पहले 10 कदम भी नही चल पाते थे , अब सर्जरी के 3 दिन बाद ही बिना किसी सहारे के चलते है .. एनएच एमएमआई नारायणा में 87 वर्षीय वृद्ध के घुटनों का हुआ सफल ऑपरेशन ।

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नवीनतम तकनीक एवं अनुभवी टीम की मदद से एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के विशेषज्ञ ने बदले 87 वर्षीय वृद्ध के दोनों घुटने …

रायपुर ,24 जनवरी 2020 — एन एच एमएम आई नारायणा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल रायपुर अगस्त 2011 में तब अस्तित्व में आया जब पहले से स्थापित 56 बेड हॉस्पिटल को अत्याधुनिक उपकरण सुविधाओं नवीनतम ऑपरेशन थिएटर और चिकित्सकीय कौशल से संयुक्त 157 बेड क्षमता वाले हॉस्पिटल में स्थानांतरित किया गया । आज यह हॉस्पिटल 250 बेड की क्षमता के साथ मध्य भारत का अग्रणी चिकित्सकीय संस्थान बन गया है, जो हृदय रोग, मस्तिष्क विज्ञान ,गुर्दा रोग ,और हड्डी रोग जैसे क्षेत्रों में विस्तृत एवं उत्कृष्ट सेवाएं दे रहा है । यह हॉस्पिटल मरीजों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है ।

इस हॉस्पिटल में नवीनतम तकनीक के साथ अनुभवी डॉक्टरों की टीम काम कर रही है। अभी हाल में ही नवीनतम तकनीक एवं अनुभवी टीम की मदद से एन एच एम एम आई नारायणा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के विशेषज्ञों ने एक 87 वर्षीय वृद्ध के दोनों घुटने के सफलतापूर्वक ऑपरेशन भी किया है ।
इस 87 वर्षीय वृद्ध को लंबे समय से दोनों घुटनों की में असहनीय दर्द था जब उन्हें इलाज के लिए हॉस्पिटल लाया गया तो शुरूवाती जांचों में चिकित्सक ने पाया कि उसके दोनों घुटनों की चिकनी हड्डी जिसे कार्टिलेज कहते हैं वह पूरी तरीके से खराब हो चुकी है घुटनों की इस अवस्था को ओस्टियोआर्थराइटिस कहते हैं । इसे आसान शब्दों में घुटनों के जोड़ का बूढ़ा होना भी कहते हैं ।
एन एच एम एम आई नारायणा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल के हड्डी रोग एवं जोड़ प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ अंकुर गुप्ता ने बताया की उम्र के साथ-साथ धीरे-धीरे यह कार्टिलेज भेजता जाता है और हड्डियों के बीच के घर्षण को रोकने की क्षमता कम हो जाती है कार्टिलेज के इस प्रकार के खींचकर पतले होने को ही चिकित्सकीय भाषा में ओस्टियोआर्थराइटिस कहा जाता है मुख्यतः बढ़ती उम्र के कारण होता है लेकिन पुरानी चोट एवं अनुवांशिक कारणों से इसकी संभावना बढ़ जाती है । साथ ही साथ डॉ अंकुर गुप्ता ने यह भी बताया कि उनके पास जो अधिकतर मरीज आते हैं वह 50 से 80 वर्ष के होते हैं जिनकी सर्जरी में जोखिम कम होता है और रिकवरी भी जल्दी होती है लेकिन इस केस में मरीज की उम्र अधिक होने के कारण यह सर्जरी मुश्किल हो जाती है लेकिन योजनाबद्ध तरीके से अनुभवी चिकित्सकों और प्रशिक्षित फिजियोथेरेपी टीम की मदद से सर्जरी के मात्र 3 दिन बाद ही मरीज अपने पैरों पर चल सकता है ।

वही डॉ आलोक स्वाइन ने बताया की हॉस्पिटल के हड्डी रोग एवं जोड़ प्रत्यारोपण विभाग में कुशल एवं अनुभवी चिकित्सकों के साथ ही नवीनतम मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ एवं सर्व सुविधा युक्त फिजियोथेरेपी विभाग की सुविधा उपलब्ध है जिनकी मदद से जोड़ प्रत्यारोपण सर्जरी के मात्र 6 दिनों बाद ही मरीज अपने पैरों पर चलकर घर जा सकता है ।
आज के इस कॉन्फ्रेंस में मुख्य रूप से नारायणा हेल्थ वेस्ट जोन के रीजनल डायरेक्टर अरुणेश पुनेथा एनएचएमएमआई नारायणा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल के सीनियर मेडिकल सुपरीटेंडेंट डॉ आलोक स्वाइन एनएचएम एमआई नारायणा हॉस्पिटल के हड्डी रोग एवं जोड़ प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ अंकुर गुप्ता एजीएम मार्केटिंग रवि कुमार भगत मौजूद थे ।

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