समल के लिए जंगल जमीन बना खुशहाल जीवन का आधार ।

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रायपुर, 29 जुलाई 2020 — राज्य सरकार द्वारा किसी भूमिहीन को भूमि का मालिकाना हक देना उनके लिए किसी सपने का सच होने के समान है। इससे ऐसे लोगों के जीवन जीने की राह आसान हो गई है। दूसरे किसानों के यहां खेतीहर मजदूर का काम करने वाले बीजापुर जिले के अंतर्गत नैमेड़ निवासी आदिवासी भूमिहीन समल कुड़ियम को राज्य सरकार से करीब 2 एकड़ 30 डिसमिल जमीन का वनाधिकार पत्र प्राप्त हुआ। इससे उत्साहित श्री समल बताते है कि सरकारी योजनाओं का लाभ अब उन्हें मिलने लगा है और खेती-किसानी कर अपने और अपने परिवार की जरूरतों को पूरा कर पा रहे हैं।
  हितग्राही श्री समल ने बताया कि इस जमीन पर उसके पिता करीब 26 वर्षों से काबिज होकर काश्त कर रहे थे। फिर भी उसे जमीन का मालिकाना हक मिलने की चिंता रहती थी। लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा इस जमीन का वनाधिकार मान्यता पत्र मिलने से उसकी वर्षों पुरानी मुराद पूरी हो गयी हैै। वर्षों से काबिज होकर खेती-किसानी करने से उनका जमीन पर भावनात्मक जुड़ाव हो गया था। करीब 10 वर्ष पहले पिताजी का स्वर्गवास होने के बाद से वह इस जमीन पर निरंतर खेती-किसानी कर रहा था। उन्होंने बताया कि वनाधिकार पट्टा मिलने से वह किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये दो बार फसल ऋण भी ले चुका है। उन्होंने बताया कि आज इस वह इस जमीन पर धान के साथ ही मक्का का भी उत्पादन कर रहे है। श्री समल ने बताया कि गत वर्ष 30 क्विंटल धान लैम्पस सोसायटी में विक्रय करने पर  उसे 54 हजार 450 रुपए की राशि उसके बैंक खाते में जमा हो गयी। इस राशि से उन्होंने 15 हजार रूपये का फसल ऋण को चुकता किया। उन्होंने बताया कि राजीव किसान न्याय योजना के तहत शेष अंतर की राशि का भुगतान सीधे किसानों के खाते में करने के निर्णय के फलस्वरुप उसके बैंक खातें में पहली किश्त के रूप में 5 हजार 138 रुपए अंतरित किया गया।
  श्री समल कुड़ियम ने आगे बताया कि इस वर्ष उन्होंने इस जमीन पर धान की फसल और करीब आधा एकड़ बाड़ी में मक्का की कतार बोनी किया है। श्री समल ने वनभूमि का पट्टा मिलने पर राज्य सरकार के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए कहते हैं यह सरकार की हमारे जैसे भूमिहीन लोगों के लिए सबसे बड़ी सौगात है।

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