ग़रीब सामान्य इलाज के लिए परेशान तो कोरोना पीड़ित खुदकुशी व तड़प-तड़पकर मरने के लिए विवश — सवन्नी
संवेदनशून्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश के ग़रीब मरीजों और कोरोना पीड़ितों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है : भाजपा
हालात इतने बदतर कि छत्तीसगढ़ में भी कोरोना से मृतकों के शवों के अंतिम संस्कार में तीन-तीन दिन का समय लग रहा!
रायपुर — भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता भूपेंद्र सिंह सवन्नी ने प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली और कोरोना संक्रमण की रोकथाम व दीग़र व्यवस्थाओं में सरकार की विफलता को लेकर प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए कहा है कि यह प्रदेश सरकार पूरी तरह संवेदनशून्य हो चली है और उसने प्रदेश के ग़रीब परिवारों और कोरोना पीड़ितों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है। श्री सवन्नी ने कहा कि आज तो प्रदेश में सामान्य रूटीन के इलाज के लिए ग़रीब परिवार के मरीज परेशान हो रहे हैं जबकि कोरोना मरीज अब या तो आत्महत्या के लिए विवश हो रहे हैं या फिर सरकार की बदइंतज़ामी के चलते वे तड़प-तड़पकर मरने को विवश हो रहे हैं।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री सवन्नी ने कहा कि प्रदेश में स्मार्ट कार्ड से लोगों का इलाज तो बंद कर दिया गया है, अब सरकार अपने वादे के बावज़ूद राशन कार्ड से भी ग़रीबों को इलाज की सहूलियत मुहैया नहीं करा रही है, जिससे ग़रीबी रेखा वाले परिवार अपने इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खाते परेशान हो रहे हैं। यह बेहद शर्मनाक स्थिति है। श्री सवन्नी ने कोरोना के मोर्चे पर प्रदेश सरकार की शर्मनाक विफलता पर भी तीखा हमला बोला और कहा कि प्रदेश सरकार अब कोरोना मरीजों के इलाज में लापरवाही का परिचय दे रही है। जगदलपुर के कोविड-19 अस्पताल की एक घटना का जिक्र कर श्री सवन्नी ने बताया कि वहाँ एक मरीज इलाज के दौरान तड़पता रहा, चीखता रहा और अंतत: वह मौत के आगोश में समा गया। मृत मरीज अपने बेड से औंधे मुँह गिरा हुआ पाया गया। बिलासपुर के एक कोविड अस्पताल में एक मरीज का शव पिछले तीन दिनों से शव गृह (मरच्युरी) में रखा हुआ है, लेकिन अब तक उसके कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट नहीं आई है! मृत नरीज के परिजन उसके अंतिम संस्कार को लेकर दुविधाग्रस्त और परेशान हैं।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री सवन्नी ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रदेश सरकार कोरोना संक्रमण की रोकथाम, जाँच और उपचार जैसे संवेदनशील मुद्दे पर भी ग़ैर-ज़िम्मेदाराना व्यवहार प्रदर्शित कर रही है। लॉकडाउन के नाम पर प्रदेश को पखवाड़े भर परेशानी में डालकर भी सरकार कोरोना संदिग्धों, मरीजों और मृतकों के बढ़ते आँकड़ों को रोक नहीं पा रही है तो अपने इस नाकारापन के लिए ज़िम्मेदार सरकार को एक क्षण भी सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं रह जाता है। श्री सवन्नी ने कहा कि पखवाड़ेभर के हालिया लॉकडाउन को क्या औचित्य रह जाता है, यदि उस अवधि में भी प्रदेश कोरोना के क़हर से ज़्यादा प्रभावित नज़र आया। अब तो हालत यह हो चली है कि छत्तीसगढ़ में भी कोरोना से मृत लोगों के शवों का अंतिम संस्कार करने में तीन-तीन दिन का समय लग रहा है। इससे यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि प्रदेश सरकार के पास कोरोना की रोकथाम को लेकर कोई रोडमैप ही नहीं है और उसे अब यह सूझ ही नहीं रहा है कि कैसे वह कोरोना पर अंकुश लगा पाएगी?