प्रदेश के 27 जिलों में 89 ब्‍लड बैंक संचालित, जरुरतमंदों को मिलेगा नि:शुल्‍क खून

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अप्रैल  से अक्‍टूबर तक 82,000 यूनिट का संकलन

 

रायपुर, 11 नवंबर 2019 —  भारत सरकार की गाइडलाइन अनुसार छत्‍तीसगढ़ राज्य के प्रत्येक जिले में कम से कम एक लाइसेंसीकृत ब्लड बैंक स्थापित एवं संचालित किया जा रहा है। राज्य निर्माण के वक्‍त प्रदेश में कुल 9 ब्लड बैंक थे जिसमें से 5 शासकीय , एक केंद्र सरकार का उपक्रम और तीन निजी ब्लड बैंक संचालित थे। वर्तमान में वर्ष 2019-20 में प्रदेश के 27 जिलों में कम से कम एक ब्लड बैंक संचालित है।
प्रदेश के 27 जिलों में कुल 89 ब्लड बैंक संचालित है जिसमें से 29 शासकीय ब्लड बैंक, 5 केंद्र सरकार के उपक्रम एवं 55 निजी ब्लड बैंक संचालित कर ब्‍लड की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है।  वर्तमान में नारायणपुर जिले में एक निजी क्षेत्र का लाइसेंसीकृत ब्लड बैंक संचालित है तथा नारायणपुर जिले में शासकीय जिला चिकित्सालय द्वारा ब्लड बैंक की स्थापना प्रक्रियाधीन है। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग ब्‍लड बैंक की स्‍थापना को लेकर लाइसेंस और संसाधन जुटाने व भवन की व्‍यवस्‍था की जा रही है | वहीं राजधानी शासकीय जिला अस्‍पताल पंडरी रायपुर में ब्‍लड बैंक बनकर लोकार्पण को तैयार है।
राज्‍य एड्स कंट्रोल सोयायटी के परियोजना संचालक डॉ एस.के. बिंझवार ने बताया, वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य में मातृ एवं शिशु रोग स्वास्थ्य के उपचार उच्चतर प्रबंधन एवं आपातकालीन चिकित्सा के लिए राज्य के समस्त जिलों में कम से कम एक ब्लड बैंक स्थापित एवं संचालित है। उन्‍होंने बताया, जिला अस्‍तपलों में प्रसव के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के सामुदायिक व प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों द्वारा रेफर और क्रिटिकल केस आने की वजह से सिजेरियन डिलवरी कराने जरुरत पड़ती है। जिला अस्‍पतालों  में 70 प्रतिशत नार्मल डिलवरी और 30 प्रतिशत तक सिजेरियन डिलवरी होती हैं। ऐसे समय में मातृ एवं शिशु सुरक्षा के लिए ब्‍लड की जरुरत होती है। इस लिए प्रदेश में शिशु और बाल मृत्यु दर प्रति 1,000 जीवित जन्म लेने वाले बच्चों में शिशु मृत्यु दर वर्ष 2005 -06 में  71  प्रतिशत से घटकर 10  सालों  में  वर्ष 2015 -16 में   54 प्रतिशत पहुंची गई है। राज्‍य सरकार द्वारा महतारी एक्‍सप्रेस 102 और इमेंरजेंसी के दौरान 104 संजीवनी एक्‍सप्रेस की सुविधाएं मिलने और ब्‍लड बैंकों से रक्‍त मिलने से आपात चिकित्‍सा के दौरान मरीजों की जान बच जाती है।
राज्‍य में कुल 89 ब्‍लड बैंक है जिसमें से 29 शासकीय और 60 प्राइवेट है। इसमें 22 जिला अस्‍पताल, 6 मेडिकल कॉलेज, एक रेडक्रॅास ब्‍लड बैंक है। राजधानी के डॉ. अंबेडकर शासकीय अस्‍पताल में एक मॉडल ब्‍लड बैंक की स्‍थापना भी की गई है। इसके अलावा रक्‍तदान शिविरों में ब्‍लड संकलन के लिए एक मोबाइल ब्‍लड वैन और जरुरत पड़ने पर ब्‍लड को बैंक से अस्‍पताल तक परिवहन के लिए 4 वैन सुविधाएं भी उपलब्‍ध है।
डॉ. बिंझवार ने बताया, जरुरतमंदों को वक्‍त में ब्‍लड की व्‍यवस्‍था मिल सके इसके लिए समस्त जिले में राज्य सरकार के द्वारा ब्‍लड बैंक की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। राज्य में जनसंख्या के अनुसार 2.55 लाख यूनिट ब्‍लड की आवश्यकता होती है।  वर्ष 2018-19 में राज्य के समस्त शासकीय एवं निजी ब्लड बैंकों के द्वारा 2.22 लाख यूनिट ब्‍लड संग्रहण किया गया है।  शासकीय स्‍तर पर लगभग 1.0  लाख यूनिट ब्‍लड संकलन और निजी स्‍तर पर 1.22 लाख यूनिट रक्‍त संकलन किया गया जो लक्ष्‍य का 87 प्रतिशत था। वहीं अप्रैल से अक्‍टूबर 2019 तक सात महीने में 32 प्रतिशत यानी कुल 82479 यूनिट रक्‍त संकलन किया गया है जिसमें 53323 यूनिट रक्‍त शासकीय व 29166 यूनिट रक्‍त निजी स्‍तर पर संकलन किया गया है।
ब्‍लड की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी ब्लड बैंकों को निर्देश दिए गए हैं। जिलों के सीएमएचओ को सामाजिक संस्‍थाओं के सहयोग से लोगों को जागरुक कर अधिक से अधिक स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाना है ताकि जनसामान्य को रक्त की उपलब्धता सरलता से की जा सके। साथ ही समस्त ब्लड बैंकों को निर्देश दिए गए हैं कि वह  रक्त विकारों से पीड़ित मरीजों को नि:शुल्क रक्त उपलब्ध कराने की व्यवस्था करेंगे।  रक्त विकार की बीमारी सिकल सेल व थैलेसीमिया आनुवंशिक कारणों से होती है। इससे पीड़ित व्यक्ति को बार-बार खून चढ़ाना पड़ता है।

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