जल संशाधन विभाग अभियंता का भ्र्ष्टाचार का खेल लगातार जारी , इस अधिकारी के सामने बेबस है शासन

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रायपुर — भ्रष्टाचार में माहिर अधिकारी ने शासन को ठेंगा दिखाते हुए करोड़ों का भुगतान रोकने का आदेश आने से पहले ही भुगतान कर दिया।

तमाम कवायद के बाद भी आखिरकार शासन – प्रशासन नहीं रोक सका हवाई सर्वेक्षण का फर्जी भुगतान । सरगुजा संभाग के जशपुर जिले में शेखर पुर और तातापानी में प्रस्तावित बांधों का निर्माण होना था। नियम अनुसार सर्वप्रथम केंद्रीय जल आयोग से अनुमति लेना अनिवार्य है , केंद्रीय जल आयोग ने अनुमति नहीं दी उसके बाद भी सर्वे का कार्य किया गया। अनुमति मिलने के पश्चात बांध निर्माण का कार्य शुरू किया जाता है। लेकिन ना तो अनुमति ली गई नाही सर्वेक्षण का कार्य किया गया। इस कारनामे को अंजाम दिया है जशपुर जिले में पदस्थ अभियंता डीआर दर्रो ने वैसे तो उनका स्थानांतरण 14 अगस्त को ही हो चुका था। उसके बाद सबसे पहले मुख्य अभियंता ने हाई कोर्ट को गुमराह करते हुए सर्वप्रथम अपना स्थानांतरण पर रोक लगाई उसके पश्चात आनन-फानन में सर्वे का कार्य होना बताया गया था। जब यह बात सार्वजनिक हुई कि सर्वे नहीं किया गया है गूगल मैप के द्वारा सर्वे किया गया है।तब जाकर प्रशासन हरकत में आता है और भुगतान रोकने के लिए पत्र प्रेषित करता है लेकिन तब तक भ्रष्टाचार कर लिया जाता है और इसके लिए 15 करोड रुपए हवाई सर्वेक्षण कर कथित फर्जी एजेंसियों को भुगतान कर दिया जाता है । जल संसाधन विभाग में जिस तरह की भर्रा साही चल रही है , उससे यह तो साफ साबित होता है कि भ्रष्टाचार करने का मौका अधिकारियों को दिया जा रहा है और यह बिना सरपरस्ती के हासिल नहीं हो सकता है। और ऐसे ही हुआ जसपुर में भी जहां पर छत्तीसगढ़ के मुख्य अभियंता जब तक भुगतान पर रोक लगाते जब तक सारे नियम कानून को धता बताते हुए जसपुर में तैनात अभियंता डीआर दर्रो द्वारा भुगतान कर दिया जाता है, यह आश्चर्यजनक तथ्य है कि जिस अधिकारी को उसके किए गए कारनामों के एवज में निलंबन होना था वह आज भी अपने पद पर तैनात है जनता के खून पसीने की गाढ़ी कमाई का किस तरह से बेजा इस्तेमाल किया जाता है, यह तो सिर्फ एक बानगी है ऐसे कई उदाहरण अभियंता दर्रो के बारे में है विभागीय जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी कार्रवाई ना होना सिर्फ इस ओर इशारा करता है कि मुख्य अभियंता अपने कार्यों को अंजाम देने में भले ही भ्रष्ट हो लेकिन मैनेजमेंट काफी अच्छी तरह से संभालते हैं यही वजह निकल के सामने आती है जिसके कारण उनका कोई बाल भी बांका नहीं कर पाया है अभी तक की परिस्थितियों से तो यही साबित होता है जब इस संबंध में हमने मुख्य अभियंता से बात की तो उन्होंने भुगतान होने के बारे में अपनी अनभिज्ञता जाहिर की जिससे साफ जाहिर है की भुगतान रोकने के लिए पत्र जारी करने से पहले अभियंता को पूरा समय दिया गया ताकि वह भुगतान कर सके फिलहाल कागजों पर स्थापित सर्वे कंपनी को ₹15 करोड़ का भुगतान कर दिया गया है।

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