डॉ. सिंह पर छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति से नफ़रत का आरोप लगाने पर भाजपा प्रवक्ता सुंदरानी का तीखा पलटवार ।
छत्तीसगढ़ी’ का घोर अपमान कर कांग्रेस अब पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह को प्रमाण पत्र देने की बचकानी हरक़त पर उतरी : भाजपा
कांग्रेस नेता यह नहीं भूलें कि नफ़रत और प्रतिशोध की राजनीति केवल कांग्रेस की ही पहचान है
रायपुर – भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी ने छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति को लेकर भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह पर की गई कांग्रेस की टिप्पणी को अपने बेनक़ाब हो चुके सियासी चरित्र को ढँकने की नाकाम और बचकानी कोशिश करार दिया है। श्री सुंदरानी ने कहा कि जिस कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध और छत्तीसगढ़ी भाषा का घोर अपमान करते हुए यहाँ तक कहा हो कि छत्तीसगढ़ी में बच्चों की पढ़ाई संभव नहीं है क्योंकि छत्तीसगढ़ी में पढ़कर प्रदेश के विद्यार्थी पिछड़ जाएंगे, वह कांग्रेस अब पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह को प्रमाण पत्र देने की बचकानी हरक़त पर उतर आई है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व विधायक श्री सुंदरानी ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह पर छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति से नफ़रत का आरोप लगाने वालों को यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि नफ़रत और प्रतिशोध की राजनीति पर केवल और केवल कांग्रेस का ही एकाधिकार रहा है। भाजपा और उसके नेता तो सर्व समावेशी विकास की बात करते हैं और उसी के लिए काम करते हैं। श्री सुंदरानी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी ने एक राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ की न केवल सौगात दी अपितु 15 वर्षों के भाजपा के सुशासन ने छत्तीसगढ़ को देश-विदेश के मानचित्र में स्थापित कर छत्तीसगढ़ के गौरव और मान-सम्मान को बढ़ाया, छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा दिया।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व विधायक श्री सुंदरानी ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा गया पत्र भी मुख्यमंत्री बघेल का राजनीतिक पाखंड ही है और अपना यह पाखंड बेनक़ाब होने पर अब कांग्रेस के लोग चरित्र हनन की राजनीति करते हुए झूठ का रायता फैलाने में लग गए हैं और अनर्गल प्रलाप करके ख़ुद को उपहास का पात्र बना रहे हैं। श्री सुंदरानी ने कहा कि कांग्रेस अब चाहे जितना झूठ फैला ले, प्रदेश की जनता कांग्रेस की छत्तीसगढ़ और खासकर छत्तीसगढ़ी विरोधी मानसिकता को बखूबी पहचान गयी है।