आदिवासियों की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रदेश के जंगलों का विकास किया जाएगा — मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

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जंगल में अब ऐसे पेड़ लगाए जाएंगे जो पर्यावरण के अनुकूल और आदिवासियों के पोषण व जीविकोपार्जन में होंगे सहायक

मुख्यमंत्री ने की वन विभाग के काम-काज की समीक्षा

वृक्षारोपण अभियान: प्रदेश में पांच करोड़ पौधे लगाए जाएंगे: पौधों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने के निर्देश

गौठानों में लघु वनोपजों के 50 लाख पौधों का होगा रोपण

स्व-सहायता समूह तैयार करेंगे बांस के 4 लाख ट्री गार्ड: लगभग 16 करोड़ रूपए की होगी आमदनी

वन प्रबंधन समितियों की महिलाओं ने 4 करोड़ की लागत से तैयार किए 50 लाख मास्क

वन अधिकार पट्टा प्राप्त हितग्राहियों को वृक्षारोपण से जोड़ने के निर्देश

 

रायपुर, 16 मई 2020 —  मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि आदिवासियों की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रदेश के जंगलों का विकास किया जाएगा। जंगलों में ऐसे पेड़ लगाए जाएंगे जो पर्यावरण के अनुकूल होंगे साथ ही आदिवासियों के पोषण और जीविकोपार्जन में सहायक होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि पौध रोपण के दौरान इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखा जाए। वन क्षेत्रों के विकास में इस कार्य को प्राथमिकता से शामिल किया जाए जिससे वनवासियों के जीवन में सुधार और उनके जीवकोपार्जन में मदद मिले। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने यह बातें आज अपने निवास कार्यालय में आयोजित वन विभाग के कामकाज की समीक्षा बैठक में कही। मुख्यमंत्री ने वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिए वृक्षारोपण कार्यक्रम के तहत रोपित पौधों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। प्रदेश में वन विभाग द्वारा इस वर्ष विभिन्न मदों के अंतर्गत पांच करोड़ एक लाख पौधे के रोपण का लक्ष्य रखा गया है।
बैठक में वनमंत्री श्री मोहम्मद अकबर, मुख्य सचिव श्री आर.पी. मण्डल, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, वन विभाग के प्रमुख सचिव श्री मनोज कुमार पिंगुआ, प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री राकेश चतुर्वेदी, वन विभाग के सचिव श्री जयसिंह म्हस्के तथा मुख्यमंत्री सचिवालय में उप सचिव सुश्री सौम्या चौरसिया और वरिष्ठ विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने बैठक में कहा कि जिन हितग्राहियों को वन अधिकार पट्टे दिए जा रहे हैं उन्हें वृक्षारोपण के साथ जोड़ा जाना चाहिए और इन हितग्राहियों की जमीन पर मनरेगा और वन विभाग की योजनाओं के तहत अभियान चलाकर महुआ, हर्रा, बहेरा, आंवला, आम, इमली, चिरौंजी जैसे अलग-अलग प्रजातियों के फलदार वृक्ष लगाए जाएं, इससे भी जंगल बचेगा और हितग्राही को आमदनी भी होगी। श्री बघेल ने कहा कि इन हितग्राहियों को तत्काल आय का साधन उपलब्ध कराने के लिए उनकी जमीन पर तीखुर, हल्दी और जिमीकांदा भी लगाया जाना चाहिए, जिससे उन्हें इन उत्पादों के जरिए जल्द आय का साधन मिल सके। श्री बघेल ने कहा कि आज आदिवासी जंगलों से विमुख हो रहे हैं क्योंकि जंगल उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। हमें जंगलों को वनवासियों के लिए रोजगार और आय का जरिया बनाना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि फलदार वृक्ष लगाने के साथ-साथ लघु वनोपजों के संग्रहण और उनकी मार्केटिंग तथा वैल्यू एडिशन का भी एक सिस्टम तैयार किया जाना चाहिए, जिससे अधिक से अधिक लोगों को रोजगार से जोड़ा जा सके। जंगलों, सड़कों के किनारे और राम वन गमन पथ के किनारे आम, बरगद, पीपल, नीम जैसी प्रजातियों के पौधे भी लगाए जाएं।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने बैठक में निर्देश दिए कि वृक्षारोपण कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए स्थानीय लोगों और वनवासियों को अधिकाधिक जोड़ा जाए। राज्य में चालू वर्ष में रायपुर से जगदलपुर तक 300 किलो मीटर के राष्ट्रीय राजमार्ग में दोनों ओर वृक्षारोपण किया जाएगा। साथ ही प्रदेश में 1300 किलो मीटर लम्बाई के राम वन गमन पथ के 75 विभिन्न स्थलों में आम, बरगद, पीपल, नीम तथा आंवला आदि फलदार प्रजाति के पौधों का रोपण किया जाएगा। श्री बघेल ने कहा कि प्रदेश में बनाए जा रहे गौठानों में अभियान चलाकर जुलाई माह में लघु वनोपजों के 50 लाख पौधों का रोपण किया जाए। उन्होंने बैठक में वृक्षारोपण के तहत रोपित पौधों की सुरक्षा के लिए प्रदेश में स्व-सहायता समूहों द्वारा बांस ट्री गार्ड के निर्माण की प्रशंसा की और इसे बढ़ावा देने के लिए आवश्यक निर्देश दिए। वर्तमान में समूहों द्वारा एक लाख बांस ट्री गार्ड का निर्माण हो चुका हैै तथा तीन लाख और बांस ट्री गार्ड का निर्माण जारी है। इससे समूहों को 16 करोड़ रूपए की आमदनी होगी। श्री बघेल ने आवर्ती चराई योजना के तहत वन क्षेत्रों में पशुओं के लिए चारागाह घेरने, शेड निर्माण और वहां वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन के साथ-साथ देशी मुर्गी पालन तथा बतख और सूकर पालन जैसे गतिविधियों को बढ़ावा देने के निर्देश दिए। इसके तहत वर्तमान में स्वीकृत 590 कार्याें में से 324 कार्य प्रगति पर है। नरवा विकास कार्यक्रम के तहत वन विभाग द्वारा चालू वर्ष में 210 करोड़ रूपए की राशि के 302 नालों में जल संवर्धन संबंधित कार्य कराए जा रहे हैं। इसके अलावा वनांचल में 137 बड़े-बड़े तालाबों के निर्माण के लिए प्रस्ताव स्वीकृति की कार्यवाही प्रगति पर है। बैठक में बताया गया कि कोरोना संक्रमण के बचाव के लिए वन प्रबंधन समितियों और महिला स्व सहायता समूहों की लगभग एक हजार महिलाओं द्वारा 50 लाख मास्क का निर्माण किया जा चुका है। इससे इन महिलाओं को डेढ करोड़ रूपए की आमदनी होगी।
वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने बैठक में बताया कि इस वर्ष तेंदूपत्ता तोड़ाई के पारिश्रमिक का भुगतान सीधे हितग्राहियों के खाते में करने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश में चालू वर्ष के दौरान तेंदूपत्ता संग्रहण से 12 लाख 53 हजार परिवारों को लगभग 649 करोड़ रूपए का पारिश्रमिक मिलेगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों में होने वाली वनोपजों की जानकारी से संबंधित डाटा एकत्र करने के लिए सर्वे कराया जा रहा है अगले तीन से 4 वर्षों में लघु वनोपजों की ऑनलाइन खरीदी की व्यवस्था तैयार करने का प्रयास किया जा रहा है।
बैठक में बताया गया कि कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान वन विभाग द्वारा अब तक 80 करोड़ रूपए के विकास कार्याें के माध्यम से जरूरतमंदों को तत्परता पूर्वक रोजगार उपलब्ध कराया गया है। इसी तरह देश में सर्वाधिक 26 करोड़ रूपए की राशि के लघु वनोपजों का संग्रहण कर बड़ी तादाद में लाभ दिलाया गया है। राज्य में अब तक लगभग 165 करोड़ रूपए की राशि के 4 लाख 11 हजार 222 मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्र्रहण हो चुका है। इसके माध्यम से लोगों को रोजगार के साथ-साथ आय का लाभ मिल रहा है। इसी तरह वनों में अग्नि दुर्घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग अंतर्गत कुल 3 हजार 506 बीटों में अग्नि रक्षक लगाकर रोजगार उपलब्ध कराया गया। इसके अलावा 241 नर्सरियों में पौधा तैयार करने तथा संयुक्त वन प्रबंधक के अंतर्गत वर्मी कम्पोस्ट, मशरूम उत्पादन, मछली पालन, तालाब गहरीकरण, बांस ट्री गार्ड निर्माण, लाख चूड़ी उत्पादन और भू-जल संरक्षण कार्य तथा नरवा विकास कार्याें के माध्यम से काफी तादाद में लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। बैठक में बताया गया कि बस्तर में इमली की प्रोसेसिंग के माध्यम से लगभग 12 हजार महिलाएं जुड़ी हैं इन्हें हर माह ढाई हजार से 3 हजार रूपए की आय हो रही है। चिरौंजी, रंगीली लाख, कुसमी लाख, शहद, महुआ बीज संग्रहण और प्रोसेसिंग के माध्यम से 8580 महिलाओं को काम मिला है। जशपुर में महुआ से सेनेटाइजर बनाया जा रहा है।

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