भूपेश सरकार कल अपने को भक्त बता रही थी, आज भक्ति करने पर प्रतिबंध लगा दिया – भाजपा
रायपुर — भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने एक शिक्षा अधिकारी के पत्र के मद्देनजर प्रदेश सरकार और प्रशासन पर करारा कटाक्ष किया है। उक्त पत्र में बालक व कन्या छात्रावासों व आश्रमों में हिन्दू देवी-देवताओं की स्थापना व पूजन आदि नहीं करने के आदेश दिया गया है। इस आदेश को नहीं मानने पर दंडात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की चेतावनी भी दी गई है। उन्होंने कहा कि यह आदेश प्रदेश सरकार के वैचारिक भटकाव और दुविधाओं का प्रतीक है।
भाजपा प्रवक्ता श्रीवास्तव ने विकासखंड शिक्षा अधिकारी मानपुर (जिला राजनांदगांव) के हवाले से जारी इस आदेश पत्र का हलावा देकर प्रदेश सरकार से सवाल किया है कि यह पत्र क्या कांग्रेस की उस राजनीतिक सोच का परिचायक नहीं है, जिसके चलते छद्म धर्मनिरपेक्षता का लबादा ओढ़कर कांग्रेस नेता हिन्दुत्व के विरोध की अपनी संकीर्ण मानसिकता को सींचते हैं? श्रीवास्तव ने कहा कि कांग्रेस सरकार की शह पर जारी यह पत्र कांग्रेस के वैचारिक भटकाव का प्रतीक है और वह तय नहीं कर पा रही है कि उसे किस दिशा में आगे बढ़ना है? एक तरफ प्रदेश सरकार के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू कांग्रेस को सबसे बड़ा हिन्दुवादी और राम भक्त बताते हैं तो दूसरी तरफ उसी सरकार के कारिंदे ऐसे बेतुके फरमान जारी करके मातहतों को धमका रहे हैं। यह तुष्टिकरण की गंदी राजनीति कांग्रेस का मूल चरित्र रहा है।
भाजपा प्रवक्ता श्रीवास्तव ने प्रदेश के गृह मंत्री के बयान पर कहा कि भाजपा वालों के हृदय में ही राम का मंदिर है और हिन्दू हितों के संरक्षण व संवर्धन की बात करते हुए भी भाजपा ने सदैव सर्वधर्मसमभाव के चिंतन को केन्द्र में रखा। भाजपा ने श्री राम को इस राष्ट्र की पहचान बताया और राम व राष्ट्र के एकाकार से रामराज्य की अवधारणा को अंगीकार किया, जबकि कांग्रेस ने देश की आजादी के बाद से ही देश की राजनीति को साम्प्रदायिक खांचों में विभक्त करके रखा था। जिस कांग्रेस के लोगों ने तुष्टिकरण की शर्मनाक कोशिशों में इस राष्ट्र की सनातनी परम्पराओं और लोकतांत्रिक संवैधानिक मर्यादाओं को ताक पर रखने तक की कृतघ्नता की हो और जिन कांग्रेस नेताओं ने अदालतों में भगवान राम को काल्पनिक तक बताने का गर्हित उपक्रम किया हो, आज वे खुद को सबसे बड़ा हिन्दुवादी और राम भक्त बताने का ढोंग कर रहे हैं। भारत की प्रबुध्द जनता कांग्रेस की इन हास्यास्पद कोशिशों को बखूबी समझ रही है। मानपुर के शिक्षा अधिकारी के इस पत्र को भी कांग्रेस की उसी साम्प्रदायिक सोच का प्रतीक माना जाना चाहिए।