चिल्फी गांव के विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा बच्चों में शिक्षा के प्रति आया साकारात्मक बदलाव
शासकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूल में बैगा बच्चे बोेलने लगे फर्राटेदार अंग्रेजी
कबीरधाम जिले के 5463 बच्चों को मिल रही उत्कृष्ट शिक्षा
रायपुर, / छत्तीसगढ़ शासन की अंग्रेजी माध्यम स्कूल से वनांचल के विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा और आदिवासी समाज के बच्चों को भी पढ़ने के लिए बेहतर माहौल मिल रहा है। आर्थिक रूप से गरीब और कमजोर वर्ग के प्रतिभा-वान बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं। बहुत ही कम समय में स्कूल ने अपनी लोकप्रियता हासिल कर ली है। राज्य सरकार द्वारा अंग्रेजी माध्यम के साथ-साथ हिन्दी माध्यम स्कूल में अत्याधुनिक सुविधा के साथ बच्चों को सुविधा दी जा रही है।
प्रदेश में शासकीय स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय योजना के अंतर्गत प्रदेश में अब 377 अंग्रेजी माध्यम तथा 339 हिंदी माध्यम विद्यालय संचालित किये जा रहे हैं। जहां 4 लाख 21 हजार बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। यहां से निकले युवाओं को अंग्रेजी माध्यम में उच्च शिक्षा की सुविधा देने के लिए शासकीय स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम के 10 कॉलेज, जिले में शुरू किये गए है। प्रदेश के सभी स्कूलों के भवन तथा अन्य सुविधाओं को उच्च स्तरीय बनाने के लिए इसी वर्ष मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना की शुरूआत की गई। जिसमें 2 हजार 133 करोड़ की लागत से 29 हजार से अधिक शालाओं में समुचित कार्य कराए जा रहे है। इसमें से लगभग 2 हजार शालाओं में कार्य पूर्ण हो चुके है। और 14 हजार शालाओं की कार्य प्रगति पर हैं। इसका सीधा लाभ स्कूलों को मिला रहा है।
छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले के अंतिम छोर स्थित गांव चिल्फी में स्वामी आत्मानंद स्कूल में विशेष पिछड़ी बैगा जनजाति के बच्चे भी पढ़ने जाते है। और अपने सपने साकार कर रहे है। जंगलों और मैकल पर्वत के बीच में बसे चिल्फी में आसपास गांव के लगभग 5463 बच्चें अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा ले रहे है। चिल्फी को छोटा शिमला के नाम से भी जाना जाता है। मैकल पर्वत श्रृखलाओं के बीच विशेष पिछड़ी जनजाति निवास करते हैं। स्कूल में 392 युवाओं को रोजगार के अवसर मिले है। कबीरधाम जिले में स्वामी आत्मानंद के 9 विद्यालय संचालित हैं।
स्वामी आत्मानंद शासकीय उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बोझ को कम कर दिया है। प्राइवेट स्कूल की तरह ही अब शासकीय स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से उत्कृष्ट शिक्षा दी जा रही है। शिक्षा की गुणवत्ता को देखते हुए बड़ी संख्या में पालक अपने बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिलाने के लिए आगे आ रहे हैं।