नजूल एक्ट व भू-राजस्व संहिता में संशोधन आवश्यक – रिजवी 

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रायपुर — जकांछ नेता, मध्यप्रदेश पाठ्यपुस्तक निगम के पूर्व अध्यक्ष, वरिष्ठ अधिवक्ता इकबाल अहमद रिजवी ने कहा है कि प्रदेश में शासकीय नजूल भूमि एवं ग्रामीण अंचल की राजस्व भूमि की अफरा-तफरी, बेजा-कब्जा एवं बंदरबांट के कारनामों ने विगत 15 वर्षो तक आसीन् रही प्रदेश की भाजपा सरकार को असहाय सिद्ध कर दिया था। शहरो की नजूल भूमि एवं ग्रामीण अंचल की शासकीय राजस्व भूमि जैसे घांस, चारागाह, आबादी एवं गौठान पर बेखौफ हो रहे बेजा कब्जा रोकने में अंगे्रजो के जबाने का लगभग 200 वर्ष पुराना रेवेन्यू बुक सकूर्लर वर्तमान में अप्रासंगिक सिद्ध हो चुका है क्योकि उक्त सकूर्लर एक्ट न होकर केवल मार्गदर्शक है।
रिजवी ने कहा है कि शासकीय भूमि के रख-रखाव और अतिक्रमणकर्ताओ से शासकीय भूमि बचाने के लिए नया नजूल एक्ट एवं छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता में संशोधन जरूरी है। प्रदेश में अभी तक नजूल एक्ट नही बना है जिसकी वजह से लगभग 200 वर्ष पहले अंग्रेजो का बनाया हुआ रेवेन्यू बुक सकूर्लर का ही सहारा लिया जा रहा है जो अधिनियम न होकर केवल प्रशासन के लिए सुझाव स्वरूप मार्गदर्शक है।
रिजवी ने कहा है कि इस संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह को  प्रदेश में नजूल एक्ट बनाये जाने का मेरे द्वारा लगभग 6 वर्ष पूर्व प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन हासिल आया शून्य ही रहा तथा इस दिशा में कोई निर्णय भाजपा सरकार ने नही लिया, अब मेरा वर्तमान मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल से गुजारिश है कि नजूल एक्ट बनाने एवं भू-राजस्व संहिता में संशोधन की दिशा में पहल करें तथा इस आवश्यकता को अमलीजामा पहनाने की दिशा में तत्काल पहल करें, ताकि शासकीय भूमि पर हो रहे बेजा-कब्जो को रोका जा सकें, बेजा-कब्जा करने वालो पर सजा एवं जुर्माने का प्रावधान एक्ट में रखा जाये तब जाकर बेजा-कब्जाधारियों में भय उत्पन्न होगा तथा शासकीय भूमि को अतिक्रमण से बचाया जा सकेगा।

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