जलसंसाधन विभाग में निरंतर भ्रष्टाचार खेल जारी.. अधिकारी पूरे नियमों को दिखा रहे है ठेंगा ।
8 महीने में 16 लाख का डीजल खपाया गया
लॉक डाउन में भी होता रहा काम
रायपुर — जल संसाधन विभाग का मुख्य उद्देश्य कृषि भूमि तक पर्याप्त मात्रा में पानी पहुंचाना है इसी बात को ध्यान में रखकर जल संसाधन विभाग की स्थापना की गई थी लेकिन अब यह विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा बनते जा रहा है दर असल खेतों तक पानी पहुंचाने की आड़ में बड़ी मात्रा में भ्रष्टाचार होता है ऎसे कई मामले हैं ।
जल संसाधन विभाग में, हम शुरुआत करेंगे बलरामपुर से बलरामपुर जल संसाधन विभाग में 2 वर्ष पूर्व सब इंजीनियर से असिस्टेंट इंजीनियर बने राम जी पटैरिया को अगस्त 2019 से अप्रैल 2020 की अवधि में बलरामपुर संभाग का एग्जीक्यूटिव इंजीनियर बना दिया गया जबकि नियम यह है कि 6 वर्ष की अवधि पूरी होने के बाद ही अनुविभागीय अभियंता बनाया जा सकता है, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर बना दिया गया, सारे नियमों को धत्ता बताते हुए बलरामपु मेँ पदस्थ कर दिया गया, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर बनते ही रामजी ने, भ्रष्टाचार का खेल शुरू कर दिया 8 महिने में 16 लाख का सिर्फ डीजल में खपाया गया ।मामला यहीं पर नहीं रुका. अगस्त 2019 से 14 फरवरी 20 20 की अवधि में 16 करोड़ के चेक के माध्यम से भुगतान भी कर दिया गया जबकि रामजी पटेरिया को अभी वित्तीय अधिकार प्राप्त नहीं , यह अधिकार उन्हें 13 फरवरी को मिला तब तक जनता के ₹13करोड का खेल हो चुका था. लेकिन अभी तो शुरुआत मात्र है इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए दो करोड़ रुपए की सिर्फ स्टेशनरी ही खरीद डाली अगर दो करोड़ की स्टेशनरी का वजन किया जाए तो तकरीबन 11 ट्रक भर जाएंगे राम जी पटेरिया अपने रिटायरमेंट को देखकर ज्यादा सक्रिय हो उठे और अप्रैल से पहले ₹ 10 करोड़ का भुगतान और कर दिया गया । जल संसाधन विभाग में पदस्थ रामजी पटेरिया की भ्रष्टाचार की फेहरिस्त काफी लंबी है उनके कारनामों पर एक किताब लिखी जा सकती है किताब के पन्ने जो खुलेंगे छत्तीसगढ़ की राजनीति और अफसरशाही बेनकाब होते चले जाएंगे ।
Taja khabar के लिए जरीन सिदिक़्क़ी की रिपोर्ट