आंगनबाड़ी में गर्म भोजन देने का निर्देश नन्हें बच्चों व गर्भवती महिलाओं की जान जोखिम में डालने का कृत्य — भाजपा

0

 

न थर्मामीटर, न थर्मल स्कैनर और न ही पीपीई किट, फिर भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को तापमान का रिकॉर्ड रखने का तुग़लकी निर्देश

सुपोषण अभियान चला रही प्रदेश सरकार जान जोखिम में डालने वाले इस निर्णय पर पुनर्विचार करे : हर्षिता

 

 

रायपुर —  भारतीय जनता पार्टी की नेता और राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष हर्षिता पाण्डेय ने कहा है कि महिला-बाल विकास विभाग द्वारा 07 सितंबर से आंगनबाड़ी में गर्म भोजन देने के निर्देश दिए गए हैं। एक तरफ प्रदेश में कोरोना संक्रमण विस्फोटक स्तर को छू चुका है, इसके बाद भी महिला बाल विभाग अपनी हठधर्मिता के कारण लाखों छोटे बच्चों व गर्भवती महिलाओं की जान जोखिम में डाल रहा है। श्रीमती पांडेय ने कहा कि प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों में जैसे भवन बने हुए हैं, उनमें बच्चे और गर्भवती महिलाओं को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाना संभव नहीं है और ऐसी स्थिति में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को गर्म भोजन वितरण के निर्देश दे दिए गए हैं।
राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती पांडेय ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि प्रत्येक बच्चे और गर्भवती माताओं के शरीर के तापमान का रिकॉर्ड भी रखना है। इस काम के लिये उनके पास न थर्मामीटर है, न थर्मल स्कैनर और न ही पीपीई किट है। फिर भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को ऐसे तुग़लकी निर्देश दिए गए हैं। यदि माताएं और बच्चे कोरोना संदिग्ध होते हैं, तो इस दिशा में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के भी संक्रमित होने का अंदेशा बना रहेगा। श्रीमती पांडेय ने कहा कि बच्चों के संबंध में अनलॉक-4 में अपील की गई है कि इन्हें यथासंभव घर से बाहर निकलने न दिया जाए, लेकिन अब सरकार के नियमों का उल्लंघन महिला बाल विकास विभाग द्वारा किया जा रहा है। तीन से छह वर्ष के बच्चों को आंगनबाड़ी में भोजन कराने के निर्देश दिए गए हैं। इस दौरान गर्भवती माताओं को किसी तरह परेशानी होती है तो गर्भ में पल रहे बच्चों पर इसका असर पड़ सकता है। श्रीमती पांडेय ने कहा कि प्रदेश सरकार किन परिस्थितियों में यह निर्णय ले रही है, समझ से परे है!
राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती पांडेय ने कहा कि एक ओर जहां सूखा राशन देने की बात कही जाती है, वहां पर राशन का वितरण नहीं हो रहा है। बलरामपुर के भगवानपुर में कुपोषण के कारण ही एक बच्चे की मृत्यु हो गई। लेकिन इन सबके बीच एकतरफा निर्देश जारी कर लाखों बच्चों और गर्भवती माताओं की जान को जोखिम में डाला जा रहा है l उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपने घोषणा पत्र में कहा था कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दैनिक वेतनभोगी के सामान मानदेय दिया जाएगा लेकिन मानदेय में कोई वृद्धि नहीं की गई है। अब तक कोई घोषणा भी पूरी नहीं की गई है। प्रदेश में जो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं, ग्रामीण स्तर पर महिला व बाल विकास के योजनाओं के आधार स्तंभ होती हैं। उनके साथ इस प्रकार आमानवीय, संवेदनहीन व्यवहार दु:ख का कारण हैl मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तो सुपोषण अभियान को लेकर चिंतित हैं और हमेशा वह चिट्ठी लिखते रहते हैं, अत: नन्हें बच्चों व माताओं की जान जोखिम में डालने वाले इस निर्णय पर पुनः विचार करना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *