केंद्र सरकार तत्काल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट को कार्यशील करें — मोहन मरकाम
सबके व्यक्तिगत और व्यवसाई पर्सनल और कमर्शियल कर्जे माफ किए जाएं
रायपुर/14 मई 2020 — प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने केंद्र सरकार से मांग की है कि करोना वायरस के संक्रमण के परिणाम स्वरूप उत्पन्न हुई स्थिति को देखते हुए डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट को गतिशील किया जाये। डिजास्टर मैनजमेंट एक्ट के तहत सैंट्रेल गवर्मेंट की कुछ जिम्मेदारियां बनती हैं, उसमें खासकर सेक्शन 13 जो है, डिजास्टर मैनजमेंट एक्ट, वो कहता है कि अगर किसी के पास भी अभी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, भारत सरकार जो कह रही है कि आपका लोन है, तीन महीने के बाद भरना। डिजास्टर मैनजमेंट एक्ट 13 कहता है कि नहीं, आप उसमें इंट्रस्ट भी नहीं ले सकते हैं, उसे साइड लाइन भी करो, इसका कनवर्जन कर दो । आज जरुरत तो लोन वेवर भी करने की है ।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि आज छोटे-छोटे व्यापारियों, ठेलेवालों, खोमचेवालों, सैलून चलाने वालों नाइ, कुम्हार, लोहार, बढई जैसे काम धंधों वालों के साथ साथ सभी कर्जदारों के व्यक्तिगत और व्यावसायिक लोन माफ किये जायें।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि मैं आज ऐसी मांग अपोजिशन में हूं, इसलिए नहीं कर रहा हूं। आज हमारे एमएसएमई हैं, छोटे-मोटे दुकानदार हैं, किसान हैं, ऐसे लोगों के लिए भारत सरकार को यह निर्णय करना पड़ेगा। क्योंकि करोना वायरस संक्रमण की स्थिति पूरे देश में बनी हुई है इसलिए भी यह फैसला कोई राजस्थान सरकार, पंजाब सरकार, छत्तीसगढ़ सरकार या महाराष्ट्र सरकार नहीं कर पाएगी।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि भारत सरकार को डिजास्टर मैनजमेंट एक्ट के प्रावधानों का पूरा पालन करना होगा। जो रोज का लेकर रोज खाता है, आप जानते हैं कि वो छोटी सी पान की दुकान में बैठने वाला आदमी, जूता पॉलिश करने वाला आदमी या रिक्शा चलाने वाला आदमी, उसकी हर रोज की आमदनी, उसको हर रोज खानी है, अब वह कहाँ से और क्या इंस्टोलमेंट देगा ? अब राज्य सरकारें देना चाहती है, वो कहाँ से दे? ये भारत सरकार की जिम्मेवारी है ।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि भारत सरकार यदि कहती है कि हमारे पास पैसे नहीं हैं, तो फिर विस्टा प्रोजेक्ट और बुलेट ट्रेन जैसे प्रोजेक्ट बंद किये जायें। 20,000 करोड़ ₹ राजधानी दिल्ली के सौंदर्यीकरण करने में खर्च कर सकते हैं, 1 लाख दस हजार करोड़ ₹ और गरीबों की मदद के लिए राज्य सरकार को कहना कि पैसे नहीं हैं। मोदी सरकार का ये रवैया ठीक नहीं है।