हाई प्रोफाइल हनी ट्रैप मामले में जांच के नतीजे हो सकते है बड़े

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मध्यप्रदेश में कई रसूखदार लोगों को अपने जाल में फंसाने के संदिग्ध हनी ट्रैप (मोहपाश) गिरोह के खिलाफ बनाये गये विशेष जांच दल (एसआटी) के प्रमुख ने बुधवार रात कहा कि इस हाई-प्रोफाइल मामले की तहकीकात के नतीजे बड़े हो सकते हैं। उन्होंने यह भरोसा भी दिलाया कि मामले में जिन लोगों की आपराधिक भूमिका पायी जायेगी, उन सबके नाम सामने आयेंगे। एसआईटी के प्रमुख संजीव शमी ने यहां इस दल की चार घंटे लम्बी बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि यह एक बेहद गंभीर मामला है और जांच के परिणाम बड़े हो सकते हैं। इसलिये मामले में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को जोड़कर एसआईटी बनायी गयी है।

शमी, प्रदेश के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (काउंटर इंटेलिजेंस) हैं। उन्होंने कहा,  इस अपराध (हनी ट्रैप मामला) में जिन लोगों की भूमिका पायी जायेगी, उन सबके नाम बिल्कुल सामने आयेंगे। हनी ट्रैप मामले को लेकर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए एसआईटी प्रमुख ने कहा,  मामले की जांच जारी है। फिलहाल हम जांच को लेकर सार्वजनिक रूप से चर्चा नहीं कर सकते। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक जांच में मिले सुराग इस संदेह को मजबूत कर रहे हैं कि गिरोह ने नेताओं और नौकरशाहों समेत कई रसूखदार लोगों को जाल में फंसाया था और मामले के तार मध्यप्रदेश के अलावा अन्य राज्यों से भी जुड़े हो सकते हैं। गिरोह के गिरफ्तार सदस्यों के पास से बरामद उपकरणों में आपत्तिजनक ऑडियो-विजुअल सामग्री बड़ी संख्या में मिली है।

बहरहाल, इस गिरोह के जाल में फंसने वाले लोगों में अब तक इंदौर नगर निगम के अधीक्षण इंजीनियर हरभजन सिंह का ही नाम आधिकारिक तौर पर सामने आया है। सिंह की ही शिकायत पर पुलिस ने 19 सितंबर को हनी ट्रैप गिरोह का औपचारिक खुलासा किया था। गिरोह की पांच महिलाओं समेत छह सदस्यों को भोपाल और इंदौर से गिरफ्तार किया गया था। नगर निगम प्रशासन ने अनैतिक कृत्य में शामिल होने के आरोप में इस आला अफसर को निलंबित कर दिया है। इस बीच, एसआईटी की सदस्य और इंदौर की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) रुचिवर्धन मिश्र ने संवाददाताओं को बताया कि हनी ट्रैप मामले को लेकर एसआईटी की बैठक में जांच के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गयी और टीम के सदस्यों को जिम्मेदारियों का बंटवारा किया गया है।

उन्होंने बताया कि जांच में यह पहलू भी शामिल है कि आरोपियों ने ब्लैकमेलिंग के जरिये वसूली की। लिहाजा आरोपियों की संपत्ति की छानबीन होगी और वित्तीय मामलों की जांच करने वाली सरकारी एजेंसियों की भी जरूरत पड़ने पर मदद ली जायेगी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हनी ट्रैप गिरोह खुफिया कैमरों से अंतरंग पलों के वीडियो बनाकर अपने  शिकार को इस आपत्तिजनक सामग्री के जरिये ब्लैकमेल करता था। पुलिस को इस बारे में भी सुराग मिले हैं कि मोहपाश में इस्तेमाल करने के लिये कुछ ग्रामीण युवतियों का सहारा लिया जाता था ।

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