भाजपा को आदिवासियों से इतनी नफरत क्यों – कांग्रेस
भाजपा प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव के बयान पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया
रायपुर /16 सितंबर 2020 — भाजपा प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव के बयान पर कांग्रेस ने प्रतिक्रिया व्यक्त की प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि रमन भाजपा शासनकाल में निर्दोष बेगुनाह आदिवासियों को छोटे-छोटे मामलों में गिरफ्तार कर सालों तक जेल में बंद किया । उनके रिहाई के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया।रमन सरकार ने सालों तक जेल में बन्द आदिवसियों के मामलों में साक्ष्य प्रस्तुत नही कर पाई।अब आदिवासी वर्ग जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों की रिहाई की मांग कर रही तब भाजपा आदिवासियों के आंदोलन को ही नक्सलियों का समर्थन बताकर प्रदेश के आदिवासी वर्ग को नक्सली बताने में तुली है। आखिर भाजपा को आदिवासियों से इतनी नफरत क्यों है ? रमन शासनकाल में आदिवासियों के 90 एकड़ जमीन छीन ली गई? भाजपा समर्थित उद्योगपतियों को आदिवासियों के जल जंगल जमीन सौंपने आदिवासियों पर अत्याचार किया गया उनका शोषण किया गया उनके कानूनी अधिकारों से उनको वंचित किया गया था. रमन सरकार में आदिवासीयो को नक्सली अभियान के नाम पर प्रताड़ित किया जाता रहा महिलाओं का सामूहिक यौन शोषण, निर्दोष आदिवासियों के फर्जी एनकाउंटर, नक्सल समर्थन के नाम पर गांव के गांव जला देने जैसी शर्मनाक घटनाओं को पूरा छत्तीसगढ़ ने देखा है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों रिहाई के लिए जस्टिस पटनायक कमेटी का गठन किया है जो प्रकरणों की समीक्षा करेगी तथा उनपर फैसला लेगी ।कमेटी अपनी अनुशंसा पुलिस को देगी फिर पुलिस उन अदालतों के समक्ष खात्मे के आवेदन प्रस्तुत करेगी जिस पर न्यायालय प्रकरण के खात्मे और रिहाई का निर्णय लेगा।बस्तर और सरगुजा में भाजपा की रमन सरकार ने आदिवासियों के खिलाफ विद्वेष वश झुठे मुक़दमें बनवाये थे कुछ लोगो के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर गिरफ्तारियां कर ली गयी उनके खिलाफ वर्षो तक चालान नही प्रस्तुत किया ।न्यायालय में सुनवाई नही शुरू हुई ।जिन धाराओं के तहत उनकी गिरफ्तारियां की गई थी उन धाराओं में दोष सिद्ध हो जाने पर उतनी सजा नही थी जितने दिनों से वे अदिवासी न्याय की आस में जेलों में निरुद्ध रखे गए है।जल्द ही छत्तीसगढ़ जेलों में सजा काट रहे आदिवासियों को रिहा कर दिया जाएगा। आदिवासी इलाकों से आबकारी एक्ट के की मामूली धाराओं के तहत जेल में सजा काट रहे 320 आदिवासियों की रिहाई पर विचार-विमर्श चल रहा है। जस्टिस एके पटनायक की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने इनकी रिहाई का फैसला लिया है।