लघु वनोपजों के संग्रहण तथा प्रसंस्करण कार्य संबंधी निर्देश जारी , संग्रहण के समय एक दूसरे से कम से कम तीन मीटर की दूरी बनाए रखने के निर्देश ।
रायपुर, 04 अप्रैल 2020 — राज्य में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लाॅकडाउन के दौरान लघु वनोपज संग्रहण, प्रसंस्करण, परिवहन तथा भण्डार में अति-आवश्यक कार्य के लिए न्यूनतम श्रमिकों और ग्रामीणों की कार्य करने की अनुमति देने तथा परिवहन, भण्डारण सेवा शर्ताें के अधीन चालू रखने के संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। इस आशय का आदेश आज यहां मंत्रालय महानदी भवन स्थित वन विभाग द्वारा जारी कर दिया गया है। इसके तहत प्रमुख सचिव वन द्वारा प्रदेश के समस्त संभागीय आयुक्त, जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और मुख्य कार्यपालन अधिकारी-जिला पंचायतों को आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
राज्य में वन तथा सीमा क्षेत्रों से ईमली, महुआ फूल, चिरौंजी आदि खाद्य योग्य वनोपज हर्रा, बहेड़ा आदि औषधि योग्य वनोपजों का संग्रहण सीजन चालू है। ग्रामीणों तथा आदिवासियों द्वारा अपनी निजी क्षेत्र तथा वन क्षेत्र से संग्रहण कर शासन द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर ग्राम स्तर, स्व-सहायता समूहों को विक्रय करने के लिए राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के माध्यम से व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। इसके तहत अवगत कराया गया है कि ग्रामीणों और संग्राहकों को उक्त वनोपजों के संग्रहण करने तथा ग्राम स्तर पर स्व-सहायता समूहों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर विक्रय करने के लिए शर्तांे के अधीन व्यवस्था करना आवश्यक है ताकि उक्त खाद्य तथा औषधि महत्व के वनोपजों के संग्रहण, परिवहन तथा भण्डारण करने से ग्रामीणों को उसका भरपूर लाभ मिल सके।
राज्य में लाॅकडाउन अवधि में भारत सरकार गृह मंत्रालय की गाईड लाइन और राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग के दिशा निर्देशों के अनुक्रम में इन कार्याें के सुव्यस्थित संपादन के लिए सशर्त छूट प्रदान की गई है। इनमें लघु वनोपज संग्रहण, लाख पालन आदि में श्रमिकों और संग्राहकों को कार्य करने तथा संग्रहित वनोपज को ग्राम स्तर पर स्व-सहायता समूहों को विक्रय करने की छूट है। समूहों द्वारा क्रय लघु वनोपज को उपयुक्त स्थानों पर शर्ताें अथवा भारत शासन द्वारा जारी आदेशानुसार प्रसंस्करण करने और उक्त वनोपजों को उपयुक्त वाहन द्वारा गोदाम अथवा कोल्ड स्टोरेज में परिवहन करने, भण्डारण करने तथा उचित रख-रखाव करने की छूट प्रदान की गई है। इसके अलावा भण्डारित वनोपजों को अन्य राज्यों के लिए खाद्य तथा औषधि उत्पादन केन्द्रों के लिए परिवहन करने की छूट प्रदान की गई है।
इसके तहत ग्रामीणों को लघु वनोपजों के संग्रहण के समय एक दूसरे से कम से कम तीन मीटर की दूरी बनाए रखने के लिए कहा गया है। स्व-सहायता समूह के द्वारा लघु वनोपज संग्राहकों से क्रय हाट बाजार में नहीं किया जाएगा, बल्कि गांव स्तर पर उनके द्वारा घरों से ही लघु वनोपजों का क्रय किया जाना है। स्व-सहायता समूह के सदस्यों द्वारा अनिवार्य रूप से मास्क का उपयोग किया जाना है। घरों से क्रय करते समय स्व-सहायता समूहों के दो से अधिक सदस्य उपस्थित नहीं रहेंगे। अति-आवश्यक स्थिति में अगर किसी वनोपज के प्राथमिक संस्करण की आवश्यकता हो तो प्रसंस्करण केन्द्र में 20 से अधिक महिला सदस्यों की उपस्थिति न हो, यह सुनिश्चित किया जाना है। साथ ही सदस्यों द्वारा एक दूसरे के बीच में कम से कम तीन मीटर की दूरी बनाया रखना अनिवार्य होगा तथा सदस्यों द्वारा हाथ में ग्लोब्स, सिर पर कैप तथा मास्क का अनिवार्य रूप से उपयोग किया जाना है।
लघु वनोपजों के संग्रहण तथा प्राथमिक संस्करण के दौरान प्रत्येक एक घंटे में स्व-सहायता समूहों के सदस्यों और अन्य संबंधित व्यक्तियों द्वारा अनिवार्य रूप से हाथ धोया जाना है। इस कार्य में लगे किसी भी सदस्य ने अगर कोई वायरस के लक्षण के दिखते हो तो तत्काल समीप के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में सम्पर्क किया जाना है। प्रमुख सचिव वन विभाग द्वारा लघु वनोपजों के संग्रहण तथा प्रसंस्करण कार्य के दौरान उक्त निर्देशों का भली-भांति पालन सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया गया है।