भू- राजस्व संहिता के प्रावधानों में बदलाव की आवश्यकता आखिर क्यों?-भाजपा
भू-राजस्व संहिता की आड़ में कहीं 5वीं अनुसूची की आत्मा का खात्मा तो नहीं चाहती सरकार?-विष्णुदेव साय
भूपेश सरकार से ‘भू ‘(भूमि) का बड़ा गहरा संबध हैं
आदिवासी वनवासी भाइयों बहनों का अहित हुआ, उनके जनजीवन को अस्तव्यस्त करने का प्रयास किया गया या किसी भी दृष्टि से संसोधन आदिवासी भाईयों बहनों के लिए अहितकारी घातक नजर आया तो भाजपा चुप नहीं बैठेगी।
रायपुर — भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने आदिवासियों की जमीन को गैर-आदिवासियों को सौंपने के लिए भू-राजस्व संहिता में बदलाव लाने के लिए राज्य सरकार द्वारा उपसमिति गठित करने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन और आदिवासी हित की बात करने वाली प्रदेश सरकार का असली चेहरा उजागर हो गया है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को हस्तांतरित करने को प्रतिबंधित करने वाले भू-राजस्व संहिता के प्रावधानों में बदलाव का प्रस्ताव प्रदेश में बैठी कांग्रेस सरकार की आदिवासी विरोधी मानसिकता का प्रमाण हैं। उन्होंने कहा कि भू राजस्व संहिता में किसी भी प्रकार का संशोधन आदिवासी हितों के विरुद्ध हुआ तो भाजपा बर्दास्त नहीं करेगी। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री को चेतावनी देते हुए कहा कि भू-राजस्व संहिता में यदि किसी भी प्रकार के संसोधन से आदिवासी वनवासी भाइयों बहनों का अहित हुआ, उनके जनजीवन को अस्तव्यस्त करने का प्रयास किया गया या किसी भी दृष्टि से संसोधन आदिवासी भाईयों बहनों के लिए अहितकारी घातक नजर आया तो भाजपा चुप नहीं बैठेगी। उन्होने सरकार से संसोधन के विषय में स्तिथि स्पष्ट करने की मांग की हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि प्रदेश में जब से कांग्रेस की सरकार कार्य कर रही हैं प्रदेश की भूमि की सुरक्षा को लेकर संशय की स्तिथि बनी हुई हैं। पूरे प्रदेश में भू-माफिया का राज चल रहा हैं। सरकारी जमीनों की सरकार द्वारा खरीदी बिक्री कर बंदर बांट की जा रही हैं। भू-माफिया जमीनों पर कब्जा करने में लगे हूए हैं। पूरे प्रदेश में भय का वातावरण निर्मित किया जा रहा हैं। ऐसे समय में सरकार द्वारा भू-राजस्व संहिता में संसोधन का प्रस्ताव न सिर्फ चिंता का विषय हैं बल्कि डराने वाला भी हैं और कई आशंकाओं को जन्म देता हैं। आज आदिवासी समाज चिंतित हैं, भयभीत हैं। जिस प्रकार सरकार कार्य कर रही हैं, सरकार की नियत और मंशा पर ही आज संदेह उत्पन्न हो रहा हैं। उन्होंने कहा कि आज आदिवासी वनवासी समाज को डर सता रहा है कि कहीं आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासी के हाथ में न दे दे यह सरकार।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा की भूपेश सरकार से ‘भू ‘ का बड़ा गहरा संबंध नजर आ रहा हैं। भूपेश सरकार में ‘भू ‘ अर्थात भूमि का खेल चल रहा हैं। कभी ‘भू ‘-माफिया, कभी सरकारी ‘भूमि’, कभी ‘भू ‘-राजस्व संहिता के नाम पर प्रदेश की भूमि को माफ़िया के हाथ सौंपने का खेल खेला जा रहा हैं। क्या ‘भू ‘ का खेल खेलने सत्ता में आयी हैं भूपेश सरकार?
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने सवाल खड़े किए कहा कि कहीं भू-राजस्व संहिता प्रस्ताव की आड़ में प्रदेश सरकार 5वीं अनुसूची की आत्मा का खात्मा करना तो नहीं चाह रही हैं? सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए। कहीं बदलाव करवा कर आदिवासियों के पास बची जमीन की लूट शुरू करवा कर माफ़िया को लाभ पहुंचाने का इरादा तो नहीं हैं? आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को हस्तांतरित करने पर प्रतिबंध करने वाले भू- राजस्व संहिता के प्रावधानों में बदलाव के प्रस्ताव की आवश्यकता आखिर क्यों और किस मंशा के चलते पड़ी? यह प्रदेश सरकार को प्रदेश की जनता और आदिवासी समाज को बताना चाहिए और आदिवासी वनवासी समाज के लिए भविष्य की क्या योजना सरकार के पास है विशेष रूप से आदिवासी समाज व उनकी भूमि के संरक्षण के लिए सरकार को अपनी स्तिथि स्पष्ट करनी चाहिए।