छत्तीसगढ़िया सर्व समाज महासंघ ने छत्तीसगढ़ सरकार पर पिछड़ा वर्ग को धोखा देने का लगाया आरोप , कहा – शासन हमारी उचित मांगे पूरी नही करेगी तो लोकतांत्रिक तरीके से उग्र प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगे

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रायपुर / छत्तीसगढ़िया सर्व समाज महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश यदु ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा छत्तीसगढ़ शासन ने त्रियस्तरी पंचायत एवं नगरी निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग को दिया धोखा छत्तीसगढ़ प्रदेश के आगामी त्रिस्तरीय पंचायत एवं नगरी निकाय चुनाव की लगभग पूरी तैयारी शासन के द्वारा हो चुका है पेपर एवं स्थानीय निर्वाचन अधिकारियों के द्वारा प्रकाशित पत्रों के माध्यम से जानकारी प्राप्त हो रहा है कि जिला पंचायत अध्यक्ष का कोई भी पद ओबीसी को नहीं दिया गया है। जनपद पंचायत में संख्या अनुपात अध्यक्ष पद नहीं दिया गया है साथ ही नगरी निकाय एवं नगर निगम में भी पिछड़ा वर्ग समाज के साथ अवहेलना किया गया है। ज्ञात हो की छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद ओबीसी बहुल छत्तीसगढ़ में लगातार आरक्षण के मुद्दे पर ओबीसी समाज उग्र रहा है और राजनीतिक स्तर पर भी कभी भी संख्या अनुपात या सम्मानजनक पदों को नहीं दिया गया। पूरा मध्य छत्तीसगढ़ से लेकर बस्तर सरगुजा में अन्य पिछड़ा वर्ग विभिन्न जातियों में बहुसंख्याक के रूप में निवास रत है। सांस्कृतिक और राजनीतिक परिपक्वता होने के बाद भी राष्ट्रीय पार्टी हमेशा अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ दुर्भावना पूर्वक व्यवहार करते हुए उनके हक और अधिकार से वंचित करता रहा है।

2025 के त्रिस्तरीय पंचायत एवं नगरी निकाय चुनाव में लगभग 45 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या के होते ओबीसी आयोग और अन्य पिछड़ा वर्ग समाज के आंदोलन के बाद यह उम्मीद था कि अब हमारे साथ राजनीतिक रूप से न्याय होगा लेकिन आरक्षण के रोस्टर स्थानीय निर्वाचन अधिकारियों के द्वारा जब प्रकाशन किया गया उसमें अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कहीं स्थान ही नहीं दिया गया। सरकार द्वारा यह तर्क की अनारक्षित में आपको पद दिया जाएगा, एक तरह भीख देने के समान प्रतीत हो रहा है। जब कि संविधान में अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षका देने की व्यवस्था है, और पूर्व में दिया जाता रहा है। लगातार गुमराह करने से एक सामान विकास की बात जो देश-विदेश में किया जाता है उससे ओ.बी.सी. समाज वंचित है ।

छत्तीसगढ़ राज्य सहित देश की आजादी में इस वर्ग की बलिदान को आज पूर्णतया भूलाकर नेस्तानबूत करने की तैयारी है। सुप्रीम कोर्ट के बार-बार निर्देश कि सभी समाज को समान विकास किया जाए पिछड़ा वर्ग को पिछड़ा ही रखने के लिए आज की सरकार नित नए नियम बनाकर पीछे धकेलने काम कर रही हैं।

पिछड़ावर्ग समाज का आपत्ति :-

  1. छत्तीसगढ़ के 33 जिल में एक भी जिला पंचायत अध्यक्ष पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित नहीं किया गया।

(अ) 2019 के पंचायत चुनाव में छत्तीसगढ़ में 27 जिला था, जिसमें एस.टी के लिए 13 पद, ओ.बी.सी. के लिए 07 पद, सामान्य के लिए 04 पद तथा एस.सी. 03 पद आरक्षित किया गया था, लेकिन 2025 के चुनाव में 33 जिला होने के बाद ओ.बी.सी को 01 भी जिला पंचायत को आरक्षित नहीं किया गया। साथ ही सरगुजा एवं बस्तर संभाग में पिछड़ा वर्ग समाज को शून्य घोषित कर दिया गया। इससे लगता है कि दुर्भावना पूर्ण किया गया कृत है।

  1. जनपद पंचायत में भी जनसंख्या अनुरूप अध्यक्ष पदों से वंचित रखा गया।
  2. नगरीय निकाय के नगर निगम, नगर पालिका और नगरपंचायत भी जनसंख्या अनुरूप आरक्षित नहीं किया गया है।

सर्व छत्तीसगढ़िया समाज का प्रस्ताव अनुरूप चेतावनी है छत्तीसगढ़ सरकार पिछड़ा वर्ग का आरक्षण जनसंख्या अनुरूप है करता है तो लोकतांत्रिक तरीके से उग्र प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगे और सरकार के सभी मंत्रियों और सभी विधायकों के घेराव करने लिए मजबूर होंगे।

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