भाजपा ने पूछा : कहीं प्रदेश में पशुधन का सफाया करने का कोई बड़ा षड्यंत्र तो अमल में नहीं लाया जा रहा है?
दो दिनों में गौ-वंश की हुई अस्वाभाविक मौतों ने सरकार और प्रशासन तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए : शर्मा
बढ़ते कोरोना संक्रमण को रोकने के बजाय प्रदेश सरकार छत्तीसगढ़ के त्योहारों के राजनीतिकरण के मोह में उलझी है
रायपुर — भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता व विधायक शिवरतन शर्मा ने सड़कों पर हो रही मवेशियों की मौत के लिए प्रदेश सरकार और उसके प्रशासन तंत्र को ज़िम्मेदार ठहराते हुए इसमें प्रदेश में गौ-वंश के सफाए के षड्यंत्र की आशंका जताई है। श्री शर्मा ने कहा कि गौ-वंश की रक्षा न कर पाना प्रदेश सरकार के कृषि-विरोधी चरित्र का परिचायक है। एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के हर पारंपरिक त्योहारों का राजनीतिकरण करके प्रदेश की संस्कृति और समृद्ध परंपराओं के साथ निंदनीय खिलवाड़ करने पर आमादा हैं, वहीं गौ-धन न्याय योजना और ‘रोका-छेका’ की एक नई सियासी नौटंकी खेलकर वे अपने दोहरे राजनीतिक चरित्र का प्रदर्शन कर रहे हैं।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व विधायक श्री शर्मा ने कहा कि लगातार दो दिनों से गौ-वंश की हुई अस्वाभाविक मौतों ने सरकार और प्रशासन तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। महासमुंद ज़िला मुख्यालय से सटे झालखम्हरिया में शनिवार को राष्ट्रीय राजमार्ग पर 13 गायों को अज्ञात वाहन द्वारा रौंदकर मार दिए जाने की दर्दनाक घटना के बाद बलौदाबाजार में 16 गायों की तड़प-तड़पकर हुई मौत प्रदेश के लिए कलंकपूर्ण है। श्री शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ के अमूमन सभी त्योहार कृषि और पशुधन से जुड़े होते हैं लेकिन प्रदेश सरकार इन त्योहारों का राजनीतिकरण करने में जितनी मशगूल है, उतनी गंभीर वह प्रदेश के पशुधन की रक्षा के लिए होती तो सड़कों पर पशुधन यूँ काल के गाल में नहीं समाता। प्रदेश सरकार अपनी योजनाओं के नाम पर सियासी लफ्फाजियों से बाज आकर उन पर ज़मीनी तौर पर संजीदगी के साथ काम करे। श्री शर्मा ने कहा कि पिछले दो दिनों में सामने आईं इन ख़बरों ने प्रदेश सरकार की रोका-छेका योजना को लेकर सवाल उठाए हैं और अब यह आशंका भी बलवती होती जा रही है कि कहीं यह प्रदेश में पशुधन का सफाया करने का कोई बड़ा षड्यंत्र तो अमल में नहीं लाया जा रहा है?
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व विधायक श्री शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल को अपनी सियासी नौटंकियों से इतना अधिक मोह है कि कोरोना जैसे महासंकट के काल में भी इसे छोड़ना उन्होंने जरूरी नहीं समझा। प्रदेश में कोरोना संक्रमण के विस्फोटक फैलाव के बीच जब पूरा प्रदेश जब एक मत से राज्यभर में संपूर्ण लॉकडाउन की ज़रूरत महसूस कर रहा है, घर-घर शराब बिकवाने और पहुँचाने वाली प्रदेश सरकार ने अपने न्यस्त राजनीतिक स्वार्थों को पूरा करने लॉकडाउन को विलंबित करने का फैसला लिया ताकि हरेली जैसे त्योहार को वह अपने राजनीतिक मक़सद साधने में इस्तेमाल कर सके। श्री शर्मा ने हैरत जताई कि रोका-छेका योजना शुरू हुए एक माह का समय बीत जाने के बावज़ूद प्रदेशभर की सड़कों और गलियों-मोहल्लों में घुमंतू मवेशियों के झुंड अगर नज़र आ रहे हैं, वे हादसों के शिकार होकर मौत के मुँह में समा रहे हैं तो इस नाकारेपन के लिए किसे ज़िम्मेदार माना जाएगा? सरकार ने साफ-साफ कहा था कि 30 जून के बाद अगर कोई मवेशी निकाय क्षेत्र में अनियंत्रित खुले में घूनता हुआ पाया गया तो उसके लिए संबंधित नगरीय निकाय के आयुक्त, मुख्य नगरपालिका अधिकारी ज़िम्मेदार होंगे और पशुपालकों पर भी नियमानुसार कार्रवाई होगी।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व विधायक श्री शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने रोका-छेका योजना का सिर्फ़ नारा ही दिया पर उसके लिए आवश्यक संसाधन की व्यवस्था करने के बजाय अफ़सरों पर इसकी ज़िम्मेदारी डालकर वह बेफ़िक़्र हो गई है। बिना विज़न के ऐसी आधी-अधूरी तैयारियों के साथ प्रदेश सरकार झूठे आँकड़ों के सहारे नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने का सिर्फ़ जुबानी जमाखर्च कर रही है। प्रदेश सरकार पहले मवेशियों के चारे-पानी के इंतज़ाम की व्यवस्था करे, उसके बाद मवेशियों को रोकने-छेकने की कोशिश करे। आपसी रंजिश और अफ़परशाही की लापरवाही के चलते अगर पशुधन अगर यूँ ही दम तोड़ने के लिए मज़बूर होंगे तो फिर खेती-किसानी और उससे जुड़े पारंपरिक पर्वों का महत्व ही क्या रह जाएगा और तब सरकार किसका राजनीतिकरण करेगी? श्री शर्मा ने कहा कि नरवा-गरुवा-घुरवा-बारी योजना के बुरे हश्र के बावज़ूद प्रदेश सरकार गौठानों की बदइंतज़ामी-बदहाली के ज़मीनी सच को अनदेखा कर रही है, महासमुंद और बलौदाबाजार की दर्दनाक घटनाएँ इस बात की तस्दीक करने के लिए पर्याप्त हैं। इससे यही प्रतीत हो रहा है कि प्रदेश सरकार अपनी विफलताओं से लोगों का ध्यान हटाने और नित नई योजनाओं के नारे देकर भरमाने में लगी है।