पुलिस पर फर्जी कार्रवाई का आरोप कोरबा निवासी व्यवसायी की शिकायत पर पुलिस कर्मियों के खिलाफ  जांच शुरू

0

 


कोरबा 15 जुलाई — क्राईम ब्रांच रायपुर और थाना सिविल लाईन पुलिस रायपुर के खिलाफ छवि घूमिल करने और झूठा आरोप लगाकर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई किये जाने की शिकायत पर पुलिस जांच प्रारंभ हो गयी है। कोरबा के व्यवसायी राम अवतार अग्रवाल ने उक्ताशय की शिकायत शासन और प्रशासन से कुछ दिनों पूर्व की थी। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कोरबा जयप्रकाश बढ़ई ने शिकायत पर जांच की पुष्टि की है।
कोरबा के व्यवसायी रामअवतार अग्रवाल ने बताया कि क्राईम ब्रांच रायपुर ने इनकम टैक्स अधिकारी बता कर और गृहमंत्री के नाम पर फोन से धमकी देकर जबरिया वसूली  करने का उनपर झूठा आरोप लगाया था। उन्होंने पुलिस पर आरोप लगाया है कि क्राईम ब्रांच रायपुर ने उन्हें (रामअवतार अग्रवाल को) किसी साजिश के तहत फंसाने का प्रयास किया था। बाद में झूठी कहानी गढ़कर सिविल लाइन थाना पुलिस रायपुर ने उनके खिलाफ  प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की थी।
याद रहे कि पुलिस ने बाकायदा मीडिया में यह प्रचारित किया था कि रामावतार अग्रवाल गृहमंत्री के नाम पर फोन कर लोगों से अवैध वसूली  का प्रयास कर रहे थे।  पुलिस ने उनके फोटो सहित प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया था कि उन्हें गिरफ्तार करने के बाद जेल दाखिल कर दिया गया है, जबकि व्यवसायी रामअवतार अग्रवाल अपने गृहनगर कोरबा में रहकर अपना व्यवसाय चला रहे हैं। पीड़ित व्यवसायी ने अपने खिलाफ किये गये प्रताड़ना और दुष्प्रचार की राज्यपाल, मुख्यमंत्री से लेकर डीजीपी, आईजी बिलासपुर, आईजी रायपुर रेंज के साथ ही दोनों जिलों के पुलिस कप्तान आदि से लिखित शिकायत की है, जिस पर जांच शुरू हो गई है। कोरबा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जयप्रकाश बढ़ई ने बताया कि व्यवसायी रामअवतार अग्रवाल के द्वारा की गयी शिकायत प्राप्त हुई है और उसकी जांच की जा रही है।
यह है पूरा मामलाः-
कोरबा के पीड़ित व्यवसायी रामअवतार अग्रवाल ने बताया कि 19 अप्रेल 2019 को रायपुर क्राइम ब्रांच की टीम कोरबा आई थी। पुलिस की टीम कोरबा के एक अपराधी प्रवृत्ति के व्यक्ति के साथ दोपहर के वक्त उनके घर आई थी। श्री अग्रवाल इस समय अपनी आंखों के उपचार के लिए एक अस्पताल गए हुए थे। वे लौटकर घर पहुचे तो रायपुर क्राइम ब्रांच की टीम ने एक मामले की जांच में श्री अग्रवाल से सहयोग करने का अनुरोध किया। इस पर श्री अग्रवाल सहर्ष तैयार हो गए। क्राइम ब्रांच की टीम ने उन्हें कोतवाली थाना कोरबा चलने के लिए कहा। श्री अग्रवाल टीम के पीछे-पीछे कोतवाली थाना पहुंचे जहां उन्हें सीएसपी कार्यालय में बिठाया गया। लगभग पांच घंटे तक उन्हें क्राईम ब्रांच के पुलिस कर्मी प्रताड़ित करते रहे। इसके बाद कोरबा से रायपुर ले जाया गया। श्री अग्रवाल के अनुसार रायपुर में उन्हें पुलिस थाना सिविल लाईन में पूरी रात और दूसरे दिन दोपहर तक रखा गया। 20 अप्रेल को बेमेतरा से दो युवकों को उनकी पहचान के लिए बुलाया गया। बेमेतरा से आए युवकों ने पुलिस के समक्ष बताया कि इस व्यक्ति रामअवतार अग्रवाल को उन्होंने पहली बार देखा है और पुलिस को जिस व्यक्ति की तलाश है, वह यह रामअवतार अग्रवाल नहीं है। इसके बाद पुलिस ने युवकों को वहां से वापस भेज दिया। हद तो तब हो गयी जब किसी भी आरोप की पुष्टि नहीं होने के बावजूद सिविल लाईन पुलिस ने थाना के बाहर हंगामा कर शांति भंग करने का झूठा आरोप लगाकर व्यवसायी रामअवतार अग्रवाल के खिलाफ धारा 151, 107, 116 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर कोर्ट में प्रस्तुत किया। श्री अग्रवाल ने बताया कि कोर्ट से उन्होंने उसी शाम 20 अप्रेल को अपनी जमानत ले ली और कोरबा लौट गए। श्री अग्रवाल ने बताया कि उनकी उम्र 60 वर्ष से अधिक है और कानूनन 60 वर्ष या इससे अधिक उम्र के व्यक्ति के खिलाफ प्रतिबंधक धारा के तहत इस तरह का मामला दर्ज नहीं किया जा सकता, लेकिन पुलिस ने जानबूझकर उनकी उम्र दो वर्ष कम यानी 58 वर्ष लिख कर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की थी। श्री अग्रवाल ने आगे बताया कि उन्हें यह अनुमान ही नहीं था कि पुलिस उन्हें इस कदर फंसा देगी। इस घटना के तीन दिन बाद 23 अप्रेल को पुलिस ने श्री अग्रवाल के फोटो के साथ रायपुर में प्रेस विज्ञप्ति जारी की। विज्ञप्ति के अखबार में छपने और सोशल मीडिया में जारी होने पर विभिन्न वेब पोर्टल, न्यूज चैनल, समाचार पत्रों से यह ज्ञात हुआ कि रायपुर पुलिस ने उन्हें गृहमंत्री के नाम पर जबरिया वसूली करने का आरोपी बना दिया है और उनके फोटो के साथ बाकायदा प्रेसविज्ञप्ति जारी कर उन्हें सार्वजनिक रूप से बदनाम कर दिया है। उन्होंने बताया कि सार्वजनिक रूप से बदनाम किए जाने के कारण वे अंदर से टूट गए और काफी दिनों तक सदमे में रहे। इसके बाद परिजनों की मदद से उन्होंने खुद को संभाला और कानूनी सलाह लेने के बाद मामले की उच्च स्तर पर शिकायत की।
मानवाधिकार आयोग तक में शिकायतः-
श्री अग्रवाल ने बताया कि सामाजिक रूप से पूरी तरह बदनाम किए जाने के बाद वे अंदर से काफी दुखी हो गए हैं। उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल होने से वे बुरी तरह से आहत हैं। श्री अग्रवाल ने बताया कि मामले में उन्होंने मानवाधिकार आयोग से लेकर राज्यपाल, मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, डीजीपी, आईजी बिलासपुर रेंज, आईजी रायपुर रेंज, एसपी कोरबा, एसपी रायपुर से मामले की शिकायत की है। श्री अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने मामले में झूठी कार्रवाई में शामिल अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। श्री अग्रवाल ने विश्वास जताया है कि मामले की निष्पक्ष जांच के बाद उन्हें न्याय जरूर मिलेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *