मिशन अध्यक्ष पर कांग्रेस की खोज खत्म …. सोनिया गांधी बनी अंतरिम अध्यक्ष

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नई दिल्ली — कांग्रेस के नए अध्यक्ष के चयन को लेकर दिल्ली में मंथन खत्म हो गई है। सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष बनाई गई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने इसकी जानकारी मीडिया को दी। मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक दिल्ली में हुई। इस बैठक में यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया और एके एंटनी समेत कई बड़े नेता मौजूद रहे।

हालांकि सभी बैठक में राहुल गांधी का इंतजार करते रहे, सभी 5 यूनिट के रिपोर्ट सौंपने के बाद राहुल गांधीे बैठक में पहुंचे। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में नेताओं के पांच समूह बनाए गए थे, जिन्होंने देश भर के नेताओं की राय जानी है। लगभग सभी नेताओं ने राहुल गांधी से अध्यक्ष बने रहने की मांग की।

बंगाल यूनिट ने कहा कि राहुल नहीं तो प्रियंका गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाए। वहीं बिहार यूनिट ने कहा कि राहुल जिसे चुनेंगे वो मंजूर। छत्तीसगढ़ यूनिट ने कहा कि राहुल गांधी चुने अगला अध्यक्ष, प्रियंका गांधी में मास अपील है। कुछ नेताओं ने मुकुल वासनिक और इक्का-दुक्का ने ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी लिया है। खबरों के अनुसार सिंधिया का नाम त्रिपुरा यूनिट की ओर से आया है।

इससे पहले, सुबह पार्टी की सर्वोच्च निर्धारक ईकाई- कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सुबह यह फैसला किया गया कि देश के अलग क्षेत्रों को पांच ग्रुप में बांटकर वहां के नेताओं से इस बारे में सलाह ली जाएगी। लेकिन, सीडब्ल्यूसी की बैठक के फौरन बाद सोनिया गांधी और राहुल गांधी कांग्रेस मुख्यालय से यह कहते हुए बाहर निकल गए कि वे सलाह-मशविरा प्रक्रिया का हिस्सा नहीं होंगे। सोनिया गांधी ने कहा- “सलाह-मशविरा (अगले अध्यक्ष पर) की प्रक्रिया चल रही है और वास्तविक तौर पर मैं और राहुल जी इसका हिस्सा नहीं हो सकते हैं।”

गौरतलब है कि लोकसभा में कांग्रेस को मिली भीषण पराजय और गांधी परिवार की परंपरागत सीट गंवा देने के बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए राहुल गांधी ने यह भी कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष नहीं रहते हुए भी वह पार्टी के लिए सक्रिय रूप से काम करते रहेंगे। उनके समर्थन में बहुत सारे नेताओं ने भी इस्तीफा दे दिया था। हालांकि उस वक्त उनके इस्तीफे को अस्वीकार करते हुए सीडब्ल्यूसी ने उन्हें पार्टी में आमूलचूल बदलाव के लिए अधिकृत किया था, हालांकि राहलु गांधी अपने रुख पर अड़े रहे और स्पष्ट कर दिया कि न तो वह और न ही गांधी परिवार का कोई दूसरा सदस्य इस जिम्मेदारी को संभालेगा।

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