किसानों के साथ न्याय नहीं, अन्याय हो रहा है — कौशिक
रायपुर — भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता व प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा है कि प्रदेश सरकार किसानों के हितों की चिंता नहीं कर रही है बल्कि केवल सत्ता सुख के लिये किसानों को छल रही है। श्री कौशिक ने कहा कि कांग्रेस ने कभी किसानों के साथ न्याय नहीं, हमेशा अन्याय किया है। अब प्रदेश का हर किसान एक ही बात पूछ रहा है कि उसके धान मूल्य की अंतर की राशि और दो साल के बकाया बोनस का भुगतान कब आयेगा?
नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने कहा कि पूरे प्रदेश में किसानों से हर वर्ग में प्रदेश सरकार के प्रति भारी आक्रोश है। इस सरकार को दिल्ली को कोसने के अलावा किसी की चिंता नहीं है। प्रदेश की चिंता होती, तो अब तक के किसानों को बाकी बोनस का भुगतान भी मिल जाता लेकिन प्रदेश सरकार इईस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। श्री कौशिक ने कहा कि पूरे प्रदेश में 19.55 लाख किसानों का पंजीयन हुआ था। 25.28 लाख हेक्टेयर याने करीब 63 लाख एकड़ में 9.48 हजार करोड़ क्विंटल धान की खरीदी होनी थी लेकिन करीब 8.30 हजार करोड़ क्विटंल धान ही खरीदा गया है। इस तरह करीब 1.18 हजार करोड़ क्विटंल धान कम खरीद गया जिससे किसानों को करीब तीन हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। पहले ही रकबे में कटौती कर दी गई थी और किसानों का धान ही कम खरीदा गया है।
नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने कहा कि प्रदेश सरकार ने न्याय योजना के लिये 5100 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है लेकिन कृषि विभाग ने केवल 1500 करोड़ रुपए की राशि ही जारी की है। प्रदेश सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए श्री कौशिक ने कहा कि आखिरकार किसानों के साथ कैसा न्याय हुआ है? इस पूरे मसले पर प्रदेश सरकार के पास जवाब भी नहीं है और न्याय योजना के नाम पर वह केवल भ्रम फैलाने काम कर रही है। श्री कौशिक ने कहा कि पूरे प्रदेश में धान सोसाइटियों में पड़ा है। इसकी कोई चिंता नहीं कर रहा है । पूरी सरकार सत्ता सुख लेने में मशगूल है। बस्तर से सरगुजा और कवर्धा से कोंटा तक किसान, युवा, महिला सब निराश व परेशान हैं। भोरमदेव के 12.77 हजार किसानों को अब तक करीब 57 करोड़ की राशि नहीं दी गई है। कवर्धा में किसानों का गन्ना के बोनस का 15 करोड़ नहीं मिला है।
नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने कहा कि जब हमारी सरकार प्रदेश में थी तब गन्ने के प्रति क्विटंल 50 रुपये बोनस का प्रावधान था। बस्तर में मक्का उत्पादक किसानों की हालत भी चिंताजनक है। मक्का का समर्थन मूल्य 1760 रु. प्रति क्विंटल है लेकिन बस्तर के फरसगाँव और पखांजूर में वह नहीं खरीदा जा रहा है। यहां किसान कम दामों में अपनी उपज बेचने को विवश है। बीजापुर के सीमावर्ती राज्य तेलंगाना से श्रमिकों को साजिश के तहत तेन्दूपत्ता की तोड़ाई के काम के लिये लाया गया है। इससे वहां के स्थानीय श्रमिकों का हक मारा जा रहा है। श्री कौशिक ने कहा कि इस कोरोना काल में कांग्रेस द्वारा अपने वादे के मुताबिक युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने का सही समय था, लेकिन यह सब कांग्रेस की प्राथमिकता में नहीं है। इस कोरोना काल में प्रदेश सरकार को किसानों, श्रमिकों किसी की चिंता नहीं है। इस समय प्रदेश की कांग्रेस सरकार को संवेदनशीलता से काम करते हुए अहम फैसले लेने की जरूरत है।