भारत को मिला पहला राफेल लड़ाकू विमान
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह पेरिस में फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैंक्रो से मुलाकात की ,राजनाथ सिंह और एमनुएल मैक्रों की ये बैठक करीब 35 मिनट तक चली । इस मुलाकात के बाद राजनाथ सिंह फ्रांस की कंपनी दसॉ से खरीदे गए लड़ाकू विमान राफेल का अधिग्रहण कर उसमें उड़ान भी भरा । रक्षामंत्री राजनाथ सिंह फ्रांसीसी सैन्य विमान में पेरिस से मेरिनाक पहुंचे । दसॉ के साथ हुए सौदे की पहली खेप में भारत विजयादशमी के मौके पर 36 राफेल विमान खरीदा, राफेल विमान में उड़ान भी भरेंगे और इसी के साथ ही वायुसेना की ताकत कई गुना बढ़ गई है । इन नए राफेल अंबाला एयरबेस और पश्चिम बंगाल के हाशीमारा बेस पर पर तैनात किया जाएगा ।
बता दें कि राफेल 4.5वीं पीढ़ी का विमान है जिसमें राडार से बच निकलने की युक्ति है , इससे भारतीय वायुसेना (IAF) में आमूलचूल बदलाव होगा क्योंकि वायुसेना के पास अब तक के विमान मिराज-2000 और सुखोई-30 एमकेआई या तो तीसरी पीढ़ी या चौथी पीढ़ी के विमान हैं ।
वहीं पाकिस्तान के पास मल्टी रोल विमान एफ-16 है , लेकिन वह वैसा ही है जैसा भारत का मिराज-2000 है । पाकिस्तान के पास राफेल जैसा कोई विमान नहीं है, मिराज का उन्नत रूप और सुखोई 30 विमान चौथी पीढ़ी का लड़ाकू विमान हो सकता है ।
देश में विकसित हल्के लड़ाकू विमान तेजस को भी विज्ञान और प्रौद्योगिक के मामले में चौथी पीढ़ी की श्रेणी में रखा जा सकता है लेकिन तुलना की दृष्टि से यह काफी छोटा विमान है । फ्रांस, मिस्र और कतर के बाद भारत चौथा देश होगा जिसके आकाश में राफेल विमान उड़ान भरेगा । लेकिन राफेल की तुलना चीन के जे-20 से नहीं की जा सकती है । चीन द्वारा घरेलू तकनीक से विकसित यह पांचवीं पीढ़ी का विमान है ।
गौरतलब हो कि भारत ने करीब 59 हजार करोड़ रुपये मूल्य पर 36 राफेल लड़ाकू जेट विमान खरीदने के लिए सितंबर, 2016 में फ्रांस के साथ अंतर-सरकारी समझौता किया था , यह विमान बड़ी मात्रा में शक्तिशाली हथियार और मिसाइल ले जाने में सक्षम हैं । दरअसल, साल 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई तो उन्होंने वायुसेना को और ताकतवर बनाने की दिशा में काम किया और 2016 में फ्रांस यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने राफेल डील साइन किया था, जिसके बाद अब भारत को पहला राफेल विमान मिल गया है । चार विमानों का पहला खेप अगले साल मई तक ही भारत आएगा ।