आम आदमी पार्टी ने सरगुजा के परसा केते कोल ब्लॉक आबंटन के जांच हेतु 11 सदस्यीय जांच दल गठित की
रायपुर — परसा केते कोल ब्लॉक का आबंटन राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को किया गया था।इस कोल ब्लॉक के 2100 एकड़ वन क्षेत्र में खनन हेतु वन विभाग, छत्तीसगढ़ शासन के अतिरिक्त सचिव की आपत्ति के बावजूद केंद्रीय पर्यावरण वन एवम जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा स्टेज वन का फारेस्ट क्लियरेंस 15/01/2019 को जारी कर दिया गया।इसके अलावा और भी कई अनियमितताएं प्रक्रिया में बरती गईं
उक्त मसले में आम आदमी पार्टी, के प्रदेश संयोजक कोमल हुपेंडी ने निम्न बिंदुओं का उल्लेख करते हुए राज्य सरकार व केंद्र सरकार पर आरोप लगाएं है कि
(1) परसा कोल ब्लॉक UPA नित मनमोहन सरकार के समय खनन के लिए No Go क्षेत्र घोषित किया गया था।
(2) उक्त क्षेत्र में जंगली हाथियों, भालुओं का वास है जो खनन से उजड़ जाएंगे और उनका आतंक आबादी वाले क्षेत्रों में बढ़ेगा।
इसके अलावा उक्त क्षेत्र में लाखो पेड़ भी काटने पड़ेंगे।
(3) राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम एवम अदानी ग्रुप के संयुक्त उपक्रम के रूप में “पारस ईस्ट केतेबसान कॉलरिज लिमिटेड” कार्य कर रही है जो कोल माइनिंग नेशनलाईजेशन एक्ट 1973 का उल्लंघन है।
(4) फर्जी ग्राम सभा का आयोजन कर कोल ब्लॉक का आबंटन का अनुमोदन ग्राम सभा से करवाया गया जो कि पूर्णतः गलत है जबकि वंहा के ग्रामीण लगातार इसका विरोध कर रहे है।
प्रदेश सचिव उत्तम जायसवाल ने कहा है कि पार्टी के पास महत्वपूर्ण दस्तावेज उपलब्ध है जिसमे राजस्थान सरकार की कम्पनी का कहना है कि कोल ब्लॉक को सबलेट नहीं किया गया है। जबकि मामला सबलेशन का नहीं स्वामित्व का है क्योंकि राजस्थान सरकार की निगम और अदानी ग्रुप के संयुक्त उपक्रम में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम की हिस्सेदारी 26% है जबकि अदानी ग्रुप की हिस्सेदारी 74% है। राजस्थान सरकार बिजली उत्पादन के लिए संयुक्त उपक्रम से कोयला खरीदती है इसका तीन चौथाई मुनाफा अदानी ग्रुप को जाता है अतः यह स्पष्ट है कि अदानी ग्रुप को एकतरफा फायदा पहुंचाने के लिए कोल ब्लॉक का स्वामित्व अदानी ग्रुप को बड़ी चालाकी के साथ सौंप दिया गया है।
इस आबंटन की पूरी जानकारी हेतु आम आदमी पार्टी ने 11 सदस्यीय जांच दल गठित की है जो 2 अप्रैल को सरगुजा के परसा केते में जाकर ग्रामीणों से जांच हेतु आवश्यक जानकारी एकत्र करेंगे।
*जांच दल में शामिल पदाधिकारियों के नाम*
कोमल हुपेंडी,संकेत ठाकुर,
उत्तम जायसवाल,सूरज उपाध्याय
जसवीर सिंग,प्रफुल्ल बैस,दुर्गा झा,संजय शर्मा,भानु चन्द्रा,मनोज दुबे,सुनील सिंह
आम आदमी पार्टी को यह भी जानकारी मिली है कि SECL जो की भारत सरकार का उपक्रम है वह माइनिंग के जोखिम को देखते हुए मजदूरों को 60000रु/प्रतिमाह का भुगतान करती है जबकि अडानी की कम्पनी 15से20000रु/माह का भुगतान करती है जो कि श्रमिक हित के मापदंडो के अनुरूप नही है।
निम्नलिखत मांगो के साथ जल्द ही आम आदमी पार्टी प्रदेश के मुख्मंत्री व राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगे।
(1)परसा केते कोल ब्लॉक का आबंटन रद्द करने की कार्यवाही की जाए।
(2)अन्य आबंटित कोल ब्लॉक्स में खनन की अनुमति तब तक न दी जाए जब तक सम्बंधित कम्पनी उजड़े गए वनक्षेत्र के बराबर पौध रोपण को चार वर्ष तक सफल न कर दें।
(3) माइनिंग क्षेत्रों में श्रमिक वर्ग के शोषण को रोकने की व्यवस्था की जाए।
(4) राजस्व ग्राम को परिवर्तित कर वन ग्राम घोषित होने के बाउजूद षड्यंत्र पूर्वक तरीके से वनाधिकार पट्टा का वितरण क्षेत्र में नहीं किया गया वन अधिकार पट्टा का वितरण जल्द क्षेत्र में किया जावे।