बच्चों ने जाना मिट्टी का महत्व, अपने हाथों मिट्टी से बनाई गणेश जी की मूर्ति
प्रकृति संरक्षण की दिशा में मूर्ति कलाकार अजय पोद्दार ने , सैकड़ों बच्चों को दिया मिट्टी से मूर्ति बनाने का निः शुल्क प्रशिक्षण
रायपुर — पूरा शहर कंक्रीट के जंगलों में तब्दील हो रहा है ऐसे में यहा रहने वाली शहर की वर्तमान पीढ़ी को मिट्टी की महत्ता समझाना बेहद जरूरी है। आज के बच्चे प्रकृति का महत्व समझते हुए उसके संरक्षण की दिशा में पहल करें तो निश्चित रूप से हम आने वाले कल को कुछ बेहतर बना सकेंगे। इसी मकसद से गणेश चतुर्थी के पूर्व महाराष्ट्र मंडल भवन, समता कॉलोनी संस्कृति मंडल के माध्यम से मिट्टी के गणेश जी बनाने का निशुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में लगभग 100 स्कूली बLच्चों ने हिस्सा लेकर अपने हाथों से मिट्टी के गणेश जी बनाने का प्रशिक्षण लिया। यह शिविर दोपहर 12:00 बजे से लेकर 3:00 बजे तक आयोजित था।
इस संबंध में इस प्रशिक्षण शिविर के सूत्रधार और प्रशिक्षण करता अजय पोद्दार ने बताया कि पिछले 5 वर्षों से वे नियमित रूप से यह निशुल्क प्रशिक्षण शिविर का आयोजन करते आ रहे हैं। इसके पीछे हमारा मकसद प्रकृति का संरक्षण करना है। हम देखते हैं कि प्लास्टर ऑफ पेरिस की बनी मूर्तियां नदियों और तालाबों में विसर्जित कर दी जाती है।परंतु वह मूर्तियों पानी में घुलती नहीं है जिस वजह से नदी और तालाब दूषित हो रहे हैं। हमारा उद्देश्य है कि मिट्टी की प्रतिमाओं का निर्माण हो ताकि हम अपनी धर्म संस्कृति के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का काम कर सकें।
इसके लिए हम खेत से लाई गई मिट्टी का उपयोग करते हैं बच्चों को इसमें प्राकृतिक रंगों के प्रयोग के बारे में भी बताते हैं। बच्चे हल्दी,चंदन,कुमकुम के प्राकृतिक रंगों और चावल आदि का उपयोग कर श्री गणेश प्रतिमा को सजाने में करते हैं।
प्रशिक्षण ले रही रेडियंट वे कक्षा 2 की स्कूली छात्रा पृथा गुप्ता ने बताया कि पिछले 2 साल से वह इस एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा ले रही है। अपने हाथों से मिट्टी खेलते हुए गणेश जी की मूर्ति बनाना अच्छा लगता है। हम यहां मूर्ति बनाकर अपने घर ले जाते हैं और जब यह मूर्ति सूख जाती है तो इस पर हम रंग करते है।
केपीएस कक्षा 8 वी के छात्र खुशाल रात्रे ने बताया कि वह भी यहां अपने भाई के साथ आकर मिट्टी के गणेश जी बनाने का प्रशिक्षण ले रहे हैं। पिछली बार की तुलना में इस बार उन्हें गणेश जी की मूर्ति बनाने में आसानी हुई। उसने बताया कि यहां से गणेश जी बनाकर के ले जाएंगे और मूर्ति को रंग रोगन कर गणेश चतुर्थी पर स्थापित करेंगे। पश्चात उस प्रतिमा को घर के टब में ही विसर्जित कर उसकी मिट्टी और पानी का उपयोग घर की गमलों में करेंगे।
इस प्रशिक्षण शिविर में सहयोगी के रूप में भारती पालसोडकर,सुमित मोडक,शेखर क्षीरसागर, वैभव शाह भी शामिल थे।