सत्ता फिसलते ही भाजपा नेता एक-दूसरे को नीचा दिखाने में लगे है — सुशील आनंद
रायपुर — भाजपा के प्रदेश प्रभारी अनिल जैन और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर के बीच हुये वाद विवाद पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि सत्ता हाथ से निकलते ही भारतीय जनता पार्टी की छद्म एकता की परते उधड़ने लगी है। भाजपा के वरिष्ठ नेतागण सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे को अपमानित करने लगे है। कोई भी नेता दूसरे का नेतृत्व को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। 15 विधायकों वाली भाजपा में नेता प्रतिपक्ष के चुनाव में 9 से अधिक नेता दावेदार थे। सारे लोगों की दावेदारी को दरकिनार करके सिर्फ एक विधायक रमन सिंह का समर्थन हासिल करने वाले धरम लाल कौशिक को नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया। अजय चंद्राकर ने नेता प्रतिपक्ष चुनाव की खीज निकालने के लिये प्रदेश प्रभारी की सार्वजनिक रूप से अपमानित कर दिया। वरिष्ठ नेता ननकी राम कंवर ने नेता प्रतिपक्ष चुनाव के अपनी नाराजगी जाहिर करने के लिये माला पहनने से इंकार कर दिया था। ननकी राम कंवर अपने पार्टी के पूर्ववर्ती सरकार के द्वारा लिये गये निर्णयों के खिलाफ मोर्चा खोले हुये है। वरिष्ठ नेता चंद्रशेखर साहू भाजपा की हार के लिये नेताओं को दोषी बताते हुये कार्यकर्ताओं की उपेक्षा को जिम्मेदार ठहराया है। भाजपा के ही वरिष्ठ सांसद रमेश बैस जो भाजपा सरकार के रहते बराबर प्रशासनिक अराजकता के लिये अवार्ड उठाते रहते थे। उन्होने एक बार फिर से रमन सिंह पर आरोप लगाते हुये कहा कि भाजपा सरकार ने कार्यकर्ताओं की छोड़ो नेताओं की सुनवाई नहीं होती थी। भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव सरोज पांडेय ने रमन सिंह के नेतृत्व के खिलाफ सार्वजनिक असहमति व्यक्त करते हुये कहा कि छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के चेहरे को आगे कर नहीं प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में चुनाव में लड़ा जायेगा। नाराज वरिष्ठ नेता बृजमोहन अग्रवाल तो भाजपा के लोकसभा चुनाव के संबंध में हुई तैयारी बैठक में भी शामिल नहीं हुये। इन नेताओं के लगातार आ रहे सार्वजनिक बयानों से यह साफ है कि भाजपा के अंदर नेतृत्व हथियाने का संघर्ष चल रहा है। सारे नेता एक -दूसरे को नीचा दिखाने में लगे है। विधानसभा चुनाव में जनता द्वारा नकारी गयी भाजपा ने लोकसभा क्षेत्र के प्रभारियों के खिलाफ कार्यकर्ता बगावत का बिगुल फूंक रहे है।