लघु वनोपजों में वेल्यू एडीशन के उद्योगों को हर संभव मदद — भूपेश बघेल

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मुख्यमंत्री ने बस्तर, कांकेर, धमतरी, महासमुन्द, बालोद के उद्योगपतियों के साथ की चर्चा

लघु वनोपजों और वनौषधियों से वनवासियों को सतत रोजगार देने की नीति पर विचार-विमर्श

 

रायपुर,14 जून 2020 — मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि राज्य सरकार लघु वनोपजों और वनौषधियों में वेल्यू एडीशन करने वाले उद्योगों को हर संभव मदद देगी। वेल्यू एडीशन से न केवल वनवासियों को लाभ होगा, अपितु उद्योगपतियों और व्यवसायियों को भी अच्छा फायदा होगा। मुख्यमंत्री आज यहां अपने निवास कार्यालय में बस्तर, धमतरी, महासमुन्द, कांकेर, बालोद के उद्योगपतियों और व्यापारियों के साथ विचार-विमर्श कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के अधिकांश उद्योगपति और व्यापारी वर्तमान में लघु वनोपजों की खरीदी करके बड़ी कम्पनियों को सप्लाई करते हैं। यदि वे लघु वनोपजों का वेल्यू एडीशन करें, तो इससे जहां स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, वहीं व्यापारियों को भी अच्छा लाभ होगा और राज्य सरकार के राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि वेल्यू एडीशन के लिए आगे आने वाले उद्योगपतियों और व्यापारियों को कोई अड़चन आती है, तो उसे दूर करने के लिए राज्य सरकार पूरी संवेदनशीलता के साथ मदद करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए उद्योगपति और व्यवसायी लघु वनोपज का संग्रह करने वाली समितियों से गुणवत्ता और मूल्य के बारे में चर्चा करें। वेल्यू एडीशन के प्लांट में इन लोगों को काम दें और फिनिशड प्रोडक्ट तैयार कर बड़ी कम्पनियों को दें या व्यापारिक संस्थाओं के माध्यम से इसकी मार्केटिंग कराएं। उन्होंने कहा कि अपनी फैक्ट्री में स्थानीय संग्राहकों को काम दें, इससे उन्हें रोजगार और आय का एक नया जरिया मिलेगा और व्यापारियों को भी लाभ होगा।
श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 44 प्रतिशत भू-भाग में वन है, यहां लघु वनोपज और वनौषधियां नैसर्गिक रूप से प्रचुर मात्रा मंे पायी जाती हैं। राज्य सरकार द्वारा 31 प्रकार की लघु वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर संग्राहकों के माध्यम से की जा रही है। लाॅकडाउन के दौरान देश का लगभग 99 प्रतिशत लघु वनोपज का संग्रहण एवं खरीदी छत्तीसगढ़ में की गई, इससे वनवासियों को संकट के समय में भी बड़ा आर्थिक संबल मिला है। महिला स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को बड़ी संख्या में रोजगार मिला। तेंदूपत्ता का संग्रहण 4000 रूपए प्रति मानक बोरे की दर पर किया जा रहा है। महुआ का समर्थन मूल्य बढ़ाकर 30 रूपए किया गया, इससे बाजार में 40 रूपए प्रति किलो पर भी महुआ बिका। लाॅकडाउन में बड़े पैमाने पर मनरेगा के काम प्रारंभ किए गए जिसमें औसतन 26 लाख लोगों को काम मिला। आदिवासियों को मनरेगा और वनोपजों के संग्रहण कार्य के जरिए आय का साधन मिला और वे इन कार्याें में व्यस्त हो गए। राज्य सरकार ने स्थानीय निवासियों के माध्यम से बांस कटाई कराने का फैसला किया और कटाई के रेट भी बढ़ाए, इससे भोपालपट्टनम में 20 साल बाद पहली बार बांस की कटाई हो सकी। बांस से ट्री गार्ड बनवाने का फैसला भी किया गया, स्थानीय लोगों द्वारा 25 हजार बांस से ट्री गार्ड तैयार किए गए, इससे भी उन्हें आमदनी हुई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों और वनवासियों को सतत रूप से आय का जरिया मिलते रहे, इसके लिए वन विभाग को जंगलों में इमारती लकड़ी की जगह चार चिरौंजी, इमली जैसे लघु वनोपज के वनों का रोपण करने के निर्देश दिए गए हैं। वन अधिकार पट्टा प्राप्त हितग्राहियों की जमीन में भी ऐसे पौधों का रोपण करने को कहा गया है। इन पौधों के बीच इंटर क्राॅपिंग के जरिए हल्दी, अदरक, तिखुर की खेती की जा सकती है। इससे वनवासियों को वर्ष भर आमदनी मिलती रहेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आंवला और चिरौंजी के वृक्ष को बिना नुकसान पहुंचाए आंवला और चिरौंजी की तोड़ाई के लिए तकनीक विकसित करनी होगी। जिससे इनके वृक्ष भी बचे रहें। उन्होंने कहा कि हर गांव में 3 से 5 एकड़ की जमीन पर गौठान विकसित किए जा रहे हैं, जहां फलदार वृक्षों के साथ-साथ लघु वनोपज और वन औषधियों के पौधे भी लगाए जा रहे हैं। गौठानों को राज्य सरकार आजीविका केंद्र के रूप में विकसित करने का प्रयास कर रही है। व्यवसायी इन केंद्रों से जुड़कर वहां काम कर रहे समूहों की सहायता से प्रोसेसिंग का काम प्रारंभ कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि गौठान आने वाले समय में छत्तीसगढ़ में बड़े बदलाव का माध्यम बनेगा। खुले में मवेशी नहीं रहने से किसानों को दोहरी फसल लेने में भी सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि गौठानों में पशु पालन और डेयरी का काम भी किया जा रहा है। गौठानों के प्रबंधन एवं संचालक के लिए व्यवसायी एवं उद्योगपति अपने अनुभव एवं ज्ञान से ग्रामीणों की मदद कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्योगों का पहिया चलेगा तो लोगों को रोजगार मिलेगा इस बात का ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ में लाॅकडाउन के दौरान लोगों को रोजगार देने की पहल की गई, अप्रैल से उद्योगों को प्रारंभ करने की अनुमति दी गई। इस दौरान छत्तीसगढ़ से देश में लगभग 90 प्रतिशत इस्पात की आपूर्ति की गई। चर्चा के दौरान उद्योगपतियों ने अपनी विभिन्न समस्याओं की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने उन पर गंभीरता पूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर सर्वश्री मोहन भाई पटेल, मुकेश ढोलकिया, जीतेन्द्र चंद्राकर, सुरेश जैन, रोशन अग्रवाल, प्रमोद चंद्राकर और दीपक उपाध्याय सहित अनेक उद्योगपति चर्चा में शामिल हुए।

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