मोदी किसान के नहीं अडानी के मितान है… कांग्रेस की 17 घोषणाओं ने भाजपा को किसानों के आगे घुटने टेकने मजबूर किया

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रायपुर/04 नवंबर 2023। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि किसान विरोधी पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह मोदी की चाटुकारिता में किसान विरोधी मोदी को किसानों का मितान बताकर मितान जैसे पवित्र रिश्ता को अपमानित कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में मितान एक ऐसा रिश्ता है जो एक दूसरे के सुख और दुख में मजबूती के साथ खड़ा होता है और मोदी तो हमेशा किसानों के विरोध में काम किये हैं। असल में मोदी किसानों के नहीं बल्कि अडानी के मितान है क्योंकि प्रधानमंत्री की पद की शपथ लेने के बाद मोदी ने सिर्फ अडानी के हित में काम किया है।
प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि मोदी अगर किसानों के मितान होते तो दिल्ली की सीमा में किसान 14 महीना तक भरी गर्मी, तेज बारिश, कड़ाके के ठंड में खेत खलिहान घर द्वार बचाने आंदोलन नही करते, 800 से अधिक किसानों को अपनी जान गवानी नही पड़ती। मोदी अडानी की मित्रता देश ही नही पूरी दुनिया मे चर्चित है कि कैसे अडानी के फायदे के लिये भाजपा की केंद्र राज्य की सरकार लगी है। अडानी के हित में ही तो तीन काला कृषि कानून लाया गया था और किसानों को गुलाम बनाने का षड्यंत्र रचा गया था
प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के किसान विरोधी चरित्र को छत्तीसगढ़ के किसान पहचानते है। ये वही रमन सिंह है जिन्होंने किसानों को धान की कीमत 2100 रु. प्रति क्विंटल और 300 रु. बोनस नहीं दिया। आदिवासी वर्ग को 10 लीटर दूध देने वाली जर्सी गाय और उनके परिवार के एक सदस्य को नौकरी नहीं दिया, बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ते का वादा नहीं निभाया और प्रदेश की संपत्ति को बेचकर भ्रष्टाचार कमीशन खोरी किया। गरीबों के अनाज में डाका डाला गया। एक लाख करोड़ का घोटाला रमन सरकार में हुआ था और उस घोटाले में भाजपा के केंद्रीय नेता भी शामिल थे। किसान जब खेत के लिये जलाशय की पानी मांग करते थे तो यही रमन सिंह किसानों के ऊपर लाठी भंजवाते थे। 15 साल में रमन सरकार किसानों के हित में काम करते, किसानों से किए वादों को पूरा करते तो प्रदेश में 15000 किसानों को आत्महत्या करना नहीं पड़ता। किसान अपनी जमीन बेचने मजबूर नहीं होते।

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