स्पेशल रिपोर्ट : हलवाई से दुग्ध महासंघ के अध्यक्ष बनने की अरण्य गाथा ।
रसिक परमार , देवभोग दुग्ध महासंघ अध्यक्ष
रायपुर — किसी जमाने में गुढ़ियारी क्षेत्र में मिठाई दुकान चलाने वाला रसिक परमार आज दुग्ध महासंघ का अध्यक्ष है । भाजपा के संगठन मंत्री रहे रामप्रताप के करीबी माने जाने वाले परमार पर प्रावधानों के खिलाफ काम करने का भी आरोप है, दुकानदारी करते-करते रसिक परमार की किस्मत ऐसे पलटी कि उन्हें दुग्ध महासंघ का चेयरमैन बना दिया गया। इस दरमियान उन्होंने एक आलीशान मकान बनाया तथा उस मकान को 140000 प्रति माह के हिसाब से एक्सिस बैंक को किराए पर दे दिया। परंतु ग्राहकों के अभाव में बैंक की हालत पतली होने लगी और बैंक को किराया तक पटाना मुश्किल होने लगा। फिर क्या बैंक प्रबंधन ने परमार का मकान छोड़ने का निर्णय लिया। बैंक द्वारा मकान छोड़ने जाने को सुनकर परमार के पैर फूलने लगे। परमार ने आनन-फानन में दुग्ध महासंघ के सभी खाता इसी बैंक में ट्रांसफर करवा दिया। जिससे बैंक की रात चौगुनी दिन दुगनी कमाई होने लगी। भाजपा शासन काल मे इन्हें राज्य मंत्री का भी दर्जा प्राप्त था अब मंत्री से कौन टकराने कि हिम्मत करें। इस बीच अध्यक्ष रसीक परमार को साथ साथ काम करने के लिए एक साथी भी मिल गया वे है डॉक्टर शिवशंकर गहरवार भाजपा शासन काल में प्रबंध संचालक, दुग्ध महासंघ अभी वर्तमान में पूर्व मुख्यमंत्री के ओएसडी इन दोनों महाशयों ने दुग्ध महासंघ मे खुब वारे न्यारे किए मुख्यमंत्री, मंत्रियों के हाथों नाना प्रकार के प्रोजेक्टों को लांच किया गया पर बाजार में इन प्रोडक्टों का नामोनिशान नहीं है। जिसमें पानी, कुकीज़, गटागट, एनर्जी ड्रिंक आदि आप मार्केट मे ढूंढते रह जाओगे इन सबको लेकर जाचं समिति भी बनी जांच भी किया गया जांच प्रभारी ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को सीबीआई से जांच कराने का अनुमोदन किया इन सब पर भारी निकला केन घोटाला पर सरकार तो भाजपा की थी तो भाजपा के पोषणकर्ताओं पर कैसे कार्यवाही संभव था।
कार्यवाही न होता देखकर कुछ संस्थाओं ने माननीय उच्च न्यायालय के शरण मे जाना उचित समझा इस पर उच्च न्यायालय ने प्रबंधन संचालक पद पर काबिज गहरवार को हटाने का आदेश दे दिया पर रसीक ने फिर से खिचड़ी पकाकर गहरवार को वापस प्रबंध संचालक नियुक्त कर दिया। गहरवार की वापसी को लेकर उच्च न्यायालय ने दुग्ध महासंघ को फटकार भी लगाई थी। छत्तीसगढ़ से भाजपा का शासन समाप्ति पर रसीक को स्वतः पद छोड़ना देना था किंतु पद और पैसों कि लालसा मे भाजपा शासन काल का फायदा लेते हुए विधानसभा चुनाव से पहले गुपचुप तरीके से कम महासंघ का भी चुनाव करा लिया गया यह प्रकरण भी माननीय उच्च न्यायालय में लंबित है।
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Taja khabar के लिए रायपुर से शिव दत्ता की रिपोर्ट ।