छत्तीसगढ़ शासन सहकारिता विभाग द्वारा पुनर्गठन की स्कीम और पुनर्गठित समितियों की सूची बिना स्किम के जारी की गई

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रायपुर — सहकारिता विभाग ने पुनर्गठित की स्कीम और पुनर्गठित समितियों की सूची एक साथ जारी की है , यानी बिना किसी स्कीम के पुनर्गठन कर लिया और इसे स्कीम के साथ जारी किया कायदे से पहले स्कीम बनाना था तत्पश्चात पुनर्गठन की प्रक्रिया करनी चाहिए थी ।

प्रेस वार्ता के माध्यम से अशोक बजाज ने कहा छत्तीसगढ़ सहकारी सोसायटी अधिनियम की धारा 16 गांव में राज्य सरकार को लोकहित में पुनर्गठन योजना बनाने की शक्ति प्रदान की गई है लेकिन जो सूची जारी की गई है उसमें कहीं लोकहित परिलक्षित नहीं होता है पुनर्गठन के पूर्व सहकारी समिति के बोर्ड अथवा सहकारी समिति के सदस्यों से कोई रायशुमारी नहीं की गई ।

पुनर्गठन की सूची मनमाने तरीके से जारी कर अब दावा आपत्ति मंगाया जा रहा है लेकिन दावा आपत्ति की मियाद खत्म होने के पूर्व ही पुनर्गठन को अंतिम मानकर समितियों के संचालक मंडल को भंग कर प्रतीक अधिकारी नियुक्त किए जा रहे हैं ।

धारा 16 में निर्वाचित बोर्ड को भंग करने का कोई प्रावधान नहीं है वैसे भी निर्वाचित बोर्ड को अकारण भंग करने का अधिकार विभाग को नहीं है पुनर्गठन से समितियों का दायरा प्रभावित हो रहा है दायरा परिवर्तन से बोर्ड प्रभावित नहीं हो रहा है उसे भंग करना न्यायोचित नहीं है ।
समितियों का निर्वाचन सहकारी चुनाव आयोग द्वारा लोकतांत्रिक प्रक्रिया के अंतर्गत हुआ है संविधान के 97 संशोधन द्वारा संविधान के अनुच्छेद 243 य दो में समितियों का कार्यक्रम 5 वर्ष रखने का प्रावधान है ।

संविधान का 97 संशोधन सन 2011 में कांग्रेस नीत यूपीए सरकार के कार्यकाल में हुआ है जो 2012 से प्रभाव सील है अतः विधि द्वारा स्थापित व्यवस्था के अंतर्गत किया सिल बोर्ड को उप सचिव स्तर के अधिकारी के आदेश से भंग नहीं किया जा सकता वर्तमान में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है जो अपनी पार्टी की सरकार के कार्यकाल में स्थापित व्यवस्था को अमान्य कर रहा है ।

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