प्रधानमंत्री आवास योजना के प्रति प्रदेश सरकार के राजनीतिक दुराग्रह पर सांसद सोनी ने जमकर हमला बोला ।
प्रदेश सरकार ने 6.75 लाख के लक्ष्य के मुक़ाबले 1.57 लाख आवास ही स्वीकृत कर बाकी केंद्र को वापस लौटाए
रायपुर — भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष व संसद सदस्य सुनील सोनी ने ग़रीबों के कल्याण की एक और बेहद महत्वपूर्ण योजना प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में प्रदेश सरकार द्वारा कटौती किए जाने पर नाराज़गी जताई है। श्री सोनी ने कहा कि प्रदेश सरकार राजनीतिक प्रतिशोध में इतनी अंधी हो चुकी है कि लोक-कल्याण से जुड़ी योजनाओं को भी वह बंद करने पर आमादा है। पहले प्रदेश सरकार ने पूर्ववर्ती भाजपा राज्य सरकार की मुख्यमंत्री स्मार्ट कार्ड स्वास्थ्य योजना सहित अन्य अनेक जनहितकारी योजनाओं और केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई आयुषमान योजना बंद करने का काम कर चुकी है।
भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष व सांसद श्री सोनी ने इस बात पर हैरत जताई कि केंद्र सरकार की महती प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत कुल 6.75 लाख आवासों के लक्ष्य के मुक़ाबले प्रदेश सरकार द्वारा सिर्फ़ 1.57 लाख आवास ही स्वीकृत किए गए हैं और बाकी 5.18 लाख आवास प्रदेश सरकार ने केंद्र को वापस लौटा दिए। इससे प्रदेश के ग़रीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों के अपने आवास का सपना धरा ही रह गया है। प्रदेश सरकार की बदलापुर की राजनीति के चलते अब प्रदेश के लाखों परिवार उन्हीं झुग्गियों में रहने के लिए विवश रहेंगे जिनमें रहकर गुजर-बसर करना किसी नारकीय यंत्रणा से कम नहीं होता। श्री सोनी ने कहा कि यह बेहद शर्मनाक स्थिति है कि ग़रीबों-मज़दूरों की हितैषी होने का दावा करने वाली सरकार उन्हीं के आवास के सपने को चूर-चूर करने पर आमादा है। इससे साफ है कि कांग्रेस और उसकी प्रदेश सरकार का राजनीतिक चरित्र ग़रीबों के राजनीतिक इस्तेमाल करने का ही है।
भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष व संसद सदस्य श्री सोनी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार अपनी ग़ैर-ज़रूरी राजनीतिक नौटंकियों के तामझाम पर तो प्रदेश के खजाने को लुटाने में ज़रा भी नहीं हिचकिचाती पर लोक-कल्याण से जुड़ी योजनाओं के लिए राशि देने या केंद्र को अपना हिस्सा देने में प्रदेश सरकार के हाथ-पाँव फूलने लगते हैं! कोरोना के ख़िलाफ़ जारी जंग में भी प्रदेश सरकार ने न तो एक धेला टेस्टिंग लैब या कोविड-19 अस्पतालों की व्यवस्था के लिए खर्च किया, न लॉकडाउन से प्रभावित परिवारों और प्रवासी श्रमिकों को एक रुपए की सहायता दी और न ही कोरोना वॉरियर्स को सम्मानित किया। किसानों को अपने वादे के बावज़ूद धान का पूरा भुगतान करने में तो यह सरकार आनाकानी कर ही रही है, तेंदूपत्ता श्रमिकों के बोनस व बीमा की राशि, उनके परिजनों की पेंशन और छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति की पूर्ववर्ती सरकार की महती योजनाओं को भी इस सरकार ने रोक रखा है। अब उसने ग़रीबों के अपने आवास के सपने को कुचलने का काम करके आवास योजना के तहत पिछले दो वर्ष की अपने हिस्से की राशि 1554 करोड़ रुपए नहीं दी है।