जवानो की शहादत पर देश की एक जुटता प्रशंसनीय – राजेश बिस्सा
राष्ट्र हित के लिये शासन पर जनता का दवाब जरुरी
रायपुर — कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेश बिस्सा ने कहा की प्रधानमंत्री जी द्वारा चीन – भारत मुद्दे को लेकर 19 जून की शाम को सर्वदलीय बैठक आयोजित किये जाने का निर्णय कांग्रेस व जागृत जनता का उनके ऊपर बनाये गये दवाब का नतीजा है। राष्ट्र हित के लिये शासन पर जनता का दवाब जरुरी होता है जिसे निरंतर कायम रखना होगा। तभी देश की व्यवस्था पुनः पटरी पर लौट सकेगी।
बिस्सा ने भारत-चीन लद्दाख बॉर्डर पर शहादत को प्राप्त हुए 20 भारतीय जवानों जिसमें बस्तर का नव युवा गणेश कुंजाम भी था को श्रद्धांजली अर्पित करते हुए कहा की इन सपूतों ने तो राष्ट्र के खातिर अपनी जान न्योछावर कर दी अब हम सब भारतवासियों का लक्ष्य होना चाहिए कि इनकी शहादत व्यर्थ ना जाए। यही उन सेनानियों प्रति सच्ची श्रद्धांजली भी होगी। जवानो की शहादत पर देश ने जो एक जुटता प्रदर्शित की है वह प्रशंसनीय है, इसकी निरंतरता कायम रहनी चाहिये।
बिस्सा ने कहा की आने वाले समय में “राष्ट्र खतरे में है, राष्ट्र को एकता की जरूरत है, राष्ट्र के प्रधानमंत्री के साथ सबको खड़े होकर चलना चाहिए, राष्ट्र प्रथम” जैसी बातें हमारा मुंह बंद कराने का प्रयास करेंगी लेकिन इससे राष्ट्रीय स्वाभिमान और संप्रभुता की रक्षा नहीं की जा सकेगी यह देशवासियों को समझना होगा।
बिस्सा ने कहा की देश में जनमानस के विचारों की दिशा को तय करने वाली दो शक्तियों हावी है। पहला सोशल मीडिया जो पूरी तरह विदेशी लोगों के हाथों में है। दूसरा लोकतंत्र का चौथा स्तंभ विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जिसका बहुत बड़ा भाग पूंजीपतियों के हाथों में है। यह दोनों कभी नहीं चाहेंगे कि कोई ऐसा व्यक्ति शासन करे जिसके ऊपर वे हावी ना हो सके। देशवासियों को इस बात पर गहराई से चिंतन कर अपनी जवाबदारियों का दायरा सुनुश्चित करना होगा।
बिस्सा ने कहा की जब किसी के ऊपर सत्ता में बने रहने की प्रबल इच्छा हावी हो जाती है तब राष्ट्र और जनता के प्रति उसकी प्राथमिकताएं नगण्य हो जाती है। जिस तरह पूरे देश में सत्ता में बने रहने तथा अपनी ताकत बनाए रखने के लिए खरीद-फरोख्त करती भाजपा की राजनीति को हम सब देख रहे हैं, इस बात का साक्षात प्रमाण भी है। इसकी गंभीरता को महसूस करना हम सब लोगों की प्राथमिकता होना चाहिए।
बिस्सा ने कहा की हमारे प्रधानमंत्री बोलने में तो बहुत जोशीले हैं लेकिन रणनीति, कूटनीति, राष्ट्र नीति, विदेश नीति, अर्थ नीति सहित सभी नीतियों में बुरी तरह असफल साबित हुए हैं। जब राजा अक्षम निकल जाए तो जनता को अपनी सक्षमता प्रदर्शित करना चाहिए वरना राष्ट्रीय संप्रभुता खतरे में पड़ सकती है। अब वक्त आ गया है कि जनता आगे बढ़कर प्रश्न करे तथा शासक को मजबूर करे की वो उत्तर दे ना कि प्रश्न के प्रति उत्तर में प्रश्न करे या कीचड़ उछाले।