प्रदेश सरकार के रवैये के चलते सब कुछ ठप्प कालेजो तक की मान्यता रद्द : कौशिक
प्रदेश सरकार के इस ग़ैर-ज़िम्मेदाराना रवैए के चलते चिकित्सा छात्रों को अपना भविष्य दाँव पर लगता देखना पड़ रहा : भाजपा
नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने राज्यांश की राशि नहीं दिए जाने और अन्य औपचारिकताएँ पूरी नहीं करने पर प्रदेश में प्रस्तावित तीन मेडिकल कॉलेज की मान्यता रद्द होने पर प्रदेश सरकार को दोषी ठहराया
रायपुर — भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता व प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने राज्यांश की राशि नहीं दिए जाने और अन्य औपचारिकताएँ पूरी नहीं करने पर प्रदेश में प्रस्तावित तीन मेडिकल कॉलेज की मान्यता रद्द होने के लिए प्रदेश सरकार को दोषी ठहराते हुए कहा कि प्रदेश सरकार के इस ग़ैर-ज़िम्मेदाराना रवैए के चलते चिकित्सा छात्रों को अपना भविष्य दाँव पर लगता देखना पड़ रहा है। श्री कौशिक ने कहा कि आज जबकि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं व सुविधाओं में बढ़ोतरी की ज़रूरत है, मेडिकल कॉलेज की मान्यता रद्द होना प्रदेश सरकार की नाकामी का परिचायक है।
नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने कहा कि प्रदेश सरकार ने आर्थिक तौर पर छत्तीसगढ़ को इस कदर कंगाल बना दिया है कि वह किसी भी सेवा के विस्तार और सुविधाओं के संवर्धन-संरक्षण के लिए एक धेला तक देने की स्थिति में नहीं रह गई है जिसके कारण केंद्र सरकार के सहयोग से कोरबा, काँकेर और महासमुंद में प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज की मान्यता पर अगले शिक्षण सत्र पर भी संकट गहराया दिकाई दे रहा है। श्री कौशिक ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपनी विश्वसनीयता किस कदर खो दी है, यह इस बात से स्पष्ट हो जाता है कि बेड की कमी और जीएसटी राशि जमा नहीं करने के कारण इन कॉलेजों की मान्यता रद्द होने के बाद दूसरी बार किए गए आवेदन का कोई ज़वाब नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) ने अब तक प्रदेश सरकार को नहीं दिया है। श्री कौशिक ने कहा कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार जन हितैषी कार्यों के प्रति कितनी लापरवाह व असंवेदनशील है तथा केंद्र द्वारा छत्तीसगढ़ की जनता के हित के लिए दी गई सौगात के प्रति कितना दुर्भाव रखती है, प्रदेश के प्रस्तावित तीन नए मेडिकल कॉलेजों की अर्जी रद्द होना इसका उदाहरण है। श्री कौशिक ने कहा कि केंद्र सरकार ने कोरबा, महासमुंद और काँकेर में नए मेडिकल कॉलेज कोलने की स्वीकृति देकर प्रत्येक कॉलेज के लिए जो 200 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं, उसकी प्रथम किश्त के रूप में 50-50 करोड़ रुपए जारी भी कर दिए गए हैं। परंतु राज्य सरकार ने जीएसटी की राशि जमा नहीं की और अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वहन न करते हुए ज़रूरी दस्तावेज़ नेशनल मेडिकल काउंसिल को प्रस्तुत ही नहीं किए।