मन-रंजन है अब रेडियो – बर्षा छाबरिया

0

सालों से रेडियो का सम्बन्ध जीवन से मनोरंजन का रहा है ।रेडियो संचार का एक ऐसा माध्यम रहा है जो आवाज़ के ज़रिये श्रोताओं को जोड़े रखता है ।
१३ फरवरी रेडियो दिवस के रूप में मनाया जाता है और इस दिवस को आवाज़ों के त्यौहार, जीवन में संचार के त्यौहार, जीवन के रंगों के त्यौहार,जीवन में बदलाव के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है ।आज रेडियो द्वारा समुदाय के जीवन में बदलाव आता है मनों से जुड़ता है, मनों को रंगता है, जीवन का एक अभिन्न अंग बन जाता है, आज रेडियो मन-रंजन बन गया है ।
आवाज़ के ज़रिये गीत और मनोरंजन ही रेडियो माना जाता रहा है ।,आल इंडिया रेडियो से वाणिज्यिक रेडियो से आज हम सामुदायिक रेडियो के युग का हिस्सा बन चुके हैं ।भारत देश में सामुदायिक रेडियो की शुरुवात मध्य १९९० में हुई ।
आधुनिक युग में सामुदायिक रेडियो विभिन्न रूपों में अपने श्रोताओं के लिए ऐसी प्रस्तुति लाते हैं जो वाणिज्यिक रेडियो द्वारा नहीं लाये जाते हैं ।
सामुदायिक रेडियो की ख़ास बात यह है की यह समुदाय के साथ समुदाय की बात के ध्येय पर काम कर्ता है । आम समुदाय की एककृत आवाज़ों को मंच देता है सामुदायिक रेडियो । शिक्षक कक्षा गत पाठ्यक्रम लाते हैं सामुदायिक रेडियो पर ताकि छात्र अपनी पढाई कर सकें, कोरोना के दौरान जो स्कूल पहुँच नहीं पाते उनकी मदद कर्ता है रेडियो क्लासरूम जैसे कार्यक्रम, माटी के गीत जैसे कार्यक्रम लोक गीतकारों की आवाज़ें लाता है, रेडियो थिएटर जैसे कार्यक्रम हिंदी के पितामह मुंशी प्रेमचंद जी की कहानियों का नाट्य रूपांतरण लाता है जिससे हिंदी भाषा को बढ़ावा दिया जा सके। सामुदायिक रेडियो द्वारा न केवल समुदाय की सहभागिता बढ़ती है वरन समुदाय में जागरूकता, सकारात्मक सोच, भाषा से जुड़ने का अवसर, शिक्षा और स्वास्थय से जुड़ कर बदलाव लाने का माध्यम बन गया है ।ग्रह उद्योग से घर की महिलाओं को सशक्त करता है सामुदायिक रेडियो, नीति निर्धारकों की मदद से समस्याओं का समाधान लाता है सामुदायिक रेडियो ।
“यह रेडियो में मेरा १८वा वर्ष है,ऑल इंडिया रेडियो, कमर्शियल ऍफ़ एम् और पिछले एक दशक से सामुदायिक रेडियो , यह सफर मनोरजन से मन-रंजन को सार्थक होते हुए देखने का रहा है” ऐसा बताती हैं बर्षा छाबरिया
सामुदायिक रेडियो गीत मनोरंजन हास्य से अलग समुदाय की सेवा पर जोर देता है, ऐसे कार्यक्रम और प्रयास लाते हैं जिनसे कोई नयी सीख लायी जा सके, जिससे समुदाय में सकारात्मक बदलाव लाये जा सकें, सशक्तिकरण को स्वरुप दिया जा सके,अव्यक्त की अभिव्यक्ति, शिक्षा के नए आयाम और हुनर की नयी पहचान है सामुदायिक रेडियो ।सामुदायिक रेडियो को वॉइस ऑफ़ वाइसलेस माना जाता है ,सामुदायिक रेडियो समुदाय में महिलाओं को सशक्त करने के लिए उन्हें एक नयी पहचान देता है, हुनरबाज़ों के हुनर को बढ़ावा देता है, युवाओं में सकारात्मक सोच की कड़ी बनता है और बदलाव का माध्यम ।
मनोरंजन से मन-रंजन बन गया है रेडियो । जीवन से ट्यून्ड है रेडियो मनों से ट्यून्ड है रेडियो मनोरंजन से आज मन-रंजन है रेडियो
१३ फरवरी रेडियो दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed