अंत्योदय व सर्वोदय के पक्षधर थे महात्मा गांधी — लक्ष्मी दास

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गांधी जी के विचारों और आदर्शों को अपनाना ही गांधी जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि: लक्ष्मी दास
 
रायपुर —  महात्मा गांधी जी की 150वीं जयंती के अवसर पर उनके विचारों को साझा करते हुए गांधीवादी विचारक  लक्ष्मी दास, पूर्व अध्यक्ष खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग तथा सदस्य कार्यकारिणी समिति एवं दर्शन समिति ने कहा कि गांधी जी की परिकल्पना थी कि अंतिम व्यक्ति तक शासन की योजनाओं का लाभ पहुंचे। कुटीर उद्योग, ग्रामोद्योग एवं परंपरागत उद्योगों को बढ़ावा देते हुए हर हाथ को काम मिले और सभी आत्मनिर्भर बने। देश के प्रत्येक नागरिक को यह देश अपना लगे। शिक्षा व्यवस्था लर्निंग बाई अर्निंग और अर्निंग बाई लर्निंग की नीति पर आधारित हो।
विधानसभा परिसर में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी प्रेक्षागृह में अपने व्याख्यान में  लक्ष्मी दास ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों को साझा करते हुए कहा कि शासन को अपनी योजना बनाते हुए गांधी जी की आदर्शों और विचारों को, उनके संदेश को ध्यान में रखना चाहिए। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरण दास महंत, मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल, संसदीय कार्य मंत्री रविन्द्र चौबे सहित अन्य मंत्री एवं विधायकगण उपस्थित थे।
  लक्ष्मी दास ने कहा कि गांधी जी इतने सूक्ष्म हैं कि एक चित्रकार लकीरों में गांधी जी को प्रस्तुत कर सकता है और गांधी जी इतने व्यापक भी है कि उनके विचारों को आसानी से साझा नहीं किया जा सकता। उन्हांेने कहा कि गांधी जी के बताए मार्गों का अनुसरण कर शासन ऐसी योजनाएं बनाएं, जिसमें सभी का विकास हो। गांधी जी पंचायती राज व्यवस्था के माध्यम से ग्रामीण विकास के पक्षधर थे। वे जानते थे कि गांव मजबूत होगा तो देश मजबूत होगा और देश खुशहाल होगा। इसलिए पंचायती राज व्यवस्था को और मजबूत बनाने की दिशा मे कार्य होना चाहिए। प्रशासन जनता के जितने नजदीक होगा, व्यवस्था उतनी ही पारदर्शी होगी। इसी तरह खादी ग्रामोद्योग, कुटीर उद्योग, ग्रामोद्योग, परम्परागत उद्योग को जोड़कर समाज के विकास में कार्य किया जा सकता है।
 लक्ष्मी दास ने गांधी जी की आलोचना करने वालों से कहा कि वे गांधी जी के आदर्शों और विचारों को अच्छे से अध्ययन करें और समझें। गांधी जी को सही तरीके से जानने, समझने वाले उनकी आलोचना नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में एक से बढ़कर एक हथियार है। इससे अशांति एवं असुरक्षा की भावना ही उत्पन्न होती है। ऐसे समय में संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा बापू के अहिंसा के संदेश को अपनाया गया है। गांधी जी द्वारा अहिंसा के बल पर शांति स्थापित करने का यह संदेश और विचार दुनिया के लिए अनुकरणीय है।  लक्ष्मी दास ने कहा कि गांधी जी टेक्नॉलॉजी के विरोधी नहीं थे, वे चाहते थे कि ऐसी नीति बनायी जाए, जिससे हर व्यक्ति के हाथ में रोजगार हो, हर विद्यार्थी शिक्षित होने के साथ आत्मनिर्भर भी बने। उन्हें नई तालीम एवं संस्कार दें, जो उन्हें कभी भी बोझ की तरह न लगे। उन्होंने कहा कि गांधी जी के विचारों को अपनाने और उनके बताए मार्गों पर चलकर ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की जा सकती है।

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