एन एच एम एम आई सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा थोरेसिक इंडोवैक्स कूलर एवोर्टिक रिपेयर से सफल इलाज

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रायपुर — एनएच एमएमआई नारायणा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल रायपुर अगस्त 2011 में तब अस्तित्व में आया जब पहले से स्थापित 56 बेड हॉस्पिटल को अत्याधुनिक उपकरण सुविधाओं नवीनतम ऑपरेशन थिएटर और चिकित्सा कौशल से संयुक्त 157 बेड क्षमता वाले हॉस्पिटल में रूपांतरित किया गया। आज यह हॉस्पिटल 250 बेड की क्षमता के साथ मध्य भारत का अग्रणी चिकित्सकीय संस्थान बन गया है, जो हृदय रोग मस्तिष्क विज्ञान ,गुर्दा रोग ,और हड्डी रोग के साथ ही कैंसर जैसे जटिल रोगों के इलाज की विस्तृत एवं उत्कृष्ट सेवाएं दे रहा है । हॉस्पिटल का लगभग 1.26 लाख वर्ग फुट इमारती क्षेत्र 3 एकड़ के परिसर में फैला है, रायपुर शहर के सबसे शांत इलाके में बसा यह हॉस्पिटल मरीजों के शीघ्र लाभ के लिए सबसे उपयुक्त जगह है।

मध्य भारत की अग्रणी चिकित्सा संस्थानों में एक एन एच एम एम आई नारायणा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल रायपुर के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुनील गौनियाल एवं उनकी टीम के द्वारा संभवत प्रदेश में पहली बार थोरेसिक इंडोवैस्कुलर एओर्टिक रिपेयर प्रक्रिया सफलतापूर्वक किया गया । डॉक्टर सुनील गौनियाल ने इस प्रक्रिया के बारे में विस्तृत चर्चा करते हुए बताया कि थोरैसिक एंडोवस्कुलर एवोर्टिक रिपेयर प्रमुख रक्त वाहिका यानी महाधमनी की मरम्मत के लिए एक न्यूनतम इंवेसिस प्रक्रिया है । महाधमनी हृदय के बाहर निकलती है और सभी अंगों और शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त पहुंचाती है महाधमनी शरीर की सबसे बड़ी धमनी है महाधामनी के माध्यम से हृदय फेफड़ों द्वारा आक्सीजनित रक्त को बाहर निकालता है जो सभी अंगों और शरीर के बाकी हिस्सों को पोषण देता है ।

इस विशेष उपलब्धि के बारे में एनएच एमएमआई नारायणा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुनील गौनियाल ने बताया कि एक 60 वर्षीय मरीज जिन्हें काफी दिनों से उक्त रक्तचाप की बीमारी थी एक दिन अचानक सीने में दर्द की शिकायत के साथ आसपास किसी अस्पताल में पहुंचे जहां प्रथम दृष्टया हार्टअटैक बताया गया एवं मरीज को उच्च स्तरीय इलाज हेतु हमारे यहां भेजा गया । जहां मरीज के पूर्व की बीमारियों के कागजात एवं क्लिनिकल परीक्षण के बाद ऐसा पाया गया कि यह मरीज में असामान्य स्थिति Aoritic डिसेक्शन से ग्रसित है, स्थिति की गंभीरता एवं सामान्य परिस्थिति को देखते हुए एवं इसे पुख्ता करने के लिए CT AORTA किया गया, जिसके उपरांत पाया गया कि मरीज में टाइप B एवोर्टिक डिटेक्शन पाया गया, जिसमें एवोर्ट का बड़ा हिस्सा भी प्रभावित है । मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए इंडो वैक्यूलर प्रक्रिया द्वारा इलाज करना तय किया गया ,हालांकि यह एक जटिल प्रक्रिया है मगर विभिन्न शोधों में यह पाया गया है कि ऐसे मरीजों में थोरेसिक इंडोवैक्स कूलर एवोर्टिक रिपेयर का एक सफल प्रक्रिया रही है एवं परिणाम अच्छे मिले , प्रक्रिया पूर्व एवं जटिल प्रक्रिया में शामिल सभी चिकित्सकों एवं कैथ लैब तकनीशियन के साथ पूरी कार्रवाई की गहन चर्चा की गई एवं प्रक्रिया करने के निर्णय लिया गया इस प्रक्रिया में पैर की धमनी से प्रवेश कर ट्यूब को महाधमनी के पार रखा जाता है , ट्यूब के माध्यम से एक पूर्व निर्धारित आकार के स्टेंट ग्राफ्ट को उसके सीमावर्ती टूटे हुए भाग में महाधमनी के अंदर लगाया गया, बहुत कम समय में इस प्रक्रिया को बिना किसी जटिलता के सफलतापूर्वक किया गया ।

रोगी को 3 दिनों के बाद बिना किसी दर्द और अच्छी से तरह से नियंत्रित रक्तचाप के साथ दे दी गई ।

प्रेस वार्ता के दौरान संस्थान के डायरेक्टर विनीत सैनी ने बताया पूर्व में भी हमारे चिकित्सकों की ऐसी उपलब्धियों से राज्य में विभिन्न जटिलताओं को सफलतापूर्वक करने का हमारे संस्थान को गौरव प्राप्त हुआ है साथ ही यहां के मरीजों को उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवा कर हमें प्रसन्नता होती है उन्होंने बताया कि मेरे दिनचर्या में मैं हर रोज मरीज या उनके परिजनों से नियमित रूप से मिलता हूं मैं ऐसा समझता हूं कि आज के डिजिटल युग में भी लोगों में जागरूकता की कमी है जिसके कारण कई मरीजों की जान चली जाती है

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