मोदी ने फिर किसानों को ठगा, समर्थन मूल्य महंगाई से भी कम बढ़ा ।

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मोदी सरकार पर पूरी तैयारी से बरसे मंत्री रविन्द्र चौबे, शैलेश नितिन त्रिवेदी, गिरीश देवांगन और चंद्रशेखर शुक्ला

 

रायपुर , 2 जून 2020 — केंद्र सरकार द्वारा धान के समर्थन मूल्य में आंशिक तौर पर की गई वृद्धि को लेकर छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने पूरी तैयारी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला। संवाददाता सम्मेलन में मंत्री रविन्द्र चौबे, कांग्रेस मीडिया चीफ शैलेश नितिन त्रिवेदी, उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन और महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला ने तथ्यों को रखते हुए जमकर आक्रमण किया। कांग्रेस नेताओं के संवाददाता सम्मेलन के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं-
· अभूतपूर्व संकट पर पांच वर्षों में सबसे कम वृद्धि
· धान का लागत मूल्य ग़लत ढंग से निकाल कर डेढ़ गुना मूल्य बता रहे हैं।
· किसानों से माफ़ी मांगे भाजपा और केंद्र की सरकार
– नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश के किसानों को एक बार फिर ठग लिया है।
– इस बार की ठगी पिछले पांच सालों की सबसे बड़ी ठगी है. धान का समर्थन मूल्य पिछले पांच वर्षों में सबसे कम बढ़ाया गया है।
– धान का समर्थन मूल्य वैसे तो 53 रुपए बढ़ाया गया है लेकिन अगर प्रतिशत में देखें तो पिछले साल की तुलना में समर्थन मूल्य सिर्फ़ 2.92 प्रतिशत बढ़ा है।
– नरेंद्र मोदी सरकार ने कल चार कथाकतिथ बड़ी घोषणाएं की हैं. लेकिन चारों में झूठ और ठगी छिपी हुई है।
– पहले तो समर्थन मूल्य में न्यूनतम बढ़ोत्तरी करते हुए यह कहना कि किसान को लागत का डेढ़ गुना मूल्य मिल रहा है. दरअसल सरकार ने लागत का आकलन की ग़लत किया है।
– जिन 14 फसलों का समर्थन मूल्य घोषित किया है उनमें दो को छोड़कर सब पांच प्रतिशत या उससे से कम हैं।
– धान और अन्य फसलों के समर्थन मूल्य में वृद्धि तो बाज़ार में बढ़ी महंगाई की दर से भी कम है।
– दूसरी घोषणा यह है कि किसानों को 7 प्रतिशत की दर पर कर्ज़ दिया जाएगा. सच यह है कि यह पुरानी योजना है।
– तीसरी घोषणा समय पर कर्ज़ चुकाने पर तीन प्रतिशत सब्सिडी देने की है. इसका सच भी यह है कि यह छूट पहले से मिलती आ रही है।
– चौथी घोषणा यह है कि किसानों के लिए ब्याज़ में छूट 31 अगस्त तक बढ़ा दी गई है. सच यह है कि किसानों को ब्याज़ से छूट नहीं है बल्कि पटाने के समय में छूट मिली है।
– ऐसे समय में जब किसान दबाव और तनाव में है मोदी सरकार ने किसानों का भला करने के लिए कोई ठोस क़दम नहीं उठाए हैं।

मूल्य का गलत आकलन

– 20 जून, 2018 को नमो ऐप पर किसानों से बातचीत करते हुए खुद मोदी जी ने ‘लागत+50 प्रतिशत’ का आंकलन ‘C2’ के आधार पर देने का वादा किया था।
– उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि फसल की लागत मूल्य में किसान के मज़दूरी व परिश्रम + बीज + खाद + मशीन + सिंचाई + ज़मीन का किराया आदि शामिल किया जाएगा।
– लेकिन लागत का आकलन करते हुए इस फ़ॉर्मूले को दरकिनार कर दिया गया।
– केंद्र सरकार कह रही है कि धान की प्रति क्विंटल लागत 1245 रुपए है. अगर इसमें सारे खर्च जोड़ दिए जाएं तो किसी भी सूरत में धान की लागत इससे बहुत अधिक पड़ती है।
– यानी मोदी जी का किसानों की आय दोगुनी करने का वादा आज फिर से जुमला बन गया।
यूपीए बनाम एनडीए
– भाजपा की अटल बिहारी वाजपेई सरकार ने धान का समर्थन मूल्य 6 वर्षो में 490 रू. से 550 रू. किया था। यानी मात्र 60 रू. की वृद्धि की थी।
– अब मोदी सरकार ने शुरुआत के चार वर्षो में मात्र 200 रु.की वृद्धि की थी. चूंकि 2018-19 चुनावी साल था तो उस साल 200 रू. की वृद्धि हुई और चुनाव ख़त्म होते ही वृद्धि 85 रू. पर सिमट गई।
– इस वर्ष सिर्फ 53 रू. प्रति क्विंटल की वृद्धि।
– जबकि कांग्रेस ने 10 वर्षो में समर्थन मूल्य में 890 रू. की वृद्धि की।
– यूपीए-1 में धान का समर्थन मूल्य 5 वर्षों में 2004 से 2009 तक 450 रूपए बढ़ाया गया। और धान का मूल्य 550 रू. प्रति कि्ंवटल से 900 रू. प्रति कि्ंवटल हो गया।
– यूपीए-2 में 2009 से 2014 तक 5 वर्षों में धान का समर्थन मूल्य 440 रूपए बढ़ाया गया।
सब्सिडी का षडयंत्र मंज़ूर नहीं।
खेती की लागत बढ़ रही है तो धान का दाम उसी अनुपात में क्यों नहीं बढ़े?
लगातार कृषि आदानों खाद कीटनाशक दवा कृषि उपकरणों में जीएसटी लगने से दाम बढ़े।
– एक और षडयंत्र किसानों के खिलाफ चल रहा है। वो यह कि किसानों को मिलने वाली सारी सब्सिडी को ख़त्म करके उसे नकद के रूप में किसान के खातों में डाल दिया जाए।
– यह किसानों को ठगने का एक और षडयंत्र है। सब्सिडी की राशि आज के मूल्य पर गिनकर खातों में डाल दी जाएगी और किसानों को बाज़ार मूल्य पर खाद आदि ख़रीदने को कहा जाएगा। बाज़ार की क़ीमतें बढ़ती जाएंगीं और सब्सिडी स्थिर रहेगी।
– अगर मोदी सरकार में हिम्मत है तो किसानों के लिए यह योजना लागू करने के साथ उद्योगों में भी लागू करें कम से कम अपने चहेते उद्योगपतियों पर लागू करे और उन उद्योगों से कहा जाए कि ज़मीन, बिजली, पानी और टैक्स की छूट ख़त्म करके नकद दे देंगे और वे भुगतान बाज़ार दर पर करें। क्या उद्योग ऐसा कर पायेंगे?? अगर उद्योग ऐसा नहीं सकते तो किसानों के साथ सब्सिडी का यह षड़यंत्र क्यों?
– कृषि आदानों खाद, कीटनाशक दवाओं और कृषि उपकरणो पर जीएसटी लगाने से इनकी लागत बढ़ गयी है।
– कृषि के यंत्रीकरण के साथ ट्रेक्टर हारवेस्टर का उपयोग बढ़ा है। डीजल के दामों में एक्साइज लगातार बढ़ाकर किसानों के जेब से पैसे निकालने का काम केन्द्र सरकार द्वारा किया जा रहा है।
– खेती में श्रम लागत भी बढ़ रही है।
– यदि किसानों की लागत बढ़ेगी तो उसी अनुपात में धान का दाम क्यों नहीं बढ़ाया केन्द्र सरकार ने?
– ऐसे तो किसान की आय 2022 तक दुगुनी करने का लक्ष्य नहीं प्राप्त होगा।
– चूंकि अभी लोकसभा या विधानसभा चुनाव नहीं है भाजपा का चाल चरित्र चेहरा है कि किसानों को लगातार धोखा, छल करने का काम करती है। इसीलिये अभी 53 रू. प्रति क्विंटल बढ़ाकर किसानों के साथ छल कर रही है।
पत्रकारवार्ता में विधायक बृहस्पति सिंह, वरिष्ठ नेता राजेन्द्र तिवारी, पूर्व विधायक एवं संचार विभाग सदस्य रमेश वर्ल्यानी, प्रदेश उपाध्यक्ष प्रतिमा चंद्राकर, प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर, विकास तिवारी, एम.ए. इकबाल, सुरेन्द्र वर्मा, मीडिया समन्वयक अजय गंगवानी, प्रकाशमणि वैष्णव, स्वपनिल मिश्रा उपस्थित थे।

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