लगातार 8 बार लोकसभा चुनाव जीतकर इतिहास रचने वालीं ‘ताई’ के सियासी सफर पर मोदी ने लगा दिया पूर्णविराम

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दिल्ली — लोकसभा अध्यक्ष और इंदौर से मौजूदा सांसद सुमित्रा महाजन चर्चा में हैं। लोकसभा चुनाव 2019 के लिए भाजपा की तरफ से टिकट के एलान में देरी के बाद सुमित्रा महाजन ने इस बार चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। इंदौर सीट से प्रत्याशी घोषित करने के भाजपा के असमंजस के बाद सुमित्रा महाजन ने ये फैसला किया है। एक तरह से उन्होंने पार्टी से अपनी नाराजगी जताई है। सुमित्रा आठ बार लोकसभा सांसद रही हैं। आइए जानते हैं भाजपा और भारतीय सियासत में कैसा रहा है सुमित्रा महाजन का सफर। सुमित्रा का जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के चिपलूण में एक साधारण परिवार में हुआ था। 22 साल की उम्र में उनकी शादी इंदौर के रहने वाले जयंत महाजन से हुई। इसके बाद उन्होंने इंदौर से एमए और एलएलबी की डिग्री ली। उनके दो बेटे मंदार महाजन और मिलिंद महाजन हैं। मीसाबंदी परिवार की मदद करते करते उनके कदम राजनीति की तरफ बढ़ चले। मौजूदा समय में सुमित्रा महाजन लोकसभा की 16वीं स्पीकर हैं। 2014 में वह आठवीं बार लोकसभा से चुनी गईं। ऐसा करने वाली वह तीसरी सांसद हैं। इसके अलावा वह सबसे लंबे समय तक कार्यरत महिला लोकसभा सांसद हैं। उन्होंने 1989 से इंदौर की लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया है। राजनीति में प्रवेश
राजनीति में उनका प्रवेश इंदौर की उप महापौर चुने जाने के तौर पर हुआ। 1989 में उन्होंने पहली बार इंदौर से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उन्होंने वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रकाश चंद्र सेठी को हराकर सनसनी मचा दी। उन्होंने शहरी विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री रहने के दौरान इंदौर में कई काम कराए जिसने उन्हें लोकप्रियता और यहां से लगातार जीत दिलाई। मध्य प्रदेश की सियासत में उन्हें ‘ताई’ नाम से बुलाया जाता है। सबसे वरिष्ठ महिला सांसद
ताई लोकसभा की सबसे वरिष्ठ महिला सांसद हैं। 2002 से 2004 तक वह केंद्रीय मंत्री भी रहीं। तब उन्हें मानव संसाधन, संचार और पेट्रोलियम मंत्रालय में अहम जिम्मेदारी मिली। मीरा कुमार के बाद वह लोकसभा स्पीकर चुनी जाने वाली दूसरी महिला सांसद रहीं। राजनीति में सुमित्रा महाजन का करियर अब तक बेदाग रहा है। वह कभी किसी विवाद में नहीं फंसीं। लोकसभा स्पीकर रहने के दौरान उन्होंने सख्त फैसले भी लिए। सियासी करियर
1984-85 तक वह इंदौर की डिप्टी मेयर रहीं।
1989 में वह इंदौर से सांसद चुनी गईं।
1991 में दोबारा यहां से सांसद बनीं।
1992 से 1994 तक मध्य प्रदेश भाजपा की उपाध्यक्ष रहीं।
1996 में तीसरी बार इंदौर से सांसद चुनी गईं।
1998 में 12वीं लोकसभा के लिए इंदौर से चौथी बार सांसद चुनी गईं।
1999 में 13वीं लोकसभा के लिए इंदौर से पांचवीं बार सांसद चुनी गईं। अटल सरकार में मिला मंत्रीपद
जुलाई 2002 से मई 2003 तक संचार व सूचना तकनीक मंत्रालय में राज्य मंत्री बनीं।
मई 2003 से मई 2004 तक पेट्रोलियम व नैचुरल गैस मंत्रालय में राज्य मंत्री रहीं।
2009 में 15वीं लोकसभा के लिए 7वीं बार इंदौर से सांसद चुनी गईं।
2014 में रिकॉर्ड आठवीं बार इंदौर से सांसद बनीं।
जून 2014 को उन्हें सर्वसम्मति से 16वीं लोकसभा के लिए स्पीकर चुना गया।

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