषणा भी की। केन्द्र और राज्य की भाजपा सरकारों के रवैये के कारण जीरम मामले की समुचित की सीबीआई जांच नहीं हो पायी है। विधानसभा में पूरे सदन की भावनाओं के अनुरूप सरकार ने सीबीआई जांच की घोषणा की लेकिन आज जीरम की घटना को 6 साल होने जा रहा है लेकिन जीरम की साजिश की जांच शुरू नहीं हो सकी है।

जीरम की साजिश की जांच को लेकर कांग्रेस के सवाल

 

धमतरी की सभा में नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव के समय कहा था कि हम जीरम की जांच कराएंगे और जीरम के गुनहगारों को सजा देंगे। मोदी जी दो बार प्रधानमंत्री बन गये लेकिन जांच कराना तो दूर बाधा डालने का काम ही क्यों चल रहा है?

विधानसभा से सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव के बावजूद नरेंद्र मोदी की सरकार ने क्यों सीबीआई जांच नहीं कराई?

एनआईए की जांच की दिशा नरेंद्र मोदी की सरकार बनते ही क्यों बदल गई?

जीरम षडयंत्रकारियों के साजिश का भंडा फोड़कर गिरफ्तार करना तो दूर की बात उन को छूने की कोशिश भी क्यों बंद की गई है?

जीरम के गुनहगारों को बचाने में किसका हित है?

 

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