नाड़ी देखकर रोग बता देते हैं वैद्याचार्य वेंकटेश्वर

0

कहते हैं- सभी बीमारियों के जनक होते हैं त्रिदोष

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां इन्हें संतुलित करती हैं

रायपुर / शरीर में तीन दोष होते हैं। वात, पित्त और कफ। यदि ये संतुलित मात्रा में हैं तो शरीर स्वस्थ रहता है। इनका असंतुलन ही रोगों को आमंत्रित करता है। सामान्य से लेकर असाध्य माने जाने वाले रोग इन्हीं दोषों के कम अथवा अधिक मात्रा में होने से जन्म लेते हैं। आयुर्वेद कहता है कि यदि इन दोषों को साध लिया जाए तो बड़ी से बड़ी बीमारी ठीक हो सकती है। तीन पीढ़ियों से नाड़ी देखकर रोगों का पता लगाने वाले वैद्यराज टीएन वेंकटेश्वर बताते हैं कि आयुर्वेद में वह गुण है जिससे बड़े से बड़ा रोग ठीक हो सकता है। अस्थमा, चर्म रोग, लकवा, लीवर संबंधी समस्या, मिर्गी, नि:संतान रोग जैसी अनेकों समस्या और रोगों का समाधान जड़ी-बूटियों से प्राप्त हो सकता है। प्रकृति में ये सारे तत्व हैं। उन्होंने बताया कि नाड़ियों में बहने वाले रक्त संचार से वे रोगों का पता लगा लेते हैं। इसके बाद संबंधित रोग के अनुसार उपचार की प्रक्रिया प्रारंभ होती है।

वैद्यराज टीएन वेंकटेश्वर ने बताया कि उनके द्वारा दी जाने वाली औषधी वनौषधियों से तैयार की जाती है। इन्हें वे स्वयं अपनी देखरेख में तैयार करते हैं। जड़ी-बूटियों और भस्म आदि के रोगी को आवश्यकता के अनुसार उचित अनुपात में मिश्रण तैयार करके उससे अवलेह, गोली, चूर्ण या घटक द्रव्य के रूप में रोगी को दिया जाता है। उन्होंने दावा किया कि कैंसर सहित कई असाध्य रोगों से ग्रसित मरीजों को उन्होंने जड़ी-बूटियों से ठीक किया है। उन्होंने बताया कि वे रोगी को चिकित्सकीय परामर्श निश्शुल्क देते हैं।

तेलंगाना के पहाड़ों से मंगवाते हैं जड़ी-बूटी
वैद्यराज ने बताया कि उपचार के लिए जड़ी-बूटियों को तेलंगाना और अलग-अलग क्षेत्रों के वनांचलों से एकत्रित कर मंगवाते हैं। इसमें रक्त ज्योति मूल, अपूर्वगंधा, ककड़सिंधी, सुरंजन, चोपचीनी चंदनादि जड़, संजीवनी मूल, बिदारिकन्द, निर्गुड़ी, अश्वगंधा, ब्रम्हकस्तुरी, नागकेसर इत्यादि हैं। उन्होंने कहा कि आधुनिक पद्धति जितना भी क्रांति कर ले, लेकिन जड़ी-बूटियों के माध्यम से उपचार की प्राचीन पद्धति आज भी सबसे अधिक प्रासंगिक है। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां रोग के मूल कारण को नष्ट करते हैं। आयुर्वेद पद्धति से बनी औषधी त्रिदोषों को संतुलित करने में सहायक हैं।

पहले माह से दिखने लग जाता है प्रभाव
वैद्यराज ने बताया कि शरीर के सामान्य रोग दो से तीन माह की औषधियों में ठीक हो जाते हैं। गंभीर और असाध्य रोग होने पर रोग की प्रकृति के अनुरूप औषधी लेनी पड़ती है। पहले माह से ही इन औषधियों का प्रभाव दिखने लग जाता है।

इन गंभीर रोगों का उपचार करने का दावा

  • गर्भाश्य का कैंसर, ब्रेन ट्यूमर (प्रारंभिक स्थिति में)
  • माइग्रेन जड़ से ठीक चाहे कितना भी पुराना हो
  • बच्चियों को मासिक धर्म में होने वाली पीड़ा
  • हार्ट ब्लाकेज को नष्ट कर देते हैं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *