पूरा देश भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और भूभागीय अखंडता की रक्षा के लिए एकजुट है — मरकाम

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चीनी सेना के हजारोंसैनिकों ने गलवान वैली और पैंगोंग सो लेक एरिया (लद्दाख) में घुसपैठ कर हमारी ‘भूभागीय अखंडता’ पर अतिक्रमण का दुस्साहसकिया है

चीनी सैनिकों के हाथ हमारे जांबाज और बहादुर अधिकारी और सैनिकों की शहादत की खबरें बहुत ही चौंकाने वाली, भयावह और पूर्णतया अस्वीकार्य हैं

पूरा देश क्षुब्ध है, रोष में है, परंतु प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री, श्री राजनाथ सिंह ने पूरी तरह सेचुप्पी साध ली है

 

 

रायपुर , 16 जून 2020 —  चीनी हमले में जांबाज और बहादुर सेना अधिकारी और सैनिकों के मारे जाने पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि चीनी सेना द्वारा लद्दाख में तीन स्थानों पर अप्रैल/मई, 2020 के बाद भारतीय सीमा में की गई घुसपैठ की खबरों ने पूरे देश में गंभीरचिंता व व्यग्रता पैदा कर दी, पर सीमा में घुसपैठ के तथाकथित चीनी दुस्साहस पर मोदी सरकार ने मौन साध लिया। कथित तौरसे ये घुसपैठ लद्दाख में गलवान नदी वैली, हाॅट स्प्रिंग्स और पैंगोंग सो झील के इलाके में हुई।

भारत की ‘सुरक्षा व क्षेत्रीय अखंडता’ से कोई समझौता स्वीकार नहीं किया जा सकता।
खबरों की मानें तो चीनी सेना के हजारोंसैनिकों ने गलवान वैली और पैंगोंग सो लेक एरिया (लद्दाख) में घुसपैठ कर हमारी ‘भूभागीय अखंडता’ पर अतिक्रमण का दुस्साहसकिया है।

पिछले पांच दशकों में, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एक भी दुर्घटना या हमारे सैनिक की शहादत भारत-चीन सीमा पर नहीं हुई है।गहरी चिंता व स्तब्ध करने वाली बात यह है कि आज दोपहर के बाद से, सभी समाचार चैनलों/समाचार पत्रों ने चीनी सेना द्वाराभारतीय सेना के एक अधिकारी और दो सैनिकों के मारे जाने की पूरी तरह से अप्रत्याशित और अस्वीकार्य खबर दी है। भारतीयसेना द्वारा 12.52 बजे कथित रूप से जारी एक बयान में हमारे अफसर व सैनिकों के वीरगति प्राप्त करने की पुष्टि की गई है (और बाद में1.08 बजे यह बयान संशोधित कर दिया गया)। प्रत्येक समाचार एजेंसी और समाचार चैनल द्वारा भारतीय सेना के इस बयान कोदिखाया जा रहा है। हमारे कुछ जवानों के गंभीर रूप से घायल होने की खबरें भी आ रही हैं।

यदि यह सच है, तो चीनी सैनिकों के हाथ हमारे जांबाज और बहादुर अधिकारी और सैनिकों की शहादत की खबरें बहुत हीचौंकाने वाली, भयावह और पूर्णतया अस्वीकार्य हैं।

इन खबरों को सुन पूरा देश क्षुब्ध है, रोष में है, परंतु प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री, श्री राजनाथ सिंह ने पूरी तरह सेचुप्पी साध ली है।

प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री को आगे आकर देश को जवाब देना चाहिए:-

1. क्या यह सच है कि चीनी सेना ने गलवान घाटी में भारतीय सेना के एक अधिकारी और सैनिकों को मार डाला है? क्या यह सही हैकि अन्य भारतीय सैनिक भी इस हमले में गंभीर रूप से घायल हुए हैं? यदि हां, तो पीएम मोदी और रक्षामंत्री पूरी तरह चुप्पी क्यों साधेहुए हैं?

2. भारतीय सेना के कथित बयान के मुताबिक हमारी सेना के उच्च अधिकारी और सैनिक कल रात उस समय शहीद हुए थे, जब डी-एस्केलेशन की प्रक्रिया गलवान घाटी में चल रही थी।

क्या प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री इस बात पर राष्ट्र को विश्वास में लेंगे कि हमारे अधिकारी और सैनिक ऐसे समय में कैसे शहीद हो सकते हैंजबकि चीनी सेना कथित तौर पर गलवान घाटी के हमारे क्षेत्र से कब्जा छोड़ वापस जा रही थी? केंद्रीय सरकार बताए कि हमारे उच्चसेना अधिकारी और सैनिक कैसे और किन परिस्थितियों में शहीद हुए?

अगर हमारे अधिकारी और सैनिकों के शहीद होने का यह वाक्या कल रात हुआ था, तो आज 12.52 बजे दोपहर बयान क्यों जारी कियागया और 16 मिनट बाद ही यानि 1.08 बजे दोपहर बयान क्यों बदला गया?

3. प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री ने अप्रैल/मई, 2020 से चीनी सेना द्वारा हमारे क्षेत्र पर कब्जे बारे चुप्पी बनाए रखी है और सार्वजनिकपटल पर किसी भी सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया।

क्या प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री अब आगे बढ़कर देश को यह बताने का साहस करेंगे कि अप्रैल/मई 2020 तक भारत की सीमा के कितनेक्षेत्र में चीन ने अवैध कब्जा कर लिया है? यह भी बताएं कि वे कौन से हालात व स्थिति हैं, जिनके चलते हमारे बहादुर सैन्य अधिकारी वसैनिकों की शहादत हुई है, जबकि चीनी सैनिकों को भारतीय सीमा से पीछे हट ‘वास्तविक नियंत्रण रेखा’ तक जाने के लिए मजबूरकिया जाना था? क्या प्रधानमंत्री राष्ट्र को विश्वास में लेंगे?

4. क्या प्रधानमंत्री बताएंगे कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता के लिए पैदा हुई इस चुनौतीपूर्ण व गंभीर स्थिति सेनिपटने के लिए भारत सरकार की नीति क्या है?

कांग्रेस पार्टी का यह मानना है कि पूरा देश भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और भूभागीय अखंडता की रक्षा के लिए एकजुट है। पर मोदीसरकार को यह याद रखना होगा कि संसदीय प्रणाली में शासकों की गोपनीयता या चुप्पी का कोई स्थान नहीं है ।

 

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