भाजपा को आशंका : बिहार के चारा घोटाला सदृश्य क्या प्रदेश सरकार गोबर-घोटाला को अंजाम देने गौ-धन योजना लाई है?
पशुपालक को 15 दिनों में गोबर बेचने पर 44 हज़ार का भुगतान बड़े घोटाले की आशंका को घनीभूत कर रहा
शर्मा ने पूछा : भुगतान की राशि देखकर सवाल उठ रहा है कि ऐसी कौन-सी गाय है जो रोज 59 किलो गोबर देती है?
रायपुर — भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संदीप शर्मा ने गौ-धन न्याय योजना को लेकर एक बड़े घोटाले की आशंका जताई है। गौ-धन न्याय योजना के तहत पशुपालकों को हुए भुगतान की राशि देखकर सवाल उठ रहा है कि ऐसी कौन-सी गाय है जो रोज 59 किलो गोबर देती है? श्री शर्मा ने एक पशुपालक को 15 दिनों में बेचे गए गोबर के लगभग 44 हज़ार रुपए के हुए भुगतान को प्रदेश सरकार की एक और झूठी आँकड़ेबाजी बताया है।
भाजपा किसान मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने गौ-धन न्याय योजना के तहत खरीदे गए गोबर के भुगतान की छपी एक ख़बर का हवाला देकर कहा कि यदि यह मान लिया जाए कि एक पशुपालक को गोबर बेचने पर 44 हज़ार रुपए से अधिक का भुगतान मिला है तो इसका तात्पर्य यह हुआ कि उसने प्रतिदिन प्रति गाय 59 किलो से ज़्यादा गोबर सरकार को बेचा है। समाचार के मुताबिक़ उक्त पशुपालक के पास 25 गायें हैं। श्री शर्मा ने इस आँकड़ेबाजी पर कहा कि उक्त पशुपालक ने 15 दिन में प्रति गाय 221 क्विंटल गोबर बेचा। इस मान से 25 गायों से उसने 22,100 किलो गोबर 15 दिनों में बेचा। अतः प्रतिदिन 25 गाय से गोबर 22100÷15=1,473.33 किलो प्रतिदिन उक्त पशुपालक ने बेचा और इस प्रकार 25 गायों से कुल गोबर प्रतिदिन प्रति गाय से हिसाब से 1473.33÷25=59 किलो 930 ग्राम गोबर प्रति गाय उक्त पशुपालक ने बेचा।
भाजपा किसान मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष श्री शर्मा ने प्रदेश सरकार और आला अफ़सरों से जानना चाहा कि ऐसी कौन-सी गाय है जो रोज़ 59 किलो गोबर देती है? श्री शर्मा ने आशंका जताई कि प्रदेश सरकार गौ-धन न्याय योजना के नाम पर एक बड़े घोटाले को अंजाम देने जा रही है। बिहार के चारा घोटाला सदृश्य क्या छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार इस योजना के द्वारा गोबर-घोटाला को अंजाम देने की मंशा से यह योजना लेकर आई है? श्री शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली तो शुरू से ही नीयत, नीति व नेतृत्व में खोट का संकेत करती रही है लेकिन अपनी योजनाओं के द्वारा वह किसी बड़े घोटाले को गुपचुप अंजाम देने की मानसिकता प्रदर्शित करके इस आशंका पर मुहर लगाने का काम कर रही है। किसानों को धान का पूरा पैसा अब तक नहीं देने वाली और आदिवासी तेंदूपत्ता संग्राहकों का दो साल का बोनस, उनके वृद्ध परिजनों की पेंशन व उनके बच्चों की छात्रवृत्ति रोकने वाली सरकार गौ-धन योजना को भी अन्याय योजना बनाने पर आमादा नज़र आ रही है।